जालोर. भारतमाला परियोजना (Bharatmala Project) के तहत नेशनल हाइवे 754 K गुजरात (National Highway 754 K Gujarat) के जामनगर से लेकर अमृतसर तक का निर्माण प्रस्तावित है. इसके लिए तीन साल पहले जमीन अवाप्ति के नोटिस जारी किए थे. उसके बाद लगातार तीन साल से किसान मुआवजा (farmer compensation) गुजरात और हरियाणा की तर्ज पर राजस्थान में बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक राजस्थान सरकार ने किसानों की अवाप्त जमीन का मुआवजा नहीं बढ़ाया है. जिससे किसान नाराज चल रहे हैं.
वहीं पिछले कुछ दिनों से भारतमाला परियोजना के अधिकारियों ने स्थानीय उपखण्ड प्रशासन के सहयोग से किसानों के खेतों में जबरन कार्य शुरू कर दिया है. जिसके कारण किसान हाइवे निर्माण के विरोध में उतरे और निर्माण कार्य को रुकवा दिया.
किसानों ने बताया कि भारतमाला परियोजना (Bharatmala Project) के तहत इस एक्सप्रेस वे को करीब तीन साल पहले प्रस्तावित किया गया था, तब विरोध करते हुए नेशनल हाइवे 68 पर इस एक्सप्रेस वे को निकालने की मांग की थी. उसी मांग को लेकर किसानों का प्रतिनिधि मंडल दिल्ली में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Transport Minister Nitin Gadkari) से भी मिला था. उस समय किसानों को आश्वासन दिया गया था कि हाइवे को नेशनल हाइवे 68 पर निकालने के लिए दूसरी बार सर्वे करवाया जाएगा, लेकिन अभी तक कोई सर्वे नहीं हुआ है.
अब स्थानीय प्रशासन ने पुलिस के सहयोग से जबरन सड़क निकालने का कार्य शुरू कर दिया है. जिसके कारण किसानों ने विरोध करते हुए कार्य रुकवाया है. अब किसानों का प्रतिनिधि मंडल वापस मुआवजा बढ़ाने की मांग को लेकर जिला कलेक्टर नम्रता से मिलेगा. जिसके बाद अगर किसानों की मांग को नहीं माना गया तो किसानों की ओर से वापस आंदोलन शुरू किया जाएगा.
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गुजरात हरियाणा में जमीन का मुआवजा एक करोड़ से ज्यादा, यहां पर मात्र कुछ लाख
किसानों ने बताया कि भारतमाला परियोजना के तहत बन रहे इस हाइवे में जमीन अवाप्त की गई है. वहां पर किसानों को एक हेक्टेयर का सवा करोड़ रुपए मुआवजा दिया जा रहा है जबकि राजस्थान में एक हेक्टेयर जमीन का मात्र 4 से 5 लाख तक मुआवजा दिया जा रहा है. ऐसे में किसान आरोप लगा रहे हैं कि एक ही प्रोजेक्ट में हरियाणा और गुजरात में बाजार दर की चार गुना मुआवजा राशि दी जा रही है तो राजस्थान में क्यों नहीं दी जा सकती है.
नर्मदा कमांड क्षेत्र की है पूरी जमीन
भारतमाला परियोजना के तहत बन रही सड़क में सांचोर और चितलवाना के दर्जनों गांव प्रभावित हो रहे हैं. जिसमें ज्यादातर गांवों में जमीन नर्मदा नहर से सिंचित है. कमांड क्षेत्र की बेशकीमती जमीन को सरकार कौड़ियों के भाव खरीद रही है.