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जालोर: पहले टिड्डी और अब बारिश ने बर्बाद की रबी की फसल, किसान परेशान

गुरुवार से हो रही बारिश के कारण खेतों में खड़ी फसल चौपट हो गई है, जिससे किसान परेशान हैं. कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन चल रहा है. जिसके कारण बाजार पूरी तरह से बंद है. ऐसे में किसानों ने मेहनत करके फसल को खेतों में एकत्रित कर लिया, लेकिन उस फसल को ढकने के लिए प्लास्टिक भी नहीं खरीद पा रहे हैं.

जालोर की खबर, unseasonal rainfall
बारिश के कारण किसानों के खेतों में खड़ी फसल चौपट
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Published : Mar 27, 2020, 3:28 PM IST

जालोर. बेमौसम बारिश ने किसानों की उम्मीद पर पानी फेर दिया है. गुरुवार से हो रही बारिश के कारण किसानों के खेतों में खड़ी फसल चौपट हो गई है, जिससे किसान परेशान हैं. इससे पहले दिसम्बर और जनवरी महीने में टिड्डियों ने रबी की फसल चौपट कर दी थी. बची हुई इसबगोल, जीरे की फसल को अब बारिश ने बर्बाद कर दिया.

बारिश के कारण किसानों के खेतों में खड़ी फसल चौपट

किसानों ने बताया कि उन्होंने बैंकों और सेठ सहुकारों से कर्ज लेकर बड़ी उम्मीदों के साथ खेतों में बुवाई की थी. मगर बारिश ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है. जनवरी में आई टिड्डी ने आधे से ज्यादा रबी की फसल बर्बाद कर दी थी. उसके बाद अब बची फसल बेमौसम बारिश की भेंट चढ़ गई है.

किसानों का कहना है कि खेतों में खड़ी फसलें अब पकने की अवस्था में आ गई है, कुछ जगह किसानों ने फसल को एकत्रित कर लिया. लेकिन अब बारिश होने से खलिहानों में पड़ी फसल को बर्बाद कर दिया. इस बारिश में सबसे ज्यादा नुकसान ईसबगोल और जीरे की फसल को हुआ है.

सभी उपखंडों में हुई बारिश

गुरुवार को जिले के आहोर, गुड़ाबालोतान, चांदराई, हरजी, रानीवाड़ा, सियाणा, चितलवाना, सायला, भीनमाल, रानीवाड़ा, जसवन्तपुरा, सांचोर व चितलवाना उपखण्ड क्षेत्र के गांवों में कहीं तेज तो कहीं मध्यम बारिश हुई. जिसमें फसलों को काफी नुकसान हुआ है.

30 प्रतिशत इसबगोल जीरे में हुआ नुकसान

किसान नेताओं ने बताया जिले में बेमौसम बारिश के कारण ईसबगोल जीरे की फसल में करीब 40 प्रतिशत नुकसान होने की संभावना है, जबकि रायड़े में 20 प्रतिशत व गेहूं में 10 प्रतिशत का नुकसान हुआ है.

पढ़ें: जालोर जिले के प्रवासियों को लाने का इंतजाम करे सरकार: विधायक

लॉक डाउन के चलते किसानों को नहीं मिल रहा है कोई संसाधन

किसानों ने बताया कि जिले में कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन चल रहा है. जिसके कारण बाजार पूरी तरह से बंद है. ऐसे में किसानों ने मेहनत करके फसल को खेतों में एकत्रित कर लिया, लेकिन उस फसल को ढकने के लिए प्लास्टिक जैसा संसाधन नहीं मिलने के कारण फसल खेतों में खराब हो गई. किसानों ने बताया कि अगर समय पर फसल को ढकने के लिए संसाधन मिल जाता तो मेहनत पर पानी नहीं फिरता.

जालोर. बेमौसम बारिश ने किसानों की उम्मीद पर पानी फेर दिया है. गुरुवार से हो रही बारिश के कारण किसानों के खेतों में खड़ी फसल चौपट हो गई है, जिससे किसान परेशान हैं. इससे पहले दिसम्बर और जनवरी महीने में टिड्डियों ने रबी की फसल चौपट कर दी थी. बची हुई इसबगोल, जीरे की फसल को अब बारिश ने बर्बाद कर दिया.

बारिश के कारण किसानों के खेतों में खड़ी फसल चौपट

किसानों ने बताया कि उन्होंने बैंकों और सेठ सहुकारों से कर्ज लेकर बड़ी उम्मीदों के साथ खेतों में बुवाई की थी. मगर बारिश ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है. जनवरी में आई टिड्डी ने आधे से ज्यादा रबी की फसल बर्बाद कर दी थी. उसके बाद अब बची फसल बेमौसम बारिश की भेंट चढ़ गई है.

किसानों का कहना है कि खेतों में खड़ी फसलें अब पकने की अवस्था में आ गई है, कुछ जगह किसानों ने फसल को एकत्रित कर लिया. लेकिन अब बारिश होने से खलिहानों में पड़ी फसल को बर्बाद कर दिया. इस बारिश में सबसे ज्यादा नुकसान ईसबगोल और जीरे की फसल को हुआ है.

सभी उपखंडों में हुई बारिश

गुरुवार को जिले के आहोर, गुड़ाबालोतान, चांदराई, हरजी, रानीवाड़ा, सियाणा, चितलवाना, सायला, भीनमाल, रानीवाड़ा, जसवन्तपुरा, सांचोर व चितलवाना उपखण्ड क्षेत्र के गांवों में कहीं तेज तो कहीं मध्यम बारिश हुई. जिसमें फसलों को काफी नुकसान हुआ है.

30 प्रतिशत इसबगोल जीरे में हुआ नुकसान

किसान नेताओं ने बताया जिले में बेमौसम बारिश के कारण ईसबगोल जीरे की फसल में करीब 40 प्रतिशत नुकसान होने की संभावना है, जबकि रायड़े में 20 प्रतिशत व गेहूं में 10 प्रतिशत का नुकसान हुआ है.

पढ़ें: जालोर जिले के प्रवासियों को लाने का इंतजाम करे सरकार: विधायक

लॉक डाउन के चलते किसानों को नहीं मिल रहा है कोई संसाधन

किसानों ने बताया कि जिले में कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन चल रहा है. जिसके कारण बाजार पूरी तरह से बंद है. ऐसे में किसानों ने मेहनत करके फसल को खेतों में एकत्रित कर लिया, लेकिन उस फसल को ढकने के लिए प्लास्टिक जैसा संसाधन नहीं मिलने के कारण फसल खेतों में खराब हो गई. किसानों ने बताया कि अगर समय पर फसल को ढकने के लिए संसाधन मिल जाता तो मेहनत पर पानी नहीं फिरता.

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