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पोकरण: जीएसएस में बड़ा घोटाला, किसानों के कर्ज वितरण में 10 लाख की हेरा फेरी

जिले के पांचे का तला जीएसएस में लाखों के घोटाले का मामला सामने आया है. पांचे का तला जीएसएस ने कोऑपरेटिव बैंक से किसानों की ऋण राशि की रकम तो उठा ली, लेकिन किसानों को नहीं दी.

Panche Ka Tala Village gss scam, scam on the name of farmers loan
जीएसएस में बड़ा घोटाला
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Published : Jan 12, 2021, 2:59 PM IST

पोकरण (जैसलमेर). जिले के पांचे का तला जीएसएस में लाखों के घोटाले का मामला सामने आया है. आम तौर पर जीएसएस के किसानों की ऋण राशि पूरी नहीं देने के मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन इस बार पूरी की पूरी ऋण राशि गबन करने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है.

पांचे का तला जीएसएस में लाखों के घोटाले का मामला...

पांचे का तला जीएसएस ने कोऑपरेटिव बैंक से किसानों की ऋण राशि की रकम तो उठा ली, लेकिन किसानों को नहीं दी. कोऑपरेटिव बैंक की ओर से खाद बीज के लिए दिए जाने वाले ऋण को लेकर कई बार शिकायतें हुई है. कई बार व्यवस्थापक ऋण की पूरी राशि किसानों को नहीं देते हैं. लेकिन, इस बार तो पांचे का तला में 30 से अधिक किसानों की 10 लाख की ऋण राशि का घोटाला किया गया है.

जून माह में पांचे का तला जीएसएस को 336 किसानों का लोन मिल गया. उस दौरान कुछ किसानों को लोन दे दिया गया. कुछ किसान व्यवस्थापक व सहायक व्यवस्थापक के यहां चक्कर काटते रहे. किसानों का आरोप है कि सहायक व्यवस्थापक स्वरूप प्रजापत उन्हें कुछ दिन इंतजार करने का कहता रहा. आगे से आगे तारीख देता चला गया. रबी सीजन में खुलासा हुआ कि जीएसएस के पदाधिकारियों ने मिलीभगत से 10 से 15 लाख का घोटाला कर दिया. यह राशि जीएसएस के पदाधिकारियों ने तो उठा ली और किसानों तक नहीं पहुंची.

पढ़ें: मौसम का हाल: माउंटआबू में माइनस 2 डिग्री तापमान के बीच जमी बर्फ, शीतलहर फिर सताएगी

खाद बीज का ऋण खरीफ व रबी सीजन में दिया जाता है. अप्रैल से जून माह तक खरीफ ऋण बांटा जाता है. पांचे का तला जीएसएस में सहायक जीएसएस स्वरूप प्रजापत ने सभी किसानों के अंगूठे के निशान ले लिए. जब अंगूठा लगता है, तब सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक जीएसएस के खाते में किसानों की ऋण राशि जमा करवा देते हैं. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ. जीएसएस के खाते में राशि जमा हो गई, लेकिन कई किसानों तक नहीं पहुंची. पांचे का तला जीएसएस से जुड़े कई किसान रबी फसल का लोन लेने पहुंचे तो सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में उन्हें ओवर ड्राफ्ट की जानकारी मिली. यानी खरीफ फसल का ऋण वापस जमा नहीं हुआ. किसानों ने बताया कि उन्हें अब तक तो खरीफ फसल का लोन मिला ही नहीं. इसके खुलासे पर यह सामने आया कि जीएसएस ने किसानों की ऋण राशि का पैसा उठा लिया और किसानों को नहीं दिया.

पोकरण (जैसलमेर). जिले के पांचे का तला जीएसएस में लाखों के घोटाले का मामला सामने आया है. आम तौर पर जीएसएस के किसानों की ऋण राशि पूरी नहीं देने के मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन इस बार पूरी की पूरी ऋण राशि गबन करने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है.

पांचे का तला जीएसएस में लाखों के घोटाले का मामला...

पांचे का तला जीएसएस ने कोऑपरेटिव बैंक से किसानों की ऋण राशि की रकम तो उठा ली, लेकिन किसानों को नहीं दी. कोऑपरेटिव बैंक की ओर से खाद बीज के लिए दिए जाने वाले ऋण को लेकर कई बार शिकायतें हुई है. कई बार व्यवस्थापक ऋण की पूरी राशि किसानों को नहीं देते हैं. लेकिन, इस बार तो पांचे का तला में 30 से अधिक किसानों की 10 लाख की ऋण राशि का घोटाला किया गया है.

जून माह में पांचे का तला जीएसएस को 336 किसानों का लोन मिल गया. उस दौरान कुछ किसानों को लोन दे दिया गया. कुछ किसान व्यवस्थापक व सहायक व्यवस्थापक के यहां चक्कर काटते रहे. किसानों का आरोप है कि सहायक व्यवस्थापक स्वरूप प्रजापत उन्हें कुछ दिन इंतजार करने का कहता रहा. आगे से आगे तारीख देता चला गया. रबी सीजन में खुलासा हुआ कि जीएसएस के पदाधिकारियों ने मिलीभगत से 10 से 15 लाख का घोटाला कर दिया. यह राशि जीएसएस के पदाधिकारियों ने तो उठा ली और किसानों तक नहीं पहुंची.

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खाद बीज का ऋण खरीफ व रबी सीजन में दिया जाता है. अप्रैल से जून माह तक खरीफ ऋण बांटा जाता है. पांचे का तला जीएसएस में सहायक जीएसएस स्वरूप प्रजापत ने सभी किसानों के अंगूठे के निशान ले लिए. जब अंगूठा लगता है, तब सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक जीएसएस के खाते में किसानों की ऋण राशि जमा करवा देते हैं. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ. जीएसएस के खाते में राशि जमा हो गई, लेकिन कई किसानों तक नहीं पहुंची. पांचे का तला जीएसएस से जुड़े कई किसान रबी फसल का लोन लेने पहुंचे तो सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में उन्हें ओवर ड्राफ्ट की जानकारी मिली. यानी खरीफ फसल का ऋण वापस जमा नहीं हुआ. किसानों ने बताया कि उन्हें अब तक तो खरीफ फसल का लोन मिला ही नहीं. इसके खुलासे पर यह सामने आया कि जीएसएस ने किसानों की ऋण राशि का पैसा उठा लिया और किसानों को नहीं दिया.

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