झालावाड़. जिले के उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय में एयर लेयरिंग विधि से इलाहाबादी अमरूद के पौधों को तैयार किया जा रहा है, जिनसे अब अच्छी मात्रा में फल भी आने लगे हैं. ऐसे में अब यहां के लोगों को भी इलाहाबादी अमरूद का स्वाद मिलने लगा है.
बता दें, एयर लेयरिंग विधि से तैयार किए गए पौधों को खेत में लगाने पर यह महज 3 से 4 साल में ही फल देने लगते हैं, जिससे किसानों को अच्छी आय होती है. इलाहाबादी सफेदा अमरूद की एक किस्म है, जिसमें अंदर से दूधिया गुदा निकलता है, जो काफी स्वादिष्ट होता है. इसका वजन 250 से 300 ग्राम तक होता है और यह स्वाद में बेहद मीठा होता है और साल में तीन बार आता है. ऐसे में इसकी अच्छी उपज किसानों को मालामाल कर सकती है. वहीं, उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय की ओर से इसका प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है.
क्या होती है एयर लेयरिंग?
विधि महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक निर्मल कुमार मीणा ने बताया कि एयर लेयरिंग विधि से एक ही पौधे से 40 से 50 पौधे तैयार किए जाते हैं. इसके लिए अमरूद के पौधे की पेंसिल जितनी बड़ी टहनी को एक से डेढ़ फीट के ऊपर से 2 से 3 सेंटीमीटर तक की खाल को बडिंग नाइफ से उतार दिया जाता है, जिसके बाद स्पेगनम मॉस घास 'जिसकी पानी होल्ड करने की क्षमता बहुत अधिक होती है, यह कई महीनों तक पानी को रोक कर रख सकती है' उसको टहनी के ऊपर रखकर पारदर्शी पॉलीथिन से लपेट दिया जाता है, जिसके करीबन 1 महीने बाद उसमें से जड़ें निकलना शुरू हो जाती हैं. ऐसे में उन जड़ों को दो स्टेज में काटा जाता है. पहले जोड़ों को आधा काट कर छोड़ दिया जाता है और बाद में उन जोड़ों को पूरा काट दिया जाता है और उनको पहले से तैयार किसी अन्य पॉलिथीन में पौधे के रूप में लगा दिया जाता है.
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उन्होंने बताया कि एयर लेयरिंग विधि से लगाए गए पौधे महज 3 से 4 साल में ही फल देने लग जाते हैं, जबकि बीज से लगाए गए पौधे 5 से 6 साल बाद फल देना शुरू करते हैं. इसके अलावा इस विधि के माध्यम से जो गुण मातृ पौधे में होते हैं वही नए पौधे में होता है, जबकि बीज से लगाए गए पौधों में मातृ पौधे से अलग भिन्नताएं निकल आती हैं. ऐसे में इस विधि से बेहद कम कीमत पर किसान बगीचे भी तैयार कर सकते हैं.
इलाहाबादी अमरूद को होती है इन पोषक तत्वों की जरूरत
सहायक प्राध्यापक डॉ. राहुल चौपड़ा ने बताया कि 4 से 5 साल की उम्र के पौधे को 30 किलो गोबर खाद की जरूरत होती है. अगर रासायनिक खाद की बात करें तो प्रति पौधे 300 ग्राम नाइट्रोजन, 180 ग्राम फास्फोरस और 300 ग्राम पोटाश की जरूरत होती है. इन पोषक तत्वों की कमी से पौधे की पत्तियां सूखने लगती हैं और पौधा बीमारियों से ग्रसित होने लगता है. ऐसे में इन सभी पोषक तत्वों का प्रबंधन अच्छे से करें तो अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है.
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वहीं, तकनीकी सहायक योगेंद्र शर्मा ने बताया कि एयर लेयरिंग का तकनीकी ज्ञान प्राप्त करके किसान जिले में इलाहाबादी अमरूद के बगीचे तैयार कर सकते हैं, इसके लिए उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय में उनकी तरफ से प्रशिक्षण भी दिया जाता है.