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सरहदी जिले में हर सातवां व्यक्ति मानसिक बीमार !

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Published : Sep 19, 2019, 3:26 PM IST

जैसलमेर में हृदय रोगियों के साथ-साथ मानसिक तनाव से उत्पन्न बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है. प्रतिदिन 50 रोगी मानसिक बीमारियों से पीड़ित होकर चिकित्सकों के पास पहुंच रहे है.

jaisalmer health condition, जैसलमेर की ताजा खबर

जैसलमेर. पिछले एक दशक से सरहदी जिले जैसलमेर में हृदय रोगियों के साथ-साथ मानसिक तनाव से उत्पन्न बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है. चिकित्सकीय सूत्रों के अनुसार यहां प्रतिदिन 50 रोगी पहुंचते हैं. जिसमें 20 डिप्रेशन व मिर्गी और सिजोफिनिया के 16 व शेष अन्य मानसिक रोगों के संबंधित होते हैं. मनोरोग चिकित्सकों का मानना है कि मानसिक रोगी स्वयं का विवेक और आत्मसबल खो चुका होता है. इसलिए वह अच्छाई और बुराई में अंतर नहीं समझ सकता है.

जैसलमेर में हर सातवां व्यक्ति मानसिक बीमार

ऐसी स्थिति में उसे परिवार के सहयोग व पर्याप्त चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता होती है. जीवन शैली पर रहन-सहन के तौर-तरीकों में आए बदलाव का ही यह दुष्परिणाम होता है. अब तक महानगरों तक सीमित रहने वाली इस बीमारी ने जैसलमेर जिले के वाशिंदो को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है. विगत वर्षों में हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या से पहले ही जूझ रहे सीमावर्ती जैसलमेर जिले में मानसिक रूप से पीड़ित मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. आधुनिकीकरण की चाह, बदलती जीवन शैली जिले के वाशिंदों पर इतनी हावी हो चुकी है कि आज हर सातवां व्यक्ति मानसिक रोग से पीड़ित है.

पढ़ें: राजधानी का तापमान 35 डिग्री के पार, आगामी 24 घंटे के लिए पूर्वी राजस्थान के कई जिलों में बारिश का अलर्ट

दुखद स्थिति यह है कि शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े जिले में तांत्रिकों के पास बीमारियों का उपचार करवाते हैं और जब बीमारी बढ़ जाती है तो चिकित्सक के पास ले जाते है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. जैसलमेर के जवाहर अस्पताल में मिर्गी, अनिद्रा डिप्रेशन, सिजाफिनिया, एमडीपी जैसे कई मरीज का इलाज करवाने पहुंच रहे हैं. बेरोजगारी, धन कमाने के सपने, भविष्य निर्माण की चिंता तथा पारिवारिक माहौल मानसिक रोगों को जन्म देते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि प्रतिस्पर्धा के माहौल में यह बीमारी बढ़ रही है, लोगों को नशे से दूर रहना चाहिए और व्यायाम और संयमित जीवन जीने की दिनचर्या में शामिल करने की जरूरत है और मानसिक बीमारी का प्रारंभिक स्तर पर ही इलाज करवा लेना चाहिए.

जैसलमेर. पिछले एक दशक से सरहदी जिले जैसलमेर में हृदय रोगियों के साथ-साथ मानसिक तनाव से उत्पन्न बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है. चिकित्सकीय सूत्रों के अनुसार यहां प्रतिदिन 50 रोगी पहुंचते हैं. जिसमें 20 डिप्रेशन व मिर्गी और सिजोफिनिया के 16 व शेष अन्य मानसिक रोगों के संबंधित होते हैं. मनोरोग चिकित्सकों का मानना है कि मानसिक रोगी स्वयं का विवेक और आत्मसबल खो चुका होता है. इसलिए वह अच्छाई और बुराई में अंतर नहीं समझ सकता है.

जैसलमेर में हर सातवां व्यक्ति मानसिक बीमार

ऐसी स्थिति में उसे परिवार के सहयोग व पर्याप्त चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता होती है. जीवन शैली पर रहन-सहन के तौर-तरीकों में आए बदलाव का ही यह दुष्परिणाम होता है. अब तक महानगरों तक सीमित रहने वाली इस बीमारी ने जैसलमेर जिले के वाशिंदो को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है. विगत वर्षों में हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या से पहले ही जूझ रहे सीमावर्ती जैसलमेर जिले में मानसिक रूप से पीड़ित मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. आधुनिकीकरण की चाह, बदलती जीवन शैली जिले के वाशिंदों पर इतनी हावी हो चुकी है कि आज हर सातवां व्यक्ति मानसिक रोग से पीड़ित है.

पढ़ें: राजधानी का तापमान 35 डिग्री के पार, आगामी 24 घंटे के लिए पूर्वी राजस्थान के कई जिलों में बारिश का अलर्ट

दुखद स्थिति यह है कि शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े जिले में तांत्रिकों के पास बीमारियों का उपचार करवाते हैं और जब बीमारी बढ़ जाती है तो चिकित्सक के पास ले जाते है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. जैसलमेर के जवाहर अस्पताल में मिर्गी, अनिद्रा डिप्रेशन, सिजाफिनिया, एमडीपी जैसे कई मरीज का इलाज करवाने पहुंच रहे हैं. बेरोजगारी, धन कमाने के सपने, भविष्य निर्माण की चिंता तथा पारिवारिक माहौल मानसिक रोगों को जन्म देते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि प्रतिस्पर्धा के माहौल में यह बीमारी बढ़ रही है, लोगों को नशे से दूर रहना चाहिए और व्यायाम और संयमित जीवन जीने की दिनचर्या में शामिल करने की जरूरत है और मानसिक बीमारी का प्रारंभिक स्तर पर ही इलाज करवा लेना चाहिए.

Intro:Body:दिल को संभाले या दिमाग को ?

सरहदी जिले में हर सातवा व्यक्ति मानसिक बीमार !
मानसिक तनाव से हर कोई परेशान

रहन सहन के तौर तरीको में हो रहा बदलाव

इंसान मानसिक परेशानी से हो रहा चिड़चिड़ा।

पिछले एक दशक से सरहदी जिले जैसलमेर में हृदय रोगियों के साथ-साथ मानसिक तनाव से उत्पन्न बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है। चिकित्सकीय सूत्रों के अनुसार यहां प्रतिदिन 50 रोगी पहुंचते हैं जिसमें 20 डिप्रेशन व मिर्गी और सिजोफिनिया के 16 व शेष अन्य मानसिक रोगों के संबंधित होते हैं। मनोरोग चिकित्सकों का मानना है कि मानसिक रोगी स्वय का विवेक व आत्मसबल खो चुका होता है इसलिए वह अच्छाई व बुराई में अंतर नहीं समझ सकता है, ऐसी स्थिति में उसे परिवार के सहयोग व पर्याप्त चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता होती है। जीवन शैली पर रहन-सहन के तौर-तरीकों में आए बदलाव का ही यह दुष परिणाम होता है। अब तक महानगरों तक सीमित रहने वाली इस बीमारी ने जैसलमेर जिले के बाशिंदों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है।

विगत वर्षों में हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या के पहले ही जूझ रहा सीमावर्ती जैसलमेर जिले में मानसिक रूप से पीड़ित मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। आधुनिकरण की चाह बदलती जीवन शैली जिले के बाशिंदों पर इतनी हावी हो चुकी है कि आज हर सातवां व्यक्ति मानसिक रोग से पीड़ित है। दुःखद स्थिति यह है कि शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े जिले में तांत्रिकों के पास बीमारियों का उपचार करवाते हैं और जब बीमारी बढ़ जाती है तो चिकित्सक के पास ले जाते है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। जैसलमेर के जवाहर अस्पताल में मिर्गी,अनिद्रा डिप्रेशन, सिजाफिनिया, एमडीपी जैसी कई मरीज का इलाज करवाने पहुंच रहे हैं। बेरोजगारी , धन कमाने के सपने, भविष्य निर्माण की चिंता तथा पारिवारिक माहौल मानसिक रोगों को जन्म देते हैं। हालात अनुकूल नहीं होने पर व्यक्ति के आत्मबल व विवेक का क्षीण होना भी उसे मानसिक रोगी बना देता है। चिकित्सकों का कहना है कि प्रतिस्पर्धा के माहौल में यह बीमारी बढ़ रही है, लोगों को नशे से दूर रहना चाहिए और व्यायाम और संयमित जीवन जीने की दिनचर्या में शामिल करने की जरूरत है और मानसिक बीमारी का प्रारंभिक स्तर पर ही इलाज करवा लेना चाहिए।
बाईट-1- डॉ. सुभाषचंद्र, मनोरोग चिकित्सा चिकित्सक जैसलमेरConclusion:
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