जैसलमेर. देश दुनिया में अपनी कला, संस्कृति और परंपराओं के लिए विख्यात राजस्थान की स्वर्णनगरी इन दिनों होली के सतरंगी रगों से सराबोर नजर आ रही है. स्वर्णनगरी में होली का त्योहार मनाने का अंदाज अपने आप में निराला है. इसके कारण देश-विदेश से बड़ी संख्या में सैलानी भी जैसलमेर पहुंचते हैं. इस बार भी ये सिलसिला शुरू हो चुका है.
भीषण गर्मी में भी उत्साह का माहौल : भीषण गर्मी का दौर शुरू होने के साथ ही पारा 30 डिग्री के आसपास पहुंच गया है. इसके बावजूद पर्यटन सीजन से पहले बड़ी संख्या में यूरोपियन देशों से सैलानियों का स्वर्णनगरी आना यहां के पर्यटन के लिए काफी सुखद दौर माना जा रहा है. इससे यहां के व्यवसायियों में भी उत्साह का माहौल है. सुबह से शाम तक यहां के पर्यटन स्थलों पर सैलानियों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. बड़ी संख्या में सैलानी स्वर्णनगरी के पर्यटन स्थलों का दीदार कर रहे हैं. पर्यटकों का कहना है कि इस बार जैसलमेर में होली पर रंगों के साथ धमाल मचाएंगे.
कोरोना के बाद पहली बार इतनी भीड़ : स्वर्णनगरी में होली मनाने के लिए हर साल विदेशी सैलानी पहुंचते हैं. कोरोना के कारण करीब दो साल के लंबे अंतराल के बाद इस बार विदेशी सैलानी होली मनाने के लिए स्वर्णनगरी पहुंचे हैं. बड़ी संख्या में आए पर्यटकों ने यहां के व्यवसायियों सहित आम लोगों के चेहरे भी खिला दिए हैं. ऐसे में होटल्स व रिसोर्ट में होली का पर्व मनाने को लेकर कई तरह की व्यवस्थाएं की गई हैं.
गैरों की मस्ती में डूबे लोग : गत एकादशी के दिन से सोनार दुर्ग स्थित नगर आराध्य भगवान श्री लक्ष्मीनाथ के मंदिर में फाग खेला गया. इसके बाद स्थानीय पुष्करणा समाज की विभिन्न जातियों की गैरों (जुलूस) ने होली की मस्ती में चार चांद लगा दिए. पिछले दो दिनों के दौरान ये गैरे सजातीय अपने भाई बंधुओं के शहर भर में अवस्थित घरों तक पहुंची तो पूरा शहर होली के रंग में रंग गया.
मरुप्रदेश के लोक जीवन में विभिन्न पर्वों, त्योहारों और मेलों की भांति होली पर गीत संगीत की सरिता प्रवाहित होती रही. होली की पूर्व संध्या पर पुष्करणा ब्राह्मणों की परंपरागत गोठों का भी आयोजन हुआ. गड़ीसर तालाब की पाल पर स्थित विभिन्न बगेचियों में शाम ढलने से देर रात तक बड़ी तादाद में स्त्री पुरुषों के साथ बच्चों ने इन सामूहिक गोठों में हर्षोल्लास के साथ शिरकत की और एक दूसरे को होली की अग्रिम शुभकामनाएं दी.
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धूलंडी के दिन सजेगा बादशाह और शहजादे का दरबार : स्वर्णनगरी के मुख्य पर्यटन स्थल सोनार दुर्ग में धुलंडी के दिन यानी मंगलवार को पुष्करणा व्यास जाति के लोगों की ओर से बादशाह और शहजादा का स्वांग जैसलमेर की परम्परा का निर्वहन किया जाएगा. रियासतकाल से चल रही यह परम्परा आज भी बरकरार है. इसमें व्यास जाति के एक शादीशुदा व्यक्ति को बादशाह व पास में एक या दो बालकों को शहजादों के रूप में बिठाया जाता है. दूसरी ओर पुरोहित कुंड पाड़ा से गैर लेकर मंदिर पैलेस की तरफ जाते हैं तो बीच में ही चूड़ीघरों के आसपास चैनपुरा से शिव पार्वती के स्वांग के रूप में आई गैरों का आपस में मिलन हो जाता है. इसके बाद सभी एक साथ मंदिर पैलेस पहुंचकर जैसलमेर के पूर्व महारावल के समक्ष होली के गीत गाते हैं.
होली पर्व को लेकर पुलिस के पुख्ता प्रबंध : स्वर्णनगरी में होली पर्व के मद्देनजर स्थानीय पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा व शांति व्यवस्था को लेकर पुख्ता प्रबंध किए गए हैं. शहर के सभी पर्यटन स्थलों के साथ साथ गली-मोहल्ले व बजारों में पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल की तैनाती की गई है. इसके साथ ही सिविल ड्रेस में भी पुलिस हर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. साथ ही रात्रि में भी गश्त बढ़ाई गई है. पुलिस अधीक्षक के निर्देषानुसार सभी थाना स्तर पर सीएलजी सदस्यों की बैठकें भी आयोजित की गई हैं, ताकि होली के जश्न में किसी प्रकार का खलल न हो.