रानीवाड़ा (जालोर). पानी अब भी आम व्यक्ति की हलक से कितना दूर है, यह रानीवाड़ा के रोड़ा गांव की घटना से स्पष्ट हो गया है. घर-घर और गांव-गांव पानी उपलब्ध करवाने का सरकारें लाख दावा करें, लेकिन आम व्यक्ति तक पानी की पहुंच अब भी दूर को कौड़ी ही है. रानीवाड़ा के वीरान रेगिस्तानी क्षेत्र की यह घटना स्तब्ध कर देने वाली है. रोड़ा-धुलिया सरहद में एक पांच साल की बच्ची अंजली ने प्यास से तड़प-तड़क कर दम तोड़ दिया. उसके साथ पैदल चल रही 60 साल की नानी सुखी देवी भील भी बेहोश मिली. फिलहाल, सुखी देवी का अभी सीएचसी रानीवाड़ा में इलाज जारी है.
जानकारी के मुताबिक, सुखी देवी सिरोही जिले के रायपुर में अपनी पीहर में रहती है, जो कभी-कभार अपने ससुराल जालोर के डूंगरी में देखरेख के लिए आती है. रविवार सुबह सुखी देवी अपनी नातिन को लेकर शॉर्ट कट रास्ते से रायपुर से डूंगरी के लिए निकली थी. साथ में पानी का इंतजाम नहीं होने से दोनों का मौत से सामना हो गया. पोस्टमार्टम की टीम में शामिल डॉ. शंकरलाल के मुताबिक, दोनों को डिहाइड्रेशन हो गया था. तपती रेत में गिरी अंजली की बीपी कम होने और हार्ट अटैक से मौत हो गई. बुजुर्ग महिला जब अस्पताल में आई, तब उसकी बीपी भी कम थी. फिलहाल, अब हालत स्थिर है. बुजुर्ग को यदि एक से डेढ़ घंटा पहले रेस्क्यू नहीं किया जाता तो शायद ही बचती. वहीं अंजली को आंखों के सामने दम तोड़ते देखने के बाद सुखी के लिए भी जीने उम्मीद खत्म हो चुकी थी. इस बीच किसी चरवाहे की सूचना पर रानीवाड़ा पुलिस पहुंची और पानी नसीब हुआ.
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शॉर्टकट रास्ता चुना
लॉकडाउन की वजह से अभी आने-जाने के साधन नहीं हैं. रायपुर से 22 किलोमीटर दूर डूंगरी जाने के लिए सुखी देवी ने 15 किमी का शॉर्टकट रास्ता चुना, जिस रास्ते से दोनों निकलीं, वह रेतीले धोरों वाला वीरान क्षेत्र है. दूसरी ओर सुंधा माता का पहाड़ी क्षेत्र है. यहां न तो खेती-बाड़ी होती है, न रास्ता है और न ही और कोई आने-जाने वाला. दोनों ने सफर तो सुबह 8 बजे शुरू किया, लेकिन दोपहर होते-होते 45 डिग्री की गर्मी में आसमान और रेतीली धरती आग उगलने लगी थी. दोपहर को करीब एक बजे के आसपास दोनों निढाल होकर गिर पड़ीं.
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जानकारी के मुताबिक, इतने लंबे सफर पर पैदल निकलने से पहले साथ में पानी नहीं रखा था।. सुबह 8 बजे आखिरी बार पानी पीया था. संभवत: दोनों ने खाना भी नहीं खा रखा था. इस वीराने इलाके में तेज गर्मी से बचने के लिए कहीं छांव तक नहीं मिली. इक्का-दुक्का झाड़ियां थीं, जो छांव देने लायक नहीं. सात किमी के सफर के दौरान पांच किमी के दायरे में कहीं पानी का इंतजाम नहीं था. घटनास्थल से दोनों यदि एक किमी आगे और चल जातीं तो शायद दोनों की जान बच जाती. क्योंकि एक किमी आगे कृषि कुएं हैं और करीब दो किमी दूर छितराई आबादी में मदद मिल सकती थी.
तड़प-तड़क कर दम तोड़ गई अंजली
व्याकुल नानी यह देख बेहोश हो गई. प्यास से व्याकुल सुखी देवी तो खुद को मजबूत दिखाती रही, लेकिन मासूम अंजली प्यास से बेहाल हो चुकी थी. वह बार-बार पानी की मांग कर रही थी, लेकिन बेबस सुखी देवी करती भी तो क्या? मासूम को इस विकट सफर में साथ लाने की भूल कर चुकी सुखी देवी साथ में पानी भी नहीं लाई थी. प्यास से तड़प-तड़क कर अंजली ने आंखों के सामने दम तोड़ दिया. यह देख सुखी देवी बेहोश हो गई.
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भाजपा ने साधा सरकार पर निशाना
मासूम बच्ची की मौत को लेकर केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर, गहलोत सरकार, राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर निशाना साधा है. जावडेकर ने ट्वीट कर इसे शर्मनाक घटना बताया है वहीं कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने इसे राजस्थान सरकार की गंभीर लापरवाही बताया है.
राजस्थान राज्य बाल अधिकार
रानीवाड़ा थाना क्षेत्र के रोड़ा गांव की बालिका को पानी नहीं मिलने के कारण मौत की घटना को राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गंभीरता से लिया है. आयोग ने मामले में संज्ञान लेते हुए प्रकरण की त्वरित जांच और कार्रवाई करवाने के जिला कलेक्टर जालोर को निर्देश दिए हैं.