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बच्चे नहीं फिर भी स्कूल जाने को मजबूर शिक्षक, वर्क फ्रॉम होम की उठाई मांग

कोराना काल में स्कूल-कॉलेजों को विद्यार्थियों के लिए बंद रखने का निर्देश दिया गया है. इसके बाद भी शिक्षकों को रोजाना स्कूल बुलाया जा रहा है. प्रदेश भर में लाखों की संख्या में शिक्षक स्कूल जा रहे हैं जबकि कक्षाएं खाली रहती हैं.शिक्षक संगठनों की ओर से इसका विरोध करने के साथ वर्क फ्रॉम होम कराने पर जोर दिया जा रहा है.

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Published : Aug 27, 2020, 5:11 PM IST

Teacher forced to go to school even though no child
बच्चे नहीं फिर भी स्कूल जाने को मजबूर शिक्षक

जैसलमेर. सरकारी आदेशों के चलते वैश्विक महामारी कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच बिना विद्यार्थियों के भी शिक्षकों को स्कूल जाना पड़ रहा है. प्रदेश के लाखों शिक्षक रोजाना विद्यालय आ रहे हैं. इस फरमान का तमाम शिक्षक संगठनों की ओर से विरोध किया जा रहा है.

बच्चे नहीं फिर भी स्कूल जाने को मजबूर शिक्षक

कोरोना संक्रमण से प्रदेश के हर जिले का गांव या शहरी हिस्सा अछूता नहीं रह गया है. कोरोना संक्रमण के कारण स्कूलों में अवकाश चल रहा है. शिक्षकों को विद्यालय में तय समय में रहने के फरमान का कई संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है. क्योंकि केंद्र की गाइडलाइन के विरुद्ध शिक्षकों को वर्क फ्रॉम होम की बजाय स्कूल बुलाया जा रहा है. केंद्र की गाइडलाइन के चलते राजस्थान में भी 31 अगस्त तक सभी स्कूल-कॉलेज, शिक्षण संस्थाएं बंद है, लेकिन सरकारी अध्यापकों को विद्यालय बुलाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: 31000 पदों पर होने वाली REET परीक्षा पर संशय के बादल, बेरोजगार कर रहे इंतजार

राजस्थान शिक्षक एवं पंचायती राज कर्मचारी संघ के प्रदेश मंत्री प्रकाश विश्नोई ने कहा कि अभी कोरोना काल में स्कूलों में विद्यार्थियों का आना बंद है और अन्य गतिविधियां भी संचालित नहीं हो रही हैं. केवल ऑनलाइन क्लासेज चलाई जा रहीं हैं. यह कार्य तो शिक्षक घर से भी कर सकते हैं. विश्नोई ने कहा कि केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार शैक्षणिक स्टाफ को वर्क फ्रॉम होम के जरिए काम करवाना चाहिए लेकिन केवल राजस्थान में ही शिक्षकों को स्कूलों में बुलाया जा रहा है.

Class rooms are empty due to school closure
स्कूल बंद होने से खाली पड़े क्लास रूम

उन्होंने कहा कि राजस्थान में लगभग चार लाख से अधिक शिक्षक हैं जिन्हें कोरोना काल में भी स्कूल जाना पड़ रहा है. उनका कहना है कि सबसे ज्यादा परेशानी दूर दराज के स्कूलों में ड्यूटी कर रहे शिक्षक-शिक्षिकाओं को हो रही है. उनके कोरोना संक्रमित होने का भी खतरा बना रहता है. शिक्षक संघ का कहना है कि अपील है कि राजस्थान सरकार को केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार ही शैक्षणिक स्टाफ को भी वर्क फ्रॉम होम का आदेश जारी कर देना चाहिए. जब छात्र-छात्राएं विद्यालय नहीं आ रहे हैं तो अध्यापकों को स्कूल बुलाना उचित नहीं है.

यह भी पढ़ें: भीलवाड़ाः NSUI का अनोखा प्रदर्शन, कबूतर द्वारा CM को भेजा संदेश

क्या है केंद्र सरकार की गाइडलाइन

  • पिछले 29 जुलाई को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा एडवाइजरी जारी कर 31 अगस्त तक सभी शिक्षण संस्थाएं बंद रखते हुए शैक्षणिक स्टाफ को वर्क फ्रॉम होम करवाने का कहा गया है.
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर केंद्रीय गाइडलाइन के मुताबिक सभी शिक्षण संस्थाओं को बंद रखते हुए स्टाफ को भी नहीं बुलाते हुए वर्क फ्रॉम होम से कार्य संपादन के लिए कहा है.
  • इस आदेश पर प्रदेश सरकार ने विद्यार्थियों के आने पर तो रोक लगा दी लेकिन शिक्षक व स्टाफ को लगातार स्कूल बुलाया जा रहा है.

    जिले की फैक्ट फाइल
  • 721 राजकीय प्राथमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं जैसलमेर जिले में.
  • 255 राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं जिले में.
  • 6,000 से अधिक शिक्षक व मंत्रालय कर्मचारी जिले में दे रहे हैं सेवाएं.

प्रदेश में 4 लाख से अधिक है सरकारी अध्यापक

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 4 लाख से ज्यादा का स्टाफ है जिसे संक्रमण काल में बिना विद्यार्थियों के स्कूल जाना पड़ रहा है. इनमें लगभग 50% महिला कर्मचारी हैं. संघ के प्रदेश मंत्री ने कहा है कि राजकीय विद्यालयों में 31 अगस्त तक अवकाश है और आगे भी विद्यार्थियों के लिए स्कूल खोले जाने को लेकर स्थिति साफ नहीं है. वहीं प्रदेश में कोरोना संक्रमण बढ़ता जा रहा है जिसमें शैक्षणिक तथा कार्यालय स्टाफ के भी पॉजिटिव आने के प्रकरण सामने आए हैं. ऐसे में शैक्षणिक स्टाफ को विद्यालय न बुलाकर वर्क फ्रॉम होम कराना चाहिए.

जैसलमेर. सरकारी आदेशों के चलते वैश्विक महामारी कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच बिना विद्यार्थियों के भी शिक्षकों को स्कूल जाना पड़ रहा है. प्रदेश के लाखों शिक्षक रोजाना विद्यालय आ रहे हैं. इस फरमान का तमाम शिक्षक संगठनों की ओर से विरोध किया जा रहा है.

बच्चे नहीं फिर भी स्कूल जाने को मजबूर शिक्षक

कोरोना संक्रमण से प्रदेश के हर जिले का गांव या शहरी हिस्सा अछूता नहीं रह गया है. कोरोना संक्रमण के कारण स्कूलों में अवकाश चल रहा है. शिक्षकों को विद्यालय में तय समय में रहने के फरमान का कई संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है. क्योंकि केंद्र की गाइडलाइन के विरुद्ध शिक्षकों को वर्क फ्रॉम होम की बजाय स्कूल बुलाया जा रहा है. केंद्र की गाइडलाइन के चलते राजस्थान में भी 31 अगस्त तक सभी स्कूल-कॉलेज, शिक्षण संस्थाएं बंद है, लेकिन सरकारी अध्यापकों को विद्यालय बुलाया जा रहा है.

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राजस्थान शिक्षक एवं पंचायती राज कर्मचारी संघ के प्रदेश मंत्री प्रकाश विश्नोई ने कहा कि अभी कोरोना काल में स्कूलों में विद्यार्थियों का आना बंद है और अन्य गतिविधियां भी संचालित नहीं हो रही हैं. केवल ऑनलाइन क्लासेज चलाई जा रहीं हैं. यह कार्य तो शिक्षक घर से भी कर सकते हैं. विश्नोई ने कहा कि केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार शैक्षणिक स्टाफ को वर्क फ्रॉम होम के जरिए काम करवाना चाहिए लेकिन केवल राजस्थान में ही शिक्षकों को स्कूलों में बुलाया जा रहा है.

Class rooms are empty due to school closure
स्कूल बंद होने से खाली पड़े क्लास रूम

उन्होंने कहा कि राजस्थान में लगभग चार लाख से अधिक शिक्षक हैं जिन्हें कोरोना काल में भी स्कूल जाना पड़ रहा है. उनका कहना है कि सबसे ज्यादा परेशानी दूर दराज के स्कूलों में ड्यूटी कर रहे शिक्षक-शिक्षिकाओं को हो रही है. उनके कोरोना संक्रमित होने का भी खतरा बना रहता है. शिक्षक संघ का कहना है कि अपील है कि राजस्थान सरकार को केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार ही शैक्षणिक स्टाफ को भी वर्क फ्रॉम होम का आदेश जारी कर देना चाहिए. जब छात्र-छात्राएं विद्यालय नहीं आ रहे हैं तो अध्यापकों को स्कूल बुलाना उचित नहीं है.

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क्या है केंद्र सरकार की गाइडलाइन

  • पिछले 29 जुलाई को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा एडवाइजरी जारी कर 31 अगस्त तक सभी शिक्षण संस्थाएं बंद रखते हुए शैक्षणिक स्टाफ को वर्क फ्रॉम होम करवाने का कहा गया है.
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर केंद्रीय गाइडलाइन के मुताबिक सभी शिक्षण संस्थाओं को बंद रखते हुए स्टाफ को भी नहीं बुलाते हुए वर्क फ्रॉम होम से कार्य संपादन के लिए कहा है.
  • इस आदेश पर प्रदेश सरकार ने विद्यार्थियों के आने पर तो रोक लगा दी लेकिन शिक्षक व स्टाफ को लगातार स्कूल बुलाया जा रहा है.

    जिले की फैक्ट फाइल
  • 721 राजकीय प्राथमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं जैसलमेर जिले में.
  • 255 राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं जिले में.
  • 6,000 से अधिक शिक्षक व मंत्रालय कर्मचारी जिले में दे रहे हैं सेवाएं.

प्रदेश में 4 लाख से अधिक है सरकारी अध्यापक

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 4 लाख से ज्यादा का स्टाफ है जिसे संक्रमण काल में बिना विद्यार्थियों के स्कूल जाना पड़ रहा है. इनमें लगभग 50% महिला कर्मचारी हैं. संघ के प्रदेश मंत्री ने कहा है कि राजकीय विद्यालयों में 31 अगस्त तक अवकाश है और आगे भी विद्यार्थियों के लिए स्कूल खोले जाने को लेकर स्थिति साफ नहीं है. वहीं प्रदेश में कोरोना संक्रमण बढ़ता जा रहा है जिसमें शैक्षणिक तथा कार्यालय स्टाफ के भी पॉजिटिव आने के प्रकरण सामने आए हैं. ऐसे में शैक्षणिक स्टाफ को विद्यालय न बुलाकर वर्क फ्रॉम होम कराना चाहिए.

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