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जोधपुर संभाग के ग्रामीण क्षेत्र में पहला कंपोनेंट ब्लड बैंक सांचौर में बनकर तैयार, 14 नवबंर को हो सकती है शुरुआत

जालोर के सांचोर क्षेत्र में कंपोनेंट ब्लड बैंक खुलने जा रहा है, जिसकी तैयारियां पूरी हो चुकी है. केंद्र सरकार की टीम ने निरीक्षण कर लिया है. कुछ कागजी प्रक्रिया के बाद यह ब्लड बैंक 14 नवम्बर के आसपास विधिवत शुरू हो जाएगा. इस ब्लड बैंक में 1 हजार यूनिट ब्लड स्टोर रखने की क्षमता है.

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Published : Nov 6, 2019, 2:30 PM IST

जालोर. जिले के सांचोर क्षेत्र पर कई दर्जनों बार सड़क हादसों में या डिलीवरी में प्रसूताओं की मौत ब्लड समय पर नहीं मिल पाने से हो गई है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. बता दें कि सांचोर के एक निजी अस्पताल में जोधपुर संभाग के ग्रामीण क्षेत्र की सबसे बड़ी ब्लड बैंक खुलने जा रही है, जिसकी तैयारियां पूरी हो चुकी है.

जोधपुर संभाग के ग्रामीण क्षेत्र में पहली कंपोनेंट ब्लड बैंक

वहीं केंद्र सरकार की टीम अस्पताल का निरीक्षण करके भी चली गई है, अब जल्द ही इस कंपोनेंट ब्लड बैंक का शुभारंभ किया जाएगा. जिसके बाद इस क्षेत्र के साथ जालोर और बाड़मेर जिले के मरीजों को निशुल्क ब्लड या फिर ब्लड के बदले ब्लड आसानी से उपलब्ध हो सकेगा.

खास बात यह है कि मरीज को जिस प्रकार के ब्लड की जरुरत होगी, वैसा ब्लड यहां मिल सकेगा. इसके लिए ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन लगाई गई है. जिसकी सहायता से एक यूनिट ब्लड से चार लोगों की जिंदगी को बचाया जा सकता है.

क्या है कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट

ब्लड में 4 कंपोनेंट होते हैं, इनमें रेड ब्लड सेल (आरबीसी), प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट शामिल हैं. सेपरेशन यूनिट में ब्लड को घुमाया जाता है. इससे ब्लड परत दर परत हो जाता है और आरबीसी, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट अलग-अलग हो जाते हैं. जरुरत के मुताबिक इनको निकाल लिया जाता है.

बी लाल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. बाबू लाल बिश्नोई ने बताया कि बीसीएस मशीन से ब्लड बैंक में आरबीसी को सेगम मशीन की सहायता से 42 दिन तक, 2 डिग्री सेंटीग्रेड से 6 डिग्री सेंटीग्रेड पर रखकर सुरक्षित रखा जा सकेगा. एफएफपी-फ्रेश फ्रोजन प्लाजमा- इसको डी फ्रिजर में 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर रख एक साल तक सुरक्षित रखा जा सकेगा. इसका उपयोग बर्न केस और हेपेटिक सर्जरी में होता है. प्लेटलेट्स को पांच दिन तक 20 से 24 सेंटीग्रेड पर रखकर लगातार इसको हिलाते रहने वाली मशीन में रखकर सुरक्षित रखा जा सकता है. इसका प्रयोग ल्यूकोमा, कैंसर, डेंगू, बोन मैरो में आता है.

यह भी पढ़ें : दिल्ली में वकीलों का हंगामा जारी, आत्मदाह का प्रयास

जोधपुर शहर के अलावा कहीं नहीं है यह सुविधा

जोधपुर संभाग में जोधपुर शहर को छोड़कर बाकी के 6 जिलों में कंपोनेंट ब्लड बैंक की सुविधा नहीं है. सभी जिला अस्पताल में होल ब्लड बैंक की सुविधा है, जिसमें ब्लड को बिना ट्रांसफॉर्मेशन किये सीधे मरीज को चढ़ाया जाता है. इसमें कई बार रिएक्शन होने का खतरा रहता है, लेकिन कंपोनेंट ब्लड बैंक सेपरेटर मशीन की मदद से मरीज को जिस ब्लड की जरुरत होगी उसे वैसा ब्लड चढ़ाया जाएगा.

इसकी खास बात यह है कि यह निजी अस्पताल में होते हुए भी इसकी बिल्कुल निशुल्क व्यवस्था होगी. ब्लड के बदले ब्लड होता है तो ठीक है, लेकिन अगर किसी के पास ब्लड नहीं है और इमरजेंसी है तो बिल्कुल निशुल्क ब्लड उपलब्ध करवाया जाएगा.

जालोर. जिले के सांचोर क्षेत्र पर कई दर्जनों बार सड़क हादसों में या डिलीवरी में प्रसूताओं की मौत ब्लड समय पर नहीं मिल पाने से हो गई है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. बता दें कि सांचोर के एक निजी अस्पताल में जोधपुर संभाग के ग्रामीण क्षेत्र की सबसे बड़ी ब्लड बैंक खुलने जा रही है, जिसकी तैयारियां पूरी हो चुकी है.

जोधपुर संभाग के ग्रामीण क्षेत्र में पहली कंपोनेंट ब्लड बैंक

वहीं केंद्र सरकार की टीम अस्पताल का निरीक्षण करके भी चली गई है, अब जल्द ही इस कंपोनेंट ब्लड बैंक का शुभारंभ किया जाएगा. जिसके बाद इस क्षेत्र के साथ जालोर और बाड़मेर जिले के मरीजों को निशुल्क ब्लड या फिर ब्लड के बदले ब्लड आसानी से उपलब्ध हो सकेगा.

खास बात यह है कि मरीज को जिस प्रकार के ब्लड की जरुरत होगी, वैसा ब्लड यहां मिल सकेगा. इसके लिए ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन लगाई गई है. जिसकी सहायता से एक यूनिट ब्लड से चार लोगों की जिंदगी को बचाया जा सकता है.

क्या है कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट

ब्लड में 4 कंपोनेंट होते हैं, इनमें रेड ब्लड सेल (आरबीसी), प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट शामिल हैं. सेपरेशन यूनिट में ब्लड को घुमाया जाता है. इससे ब्लड परत दर परत हो जाता है और आरबीसी, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट अलग-अलग हो जाते हैं. जरुरत के मुताबिक इनको निकाल लिया जाता है.

बी लाल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. बाबू लाल बिश्नोई ने बताया कि बीसीएस मशीन से ब्लड बैंक में आरबीसी को सेगम मशीन की सहायता से 42 दिन तक, 2 डिग्री सेंटीग्रेड से 6 डिग्री सेंटीग्रेड पर रखकर सुरक्षित रखा जा सकेगा. एफएफपी-फ्रेश फ्रोजन प्लाजमा- इसको डी फ्रिजर में 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर रख एक साल तक सुरक्षित रखा जा सकेगा. इसका उपयोग बर्न केस और हेपेटिक सर्जरी में होता है. प्लेटलेट्स को पांच दिन तक 20 से 24 सेंटीग्रेड पर रखकर लगातार इसको हिलाते रहने वाली मशीन में रखकर सुरक्षित रखा जा सकता है. इसका प्रयोग ल्यूकोमा, कैंसर, डेंगू, बोन मैरो में आता है.

यह भी पढ़ें : दिल्ली में वकीलों का हंगामा जारी, आत्मदाह का प्रयास

जोधपुर शहर के अलावा कहीं नहीं है यह सुविधा

जोधपुर संभाग में जोधपुर शहर को छोड़कर बाकी के 6 जिलों में कंपोनेंट ब्लड बैंक की सुविधा नहीं है. सभी जिला अस्पताल में होल ब्लड बैंक की सुविधा है, जिसमें ब्लड को बिना ट्रांसफॉर्मेशन किये सीधे मरीज को चढ़ाया जाता है. इसमें कई बार रिएक्शन होने का खतरा रहता है, लेकिन कंपोनेंट ब्लड बैंक सेपरेटर मशीन की मदद से मरीज को जिस ब्लड की जरुरत होगी उसे वैसा ब्लड चढ़ाया जाएगा.

इसकी खास बात यह है कि यह निजी अस्पताल में होते हुए भी इसकी बिल्कुल निशुल्क व्यवस्था होगी. ब्लड के बदले ब्लड होता है तो ठीक है, लेकिन अगर किसी के पास ब्लड नहीं है और इमरजेंसी है तो बिल्कुल निशुल्क ब्लड उपलब्ध करवाया जाएगा.

Intro:जिले के सांचोर क्षेत्र में कंपोनेंट ब्लड बैंक खुलने जा रहा है।जिसकी तैयारियां पूरी हो चुकी है। केंद्र सरकार की टीम ने निरीक्षण कर लिया है। कुछ कागजी प्रक्रिया के बाद यह ब्लड बैंक 14 नवम्बर के आसपास विधिवत शुरू हो जाएगा। इस ब्लड बैंक में 1000 यूनिट ब्लड स्टोर रखने की क्षमता है। इसका संचालन शुरू होने के बाद इस क्षेत्र के लोगों को काफी फायदा मिलेगा।





Body:जोधपुर संभाग के ग्रामीण क्षेत्र में पहली कंपोनेंट ब्लड बैंक सांचोर में बनकर तैयार, 14 नवम्बर को हो सकती है शुरुआत
जालोर
जिले का सबसे दुर्गम व दूरस्थ सांचोर उपखण्ड क्षेत्र जहां पर कई दर्जनों बार सड़क हादसों में आम लोगों की या डिलीवरी में प्रसूताओं की मौत ब्लड समय पर नहीं मिल पाने से हो गई है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इस आधुनिकता के जमाने के साथ विकास की राह पर दौड़ते सांचोर के एक निजी अस्पताल बी लाल हॉस्पिटल में जोधपुर संभाग के ग्रामीण क्षेत्र की सबसे बड़ी ब्लड बैंक खुलने जा रही है। जिसकी तैयारियां पूरी हो चुकी है। केंद्र सरकार की टीम अस्पताल का निरीक्षण करके भी चली गई है, अब जल्द ही इस कंपोनेंट ब्लड बैंक का शुभारंभ कर दिया जाएगा। जिसके बाद इस क्षेत्र के साथ जालोर व बाड़मेर जिले के मरीजों को निशुल्क ब्लड के बदले ब्लड आसानी से उपलब्ध हो सकेगा और खास बात तो यह रहेगी कि मरीज को जिस प्रकार के ब्लड की जरूरत होगी, वैसा ब्लड मिल सकेगा। इसके लिए ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन लगाई गई है। जिसकी सहायता से एक यूनिट ब्लड से चार लोगों की जिंदगी को बचाया जाएगा।

क्या है कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट
ब्लड में 4 कंपोनेंट होते हैं। इनमें रेड ब्लड सेल (आरबीसी), प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट शामिल हैं। सेपरेशन यूनिट में ब्लड को घुमाया (मथा) जाता है। इससे ब्लड परत दर परत (लेयर बाई लेयर) हो जाता है और आरबीसी, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट अलग-अलग हो जाते हैं। जरूरत के मुताबिक इनको निकाल लिया जाता है। निकाले गए रक्त के प्रत्येक तत्व की अलग-अलग जीवन अवधि होती है। एक यूनिट 3 से 4 लोगों की जरूरत पूरी कर सकती है। बी लाल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. बाबू लाल बिश्नोई ने बताया कि बीसीएस मशीन से ब्लड बैंक में आरबीसी को सेगम मशीन की सहायता से 42 दिन तक, 2 डिग्री सेंटीग्रेड से 6 डिग्री सेंटीग्रेड पर रखकर सुरक्षित रखा जा सकेगा। एफएफपी- फ्रेल फ्रोजल प्लाजमा- इसको डी फ्रिजर में 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर रख एक साल तक सुरक्षित रखा जा सकेगा। इसका उपयोग बर्नकेस और हेपेटिक सर्जर में होता है। प्लेटलेट्स- इसको पांच दिन तक 20 से 24 सेंटीग्रेड पर रखकर लगातार इसको हिलाते रहने वाली मशीन में रखकर सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका प्रयोग ल्यूकिमा कैंसर, डेंगू, बोनमैरो में आता है। क्राउसीटीपएट- इसको एक साल तक डीप फ्रिजर में 30 सेंटीग्रेड तापमान पर रख सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका उपयोग हीमोफीलिया फ्रीब्रारिन जिमीया में काम आता है।

जोधपुर शहर के अलावा कहीं नहीं है यह सुविधा
जोधपुर संभाग में जोधपुर शहर को छोड़कर बाकी के 6 जिलों में कंपोनेंट ब्लड बैंक की सुविधा नहीं है। सभी जिला अस्पताल में होल ब्लड बैंक की सुविधा है, जिसमें ब्लड को बिना ट्रांस्फोरमेशन किये सीधे मरीज को चढ़ाया जाता है। जिसमें कई बार रीएक्शन होने का खतरा रहता है, लेकिन
कंपोनेंट ब्लड बैंक सेपरेटर मशीन से ब्लड ट्रांस्फोरमेशन हो जाने से मरीज को जिस प्रकार के ब्लड की जरूरत होगी, वो ही चढ़ाया जाएगा।
बाईट- डॉ बाबू लाल बिश्नोई, निदेशक बी लाल ब्लड बैंक सांचोर
जालोर से विक्रम गर्ग की रिपोर्ट

Conclusion:
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