जालोर. जिले में पिछले साल रबी के सीजन में टिड्डी ने हमला कर दिया था. इसके चलते यहां करीब एक लाख से ज्यादा हेक्टेयर में रबी की फसल खराब हुई थी. उस समय जिला प्रशासन और मंत्री सुखराम बिश्नोई की अपील पर हजारों लोगों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों का बीमा करवाया था. बिना लोनिंग वाले किसानों ने ई-मित्र के माध्यम से अपनी फसलों का बीमा करवाया था. लेकिन अब बीमा कंपनी ने बुवाई प्रमाण-पत्र का अभाव बताकर 14 हजार किसानों की 25 हजार पॉलिसी निरस्त कर दी है. ऐसे में किसान एक साल से क्लेम के लिए भटक रहे हैं. लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं दिया गया है.
गौरतलब है कि जिले में पिछले साल रबी की सीजन में सूबे के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई से लेकर तत्कालीन जिला कलेक्टर महेंद्र कुमार सोनी ने गांव-गांव घूमकर किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करवाने को कहा था. मंशा ये थी कि टिड्डी के हमले में चौपट हुई फसल का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत क्लेम मिल सके. मंत्री और कलेक्टर द्वारा जगह-जगह सभा करने का नतीजा ये रहा है कि पूरे प्रदेश में जालोर के 90 प्रतिशत किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेने के लिए पॉलिसी ले ली.
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ई-मित्र कियोस्क से अऋणी किसानों द्वारा करवाए गए फसलों के बीमे में जालोर अव्वल होने के बाद पूरे प्रदेश में जालोर जिला प्रशासन की वाहवाही हुई थी, लेकिन इसके बाद बीमा कंपनी ने जिले के 14 हजार से ज्यादा किसानों की 25 हजार बीमा पॉलिसी को निरस्त कर दिया. इस कारण पिछले एक साल से किसान बर्बाद फसलों के क्लेम को लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन बीमा कंपनी की ओर से कोई जवाब नहीं मिल रहा है. इस बात की जानकारी जिला प्रशासन को मिलने के बाद अब जिला प्रशासन और कृषि विभाग की तरफ से लगातार बीमा कंपनी से पत्र व्यवहार किया जा रहा है.
कृषि विभाग के सहायक उप निदेशक डॉ. आरबी सिंह ने बताया कि जिले में 25 हजार बीमा पॉलिसी के निरस्त होने की जानकारी के बाद बीमा कंपनी एचडीएफसी एग्रो से जानकारी ली तो सामने आया कि बुवाई प्रमाण-पत्र के अभाव में 14 हजार किसानों के 25 हजार बीमा पॉलिसी को राज्य सरकार ने रद्द कर दिया है.
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इस जानकारी के बाद जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता ने भी अपने स्तर पर किसानों को राहत देने के लिए उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया और पटवारियों की मदद से गिरदावरी रिकॉर्ड देखकर बुवाई प्रमाण-पत्र बनाकर बीमा कंपनी को भेजा गया है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
कर्ज लेकर किसानों ने करवाया था फसलों का बीमा
भारी संख्या में नॉन लोनिंग किसानों ने ई-मित्रों के माध्यम से प्रधानमंत्री फसल बीमा करवाया था. उसके बाद बीमा कंपनी ने बुवाई प्रमाण-पत्रों को खारिज करते हुए क्लेम को रिजेक्ट कर दिया था. इस बात की जानकारी मिलने के बाद अब किसानों द्वारा लगातार मांग की जा रही है कि बीमा कंपनी से क्लेम की राशि दिलवाई जाए. इसके बाद जिला प्रशासन भी लगातार कोशिश में जुटा हुआ है, लेकिन अभी तक समाधान नहीं निकला है. किसानों ने बताया कि पिछले साल टिड्डी ने फसल को चौपट कर दिया था. उसके बाद अधिकारियों ने बीमा करवाने की सलाह दी तो कर्ज लेकर अपनी फसलों का बीमा करवाया था. अब ऑनलाइन स्टेटस देखते हैं तो क्लेम रिजेक्ट दिखा रहा है. इसके कारण उनको परेशान होना पड़ रहा है.
कई किसानों के नाम ना तो स्वीकृत और ना ही रिजेक्ट
जालोर में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों ने अपनी फसलों का बीमा करवाया था. लेकिन, बाद में बीमा कंपनी ने हजारों की तादाद में बीमा पॉलिसी को रिजेक्ट कर दिया है. उसके बाद जिन लोगों की पॉलिसी रिजेक्ट हुई है, उनका रिजेक्ट की लिस्ट में नाम आ रहा है. लेकिन, सैंकड़ों किसान ऐसे भी हैं, जिनका नाम ना तो रिजेक्ट की लिस्ट में है और ना ही स्वीकृत की लिस्ट में है. ऐसे किसानों ने बताया कि हमने हजारों रुपये की प्रीमियम राशि भरी है, लेकिन कंपनी ने हमारे नाम की पॉलिसी को ही गायब कर दिया है.