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स्वर्णनगरी में निकली भव्य सूर्यदेव की झांकी, देखें Video - जैसलमेर

जैसलमेर शहर में सूर्य सप्तमी बड़ी धूमधाम से मनाई गई. शहर में निकली शोभा यात्रा की खूबसूरती ने लोगों को घरों से निकलने पर मजबूर कर दिया.

झांकी
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Published : Feb 12, 2019, 10:02 PM IST

जैसलमेर. जिले में सूर्यसप्तमी महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया. सूर्य देव को अर्घ देने के साथ आकर्षक कार्यक्रमों ने शहर की शोभा में चार चांद लगा दिए. गांधी चौक से मुख्य बाजार होते हुए भव्य शोभायात्रा निकाली गई. जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए.

झांकी
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शहर में सूर्य सप्तमी के अवसर पर गांधी चौक स्थित गणेश मंदिर से निकाली गई. जो मुख्य बाजार से होते हुए कगड़ीसर स्थित मेहर बाग बगेची पहुंची. शोभायात्रा का मार्ग में जगह-जगह पर स्वागत किया गया. इस दौरान लोगों ने पुष्पवर्ष कर यात्रा का स्वागत किया. शोभा यात्रा में आगे बालिकाएं कलश लेकर चल रही थीं. वहीं इनके पीछे भगवान सूर्य देव, शहीद मंगल पांडे, चाणक्य, मां दुर्गा, शिव पार्वती, झांसी की रानी, मूमल महेंद्रा, कृष्ण व महिसासुरमर्दनी की सुंदर झांकियां निकाली गई.


कगड़ीसर सरोवर स्थित शाकद्वीपीय मग भोजक बगेची में सूर्य सप्तमी महोत्व का समारोहपूर्वक आयोजन किया गया. इस अवसर पर मंत्रोच्चार के साथ विधिवत सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना की गई. सूर्य सप्तमी के अवसर पर विविध प्रतियोगिताओं के आयोजन के तहत बालक - बालिकाओं के मध्य जलेबी रेस और गुबारा फोड़ प्रतियोगिताएं प्रायोजित की गई.


क्यों मनाते हैं सूर्य सप्तमी?
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है कि भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को एक बार अपने शारीरिक बल अधिक अभिमान हो गया था. जिसके चलते उन्होंने दुर्वसा ऋषि का अपमान कर दिया था. शाम्ब की इस हरकत ऋषि को क्रोध आ गया और उन्होंने शाम्ब का कुष्ठ रोग होने का श्राप दे दिया. भगवान कृष्ण ने इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए शाम्ब को सूर्य उपासना की सलाह दी. इस पर शाम्ब ने सूर्य उपासना शुरू कर दी. माना जाता है कि जिसके बाद उन्हें सूर्यदेव की कृपा से कुष्ट रोग से मुक्ति मिल सकी. शाम्ब को जिस दिन श्राप से मुक्ति मिली वह माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि थी. तभी से इस दिन को उपासक सूर्य सप्तमी के नाम से जानते हैं.

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सूर्यदेव के आरोग्य देने वाला देवता माना जाता है. सूर्य चिकित्सा का उपयोग आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में किया जाता है. माना जाता है कि सूर्यदेव की उपासना करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है. उनकी आराधना करने से रोग से मुक्ति मिलती है.

जैसलमेर. जिले में सूर्यसप्तमी महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया. सूर्य देव को अर्घ देने के साथ आकर्षक कार्यक्रमों ने शहर की शोभा में चार चांद लगा दिए. गांधी चौक से मुख्य बाजार होते हुए भव्य शोभायात्रा निकाली गई. जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए.

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शहर में सूर्य सप्तमी के अवसर पर गांधी चौक स्थित गणेश मंदिर से निकाली गई. जो मुख्य बाजार से होते हुए कगड़ीसर स्थित मेहर बाग बगेची पहुंची. शोभायात्रा का मार्ग में जगह-जगह पर स्वागत किया गया. इस दौरान लोगों ने पुष्पवर्ष कर यात्रा का स्वागत किया. शोभा यात्रा में आगे बालिकाएं कलश लेकर चल रही थीं. वहीं इनके पीछे भगवान सूर्य देव, शहीद मंगल पांडे, चाणक्य, मां दुर्गा, शिव पार्वती, झांसी की रानी, मूमल महेंद्रा, कृष्ण व महिसासुरमर्दनी की सुंदर झांकियां निकाली गई.


कगड़ीसर सरोवर स्थित शाकद्वीपीय मग भोजक बगेची में सूर्य सप्तमी महोत्व का समारोहपूर्वक आयोजन किया गया. इस अवसर पर मंत्रोच्चार के साथ विधिवत सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना की गई. सूर्य सप्तमी के अवसर पर विविध प्रतियोगिताओं के आयोजन के तहत बालक - बालिकाओं के मध्य जलेबी रेस और गुबारा फोड़ प्रतियोगिताएं प्रायोजित की गई.


क्यों मनाते हैं सूर्य सप्तमी?
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है कि भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को एक बार अपने शारीरिक बल अधिक अभिमान हो गया था. जिसके चलते उन्होंने दुर्वसा ऋषि का अपमान कर दिया था. शाम्ब की इस हरकत ऋषि को क्रोध आ गया और उन्होंने शाम्ब का कुष्ठ रोग होने का श्राप दे दिया. भगवान कृष्ण ने इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए शाम्ब को सूर्य उपासना की सलाह दी. इस पर शाम्ब ने सूर्य उपासना शुरू कर दी. माना जाता है कि जिसके बाद उन्हें सूर्यदेव की कृपा से कुष्ट रोग से मुक्ति मिल सकी. शाम्ब को जिस दिन श्राप से मुक्ति मिली वह माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि थी. तभी से इस दिन को उपासक सूर्य सप्तमी के नाम से जानते हैं.

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सूर्यदेव के आरोग्य देने वाला देवता माना जाता है. सूर्य चिकित्सा का उपयोग आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में किया जाता है. माना जाता है कि सूर्यदेव की उपासना करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है. उनकी आराधना करने से रोग से मुक्ति मिलती है.

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