जैसलमेर. जिले में पिछले कुछ दिनों से बिजली की हाईटेंशन तारों की चपेट में आने से पक्षियों की हो रही मौत और ओरण क्षेत्र में कट रहे पेड़ों पर राष्ट्रीय हरित न्यायालय की भोपाल बेंच ने अगले आदेशों तक रोक लगाई है. इस आदेश का देगराय ओरण क्षेत्र के आसपास के ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों ने स्वागत किया है.
हाल ही में 16 सितंबर को देगराय ओरण क्षेत्र में हाईटेंशन तारों से टकराने के चलते राज्य पक्षी गोडावण की मौत हुई थी. जिसके बाद पर्यावरण प्रेमियों और ग्रामीणों ने ओरण भूमि और वन्यजीवों को बचाने के लिए क्षेत्र की तीन दिवसीय 55 किलोमीटर परिक्रमा की थी. साथ ही एनजीटी भोपाल बैंच में याचिका दायर की थी जिसमें उच्च न्यायालय के 2018 के उस आदेश जिसमें, राज्य के सभी क्षेत्रों को डीम्ड फॉरेस्ट की श्रेणी में दर्ज करने को कहा गया था, उसकी अवमानना मानते हुए यहां पर विभिन्न ऊर्जा कंपनियों द्वारा चल रहे बिजली लाइन बिछाने के कार्य, जीएसएस बनाने, वनस्पति और पेड़ों को नुकसान पहुंचाने या काटने पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है.
गौरतलब है कि देगराय ओरण क्षेत्र लगभग 60 हजार बीघा क्षेत्र में फैला हुआ 610 वर्ष पुराना ओरण क्षेत्र है. जिसमें अति संकटग्रस्त राज्य पक्षी गोडावण के साथ 150 से अधिक विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों का विचरण क्षेत्र है. साथ ही वन विभाग का रासला गोडावण एनक्लोजर भी क्षेत्र के पास स्थित है.
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गौरतलब है कि इस क्षेत्र के अधिकांश ग्रामीण आज भी पशुपालन पर निर्भर है और ओरण ही पशुओं का मुख्य चारागाह है. इस वर्ष मार्च से लेकर सितंबर तक ओरण क्षेत्र में कई प्राचीन पेड़ों की कटाई की गई. जिसका ग्रामीणों द्वारा विरोध किया गया और जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा गया था. ऐसे में एनजीटी द्वारा ओरण क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई के साथ बिजली लाइनों के कार्य पर अग्रिम आदेशों तक रोक के बाद स्थानीय ग्रामीणों के साथ पर्यावरण प्रेमियों को अब उम्मीद है कि ओरण भूमि के साथ ही वन्य जीवों का अब बेहतर संरक्षण हो सकेगा.