जालोर. जिले कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लागू है. वहीं गरीबों के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा राहत पैकेज की घोषणा की दी लेकिन दिहाड़ी मजदूरों के पास अभी तक सरकारी सहायता नहीं पहुंची है. जिसके बाद जिले में सरकारी सहायता के नहीं मिलने के बाद जरूरतमंद परिवारों की मदद के लिए भामाशाह सामने आए. अब भामाशाह जिले में सैकड़ों परिवारों को राशन सामग्री वितरित कर रहे हैं.
पूरे देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में शहरों और गांवों के रोजगार ठप पड़े हैं. वहीं सैकडों दिहाड़ी मजदूरों और मांग कर खाने वालों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. गांवों में सबसे ज्यादा हालात खराब हैं. ग्रामीण सरकारी सहायता को तरसते नजर आएं. जिसके बाद जब सरकारी सहायता समय पर पहुंचती नजर नहीं आई तो स्थानीय भामाशाहों को आगे आना पड़ा. अब भामाशाह गांवों और शहरों में जरूरतमंद लोगों के खानेपीने की व्यवस्था करवा रहे हैं.
भामाशाह कर रहे हैं बढ़चढ़ कर सहयोग
जिले के ज्यादातर गांवों में अभी तक सरकारी तौर पर कोई राहत सामग्री नहीं पहुंची है. भामाशाह बढ़चढ़ कर लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं. भारत विकास परिषद जैसे संस्थान बड़े स्तर और मदद के लिए हजारों पैकेट खाने के लोगों को मुहैया करवा रहे हैं. वहीं डूंगरी गांव में भामाशाह खेताराम खीचड़, रमेश जाखड़, राशन डीलर मोहन जाखड़, मोहन सारण व शेरपूरा गांव में हीरालाल बेनीवाल 350 ने जरूरतमंद लोगों को राशन सामग्री वितरित की.
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केंद्र सरकार द्वारा अरबों का राहत पैकेज की घोषणा के बाद जिले के गांवों में लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी मजदूर और मांग कर खाने वाले लोगों के हालात जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने कई गांवों का दौरा किया. जिसके बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आएं. कई परिवार गांवों में ऐसे मिलें जिन्हें सरकारी सहायता के नाम पर कुछ नहीं मिला है. वहीं गरीबों की लाचारी देखकर भामाशाह जरूर मदद के लिए आगे आ रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वे घरों में कई दिनों से लोग जैसे-तैसे गुजारा कर रहे हैं.
ग्रामीण मोतीनाथ ने बताया कि पहले वह घरों में मांगकर परिवार का पेट पालते थे लेकिन कोरोना बीमारी के कारण अब लोग घरों में आने भी नहीं देते हैं. जिसके कारण अब परिवार का पेट पालना मुश्किल हो गया है. ऐसे में अब कुछ भामाशाह सहयोग कर रहे हैं. जिससे घर के लोगों के पेट की भूख मिट रही है.