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जालोर: केंद्र सरकार के निर्देश पर पहले चरण में 6 ब्लॉकों में गठित किए जाएंगे किसान उत्पादक संगठन

केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त तत्वावधान में जालोर में किसान उत्पादक संगठन गठित किए जाएंगे. इसके लिए शुक्रवार को जिला मुख्यालय पर जिला परिषद के सीईओ संजय वासु के मौजूदगी में बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें पहले चरण में 6 ब्लॉकों में संगठन बनाए जाएंगे.

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Published : Feb 19, 2021, 7:40 PM IST

Zilla Parishad CEO Sanjay Vasu in jalore
जिला परिषद CEO के मौजूदगी में बैठक का आयोजन

जालोर. जिले में किसान उत्पादक संगठन एफ.पी.ओ. की बैठक जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय कुमार वासु की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित की गई. जिसमें पहले चरण में जिले के 6 ब्लॉकों का चयन किया गया. जबकि द्वितीय चरण में सभी 10 ब्लॉक का चयन कर जिले में किसान उत्पादक संगठनों का गठन किया जाएगा. जिससे किसानों को उपज का सही मूल्य मिल सकें.

Zilla Parishad CEO Sanjay Vasu in jalore
जिला परिषद CEO के मौजूदगी में बैठक का आयोजन

साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकें. बैठक के दौरान समिति की ओर से विचार-विमर्श कर सहमति से पहले साल में जालोर जिले के 6 ब्लॉकों का चयन किया गया. जिनमें जालोर, आहोर, भीनमाल, सायला, चितलवाना और जसवंतपुरा ब्लॉक में जीरा मिलेट और ऑयल सीड का चयन जिले में स्थापित होने वाले किसान उत्पादक संगठनों के लिए प्रस्तावित किया गया.

नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक जितेंद्र कुमार मीणा ने बताया कि उत्पाद को विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के उत्पादक संगठनों में सामूहिक सबसे कारगर तरीके में से एक है. यह कृषि से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने और निवेश प्रौद्योगिकी व आदान और बाजार तक पहुंच में सुधार के लिए भी प्रभावित तरीका बनकर उभरा है. कृषि और सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय भारत सरकार ने कंपनी अधिनियम के विशेष प्रावधानों के तहत पंजीकृत किसानों तक संगठनों को सबसे उपयुक्त संस्थानिक स्वरूप के रूप में चिन्हित किया है. जिसमें किसानों को संगठित किया जाएगा.

साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों को कुशल लागत प्रभावी और टिकाऊ संसाधनों के उपयोग से उत्पादकता बढ़ाने और सरकार की ओर से समर्थित सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से और शिक्षाविदों अनुसंधान संस्थान और नागरिक समाज और क्षेत्र के सहयोग से अपने उत्पादन के लिए अधिक प्रतिबल पाने में सक्षम बनाता है. इस नीति के प्रावधान कंपनी अधिनियम के तहत और विभिन्न केंद्रीय व राज्य सहकारी समिति कानूनों के तहत पहले से पंजीकृत किसान उत्पादक संगठनों या ऐसे किसान उत्पादक संगठनों पर समान रूप से लागू होंगे जो इस नीति के जारी होने के बाद पंजीकृत होंगे.

पढ़ें: पायलट का पावरगेम : किसान महापंचायत में केंद्र को खरी-खरी...गहलोत गुट को भी दिया बड़ा संदेश

वहीं, 5 साल में 10 हजार किसान उत्पादक संगठन बनाने का लक्ष्य नई नीति में कृषि क्षेत्र की संस्थाओं में विभिन्न केंद्र प्रायोजित व राज्य वित्त पोषित स्कीमों के विभिन्न संसाधनों का प्रयोग करके केंद्र सरकार और राज्य सरकारों व उनकी संस्थाओं की ओर से गठन और विकास को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करके सहायता प्रदान की जाएगी. यह पूरी प्रक्रिया किसान उत्पादक संगठन की ओर से की जाएगी. इस दिशा में अगले 5 वर्षों में केंद्र सरकार की ओर से 10,000 किसान उत्पादक संगठन बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साझेदारों के गठबंधन का निर्माण किया जाएगा. साथ ही यह लक्ष्य समाज के संबंधित संस्थाओं अनुसंधान संगठनों परामर्शदाता क्षेत्र के विकास में योगदान करने में सक्षम किसी अन्य संस्था को शामिल करते हुए संबंधित संवर्धन की ओर से प्राप्त किया किए जा सकते हैं. बैठक में अग्रणी बैंक अधिकारी राजेन्द्र स्वामी, कृषि, पशुपालन, सहकारिता, आत्मा, बागवानी, कृषि विज्ञान केंद्र केशवना सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे.

जालोर. जिले में किसान उत्पादक संगठन एफ.पी.ओ. की बैठक जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय कुमार वासु की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित की गई. जिसमें पहले चरण में जिले के 6 ब्लॉकों का चयन किया गया. जबकि द्वितीय चरण में सभी 10 ब्लॉक का चयन कर जिले में किसान उत्पादक संगठनों का गठन किया जाएगा. जिससे किसानों को उपज का सही मूल्य मिल सकें.

Zilla Parishad CEO Sanjay Vasu in jalore
जिला परिषद CEO के मौजूदगी में बैठक का आयोजन

साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकें. बैठक के दौरान समिति की ओर से विचार-विमर्श कर सहमति से पहले साल में जालोर जिले के 6 ब्लॉकों का चयन किया गया. जिनमें जालोर, आहोर, भीनमाल, सायला, चितलवाना और जसवंतपुरा ब्लॉक में जीरा मिलेट और ऑयल सीड का चयन जिले में स्थापित होने वाले किसान उत्पादक संगठनों के लिए प्रस्तावित किया गया.

नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक जितेंद्र कुमार मीणा ने बताया कि उत्पाद को विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के उत्पादक संगठनों में सामूहिक सबसे कारगर तरीके में से एक है. यह कृषि से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने और निवेश प्रौद्योगिकी व आदान और बाजार तक पहुंच में सुधार के लिए भी प्रभावित तरीका बनकर उभरा है. कृषि और सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय भारत सरकार ने कंपनी अधिनियम के विशेष प्रावधानों के तहत पंजीकृत किसानों तक संगठनों को सबसे उपयुक्त संस्थानिक स्वरूप के रूप में चिन्हित किया है. जिसमें किसानों को संगठित किया जाएगा.

साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों को कुशल लागत प्रभावी और टिकाऊ संसाधनों के उपयोग से उत्पादकता बढ़ाने और सरकार की ओर से समर्थित सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से और शिक्षाविदों अनुसंधान संस्थान और नागरिक समाज और क्षेत्र के सहयोग से अपने उत्पादन के लिए अधिक प्रतिबल पाने में सक्षम बनाता है. इस नीति के प्रावधान कंपनी अधिनियम के तहत और विभिन्न केंद्रीय व राज्य सहकारी समिति कानूनों के तहत पहले से पंजीकृत किसान उत्पादक संगठनों या ऐसे किसान उत्पादक संगठनों पर समान रूप से लागू होंगे जो इस नीति के जारी होने के बाद पंजीकृत होंगे.

पढ़ें: पायलट का पावरगेम : किसान महापंचायत में केंद्र को खरी-खरी...गहलोत गुट को भी दिया बड़ा संदेश

वहीं, 5 साल में 10 हजार किसान उत्पादक संगठन बनाने का लक्ष्य नई नीति में कृषि क्षेत्र की संस्थाओं में विभिन्न केंद्र प्रायोजित व राज्य वित्त पोषित स्कीमों के विभिन्न संसाधनों का प्रयोग करके केंद्र सरकार और राज्य सरकारों व उनकी संस्थाओं की ओर से गठन और विकास को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करके सहायता प्रदान की जाएगी. यह पूरी प्रक्रिया किसान उत्पादक संगठन की ओर से की जाएगी. इस दिशा में अगले 5 वर्षों में केंद्र सरकार की ओर से 10,000 किसान उत्पादक संगठन बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साझेदारों के गठबंधन का निर्माण किया जाएगा. साथ ही यह लक्ष्य समाज के संबंधित संस्थाओं अनुसंधान संगठनों परामर्शदाता क्षेत्र के विकास में योगदान करने में सक्षम किसी अन्य संस्था को शामिल करते हुए संबंधित संवर्धन की ओर से प्राप्त किया किए जा सकते हैं. बैठक में अग्रणी बैंक अधिकारी राजेन्द्र स्वामी, कृषि, पशुपालन, सहकारिता, आत्मा, बागवानी, कृषि विज्ञान केंद्र केशवना सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे.

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