पोकरण: पोकरण के खेतोलाई गांव के पास आज ही के दिन 11 मई 1998 को तत्कालीन प्रधानमंत्री भारत रत्न अटलबिहारी वाजयपेयी के कार्यकाल और मिसाइलमैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की देखरेख में सफल द्वितीय परमाणु परीक्षण किया गया था. आज देश को शक्ति सम्पन्न बनाने वाले परमाणु परीक्षण की 24 वीं वर्षगांठ (Pokaran Nuclear Test Anniversay) हैं. पोकरण 1974 के बाद दूसरी बार फिर सुर्खियों में आया. तब तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने इसे नाम दिया था Budha Smiling (क्योंकि टेस्ट के दिन बुद्ध पूर्णिमा थी). दूसरी बार जब टेस्ट सम्पन्न हुआ (Pokaran II) तो हॉटलाइन पर एपीजे अब्दुल कलाम ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को संदेश भेजा Budha Smiles Again.
उस गौरवशाली अतीत को पोकरण का खेतोलोई आज भी जीता है. पूर्व राष्ट्रपति और तत्कालीन डीआरडीओ निदेशक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का ये शब्द- आई लव खेतोलाई...आज भी यहां खेतोलाई के बाशिंदों को खुद पर गर्व करने का मौका देते हैं. लोगों को अब भी वो नारा याद है जिसने देश को एक नई दिशा दी. वर्ष 19 मई 1998 को पोकरण में एक सभा में अटल बिहारी वाजपेयी ने 'जय जवान, जय किसान के साथ जय विज्ञान' का नारा जोड़ा था. वो पल बेहद कीमती हैं. उनसे जुड़े हर एक फैक्ट यहां के कण कण में बसा है. 24 वर्ष पूर्व पोकरण की धरा पर किए गए परमाणु परीक्षण से जुड़ी हर जानकारी लोगों को आकर्षित करती है. यहां 11 से 13 मई के बीच 5 सिलसिलेवार भूमिगत परीक्षण किए गए. पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज 80 किमी लम्बाई में फैला है. यहां से खेतोलाई महज 5 किमी दूर स्थित है. उस दिन के बाद से ही इस दिन को देश National Technology Day के तौर पर मनाता है.
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अटल बिहारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति को लिखा था खत: परमाणु परीक्षण के तुरंत बाद वाजपेयी ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को पत्र लिखा. उन्हें बताया कि अमेरिका क्यों गलत और भारत क्यों सही है. लिखा, 'पिछले कई साल से भारत के इर्द-गिर्द सुरक्षा संबंधी माहौल और खासकर परमाणु सुरक्षा से जुड़े माहौल के लगातार बिगड़ने से मैं चिंतित हूं. हमारी सीमा पर एक आक्रामक परमाणु शक्ति संपन्न देश है. एक ऐसा देश जिसने 1962 में भारत पर हमला कर दिया था. हालांकि उस देश के साथ पिछले एक दशक में भारत के संबंध सुधर गए हैं, लेकिन अविश्वास की स्थिति बनी हुई है, इसकी मुख्य वजह अनसुलझा सीमा विवाद है.' भारत के खिलाफ अमेरिका के Sanction न लगाने को लेकर इशारा करते हुए वाजपेयी ने क्लिंटन को लिखा था, 'हम आपके देश के साथ हमारे देश के मैत्री और सहयोग की कद्र करते हैं. मुझे लगता है कि भारत की सुरक्षा के प्रति हमारी चिंता को आप समझ पाएंगे.'