जालोर. जिले में जालोर सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक द्वारा ई-मित्रों को दी गई बीसी सर्विस को बंद करने के बाद किसानों को काफी परेशान होना पड़ रहा है. ऐसे में अब किसान सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक की ब्रांचों के चक्कर काटने को मजबूर हो रहे हैं. लेकिन वहां पर भी भीड़ ज्यादा होने के कारण किसानों का काम नहीं हो पा रहा है.
गौरतलब है कि किसानों के खरीफ और रबी की फसल के लिए लोन का लेन-देन ई-मित्र स्थित बीसी के जरिए हो जाया करता था. लेकिन कुछ दिन पहले अचानक बैंक प्रबंधन ने बीसी की लिमिट को घटाकर जीरो कर दिया. इसके बाद अब बीसी सर्विस से ई-मित्र संचालक किसी प्रकार की लेन-देन नहीं कर पा रहे हैं. परेशान होकर ई-मित्र संचालकों ने कुछ दिन कलेक्टर महेंद्र कुमार सोनी को ज्ञापन दिया और बीसी को वापस शुरू करने की मांग की, लेकिन फिर भी बैंक द्वारा बीसी को वापस शुरू नहीं किया गया.
ई-मित्रों पर बीसी चलाने वाले युवाओं ने बताया कि जालोर सेंट्रल बैंक ने ई-मित्र संचालकों पर ये आरोप लगाते हुए बीसी की लेन-देन की लिमिट को जीरो कर दिया कि बीसी चलाने वाले बैंक की छवि को धूमिल कर रहे हैं. वहीं, ई-मित्र संचालकों ने बताया कि वो पिछले कई साल से राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक, स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा सहित अन्य बैंकों की बीसी चला रहे हैं, लेकिन किसी भी बैंक ने ऐसा आरोप नहीं लगाया है और ना ही किसी बैंक की छवि अभी तक धूमिल हुई है.
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ई-मित्र संचालकों ने बैंक प्रबंधन पर आरोप लगाया कि सहकारी समिति के व्यवस्थापकों के इशारों पर ई-मित्रों से बीसी को बंद किया गया है. उन्होंने बताया कि पहले किसानों को सहकारी समिति के व्यवस्थापकों के पीछे पैसे लेने के लिए चक्कर निकालने पड़ते थे, लेकिन अब बैंक की बीसी से किसान अपना पैसा निकाल लेते हैं. इससे व्यवस्थापकों की कमाई बंद हो गई है. इस कारण उन्होंने झूठी शिकायत दर्ज करवाकर जालोर सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक की बीसी को ही बंद करवाया है.
साथ ही ई-मित्र संचालकों ने बताया कि दो महीने पहले बीसी देते समय बैंक ने कई प्रकार के संसाधन खरीदने को कहा था. इसके बाद ई-मित्र संचालकों ने लाखों रुपये खर्च कर लैपटॉप, मोरपो और करंट खाता खुलवाने के लिए दर्जनों बार बैंक के चक्कर लगाए थे. लेकिन अब बीसी बंद करने से ये सब बेकार हो गया है.
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रणनीति के तहत जीरो की गई बीसी की लिमिट
इस बार प्रदेश में राज्य सरकार ने ग्राम सेवा सहकारी समितियों के बजाय ऑनलाइन तरीके से किसानों को खरीफ फसल का लोन देने का प्रावधान शुरू किया था, लेकिन सहकारी समिति ऑनलाइन नहीं होने और सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक की शाखाओं की कमी के कारण बैंक द्वारा किसानों की सहूलियत के लिए ई-मित्रों पर बीसी खोली गई थी. इससे किसान अपने खरीफ फसल के ऋण की राशि निकाल सकता था, लेकिन अब रणनीति के तहत बैंक ने बीसी को बंद कर दिया. पहले बैंक ने बीसी पर प्रतिदिन लेनदेन की लिमिट 5 लाख रुपये थी, जो बाद में घटाकर 4 लाख रुपये कर दी गई. इसके बाद फिर से घटाकर 20 हजार कर दी गई और फिर अचानक ही पहले सूचना दिए बिना ही बैंक ने बीसी की लिमिट को जीरो कर दिया. अब बीसी से लेन-देन पूर्णतया बंद है.