भीनमाल (जलोर). लंबे समय से चली आ रही प्रथा आज भी कायम है, गांव में ही नहीं शहरों में भी कई तरह की प्रथा देखने को मिलती है. वैसे बड़ी बात यह है कि यह प्रथाएं वर्तमान समय में भी देखने को मिलती है. आधुनिकता के दौर में कई प्रथाएं विलुप्त होती जा रही है. मगर समाज और सक्रिय लोगों की बदौलत इन प्रथाओं को जीवित रखने का काम किया जा रहा है.
जानकारी के अनुसार भीनमाल शहर में फाग महोत्सव के तहत शीतला सप्तमी के अवसर पर अमर सिंह राठौड़ के तमाशे का आयोजन किया जाता है. बता दें कि यह नाटक देर रात्रि 11, 12 बजे शुरू होता है और देर रात तक चलता है. इसमें श्रीमाली ब्राह्मण समाज की ओर से इसको आयोजित किया जाता है. जिसमें विभिन्न झांकियां के द्वारा अमर सिंह राठौर की कथा को प्रदर्शित करते हैं.
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क्या होता है तमाशा-
अक्सर देखा जाए तो गांवों में चोहटे पर तमाशे का आयोजन किया जाता है. जिसमें विभिन्न दृश्यों को प्रकट किया जाता है, जिससे लोगों को उससे संबंधित जानकारी व प्रेरणादाई दृश्य को प्रकट किया जाता है.