जैसलमेर. केंद्र की महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत ग्रामीण क्षेत्र के वयस्कों को रोजगार उपलब्ध कराया जाता है. अगर आपसे कहा जाए कि मनरेगा योजना में मुर्दे भी मजदूरी करते हैं तो आप सोचेंगे कि यह कैसे सम्भव है लेकिन जैसलमेर की पंचायत समिति भणियाणा में एक ऐसा ही अनूठा मामला सामने आया है. सरकारी कारिंदों की करतूत कुछ ऐसी रही एक व्यक्ति की मौत के बाद भी उसे कागजों पर मजदूरी करते दिखाया गया. ताज्जुब की बात तो यह है कि मृतक की हाजरी भी पंचायत के मनरेगा रजिस्टर पर लगती रही जो बाद में ऑनलाइन भी की गई.
हम बात कर रहे हैं जैसलमेर जिले के खींवसर गांव के हरियाली नाडी के तहत हुए मनरेगा कार्य की जिसमें जोगाराम नाम के व्यक्ति की मौत के बाद भी उसे मजदूरों के लिस्ट में शामिल रखा गया और उसे मजदूरी भी दी गई की. उसका भुगतान भी किया गया. यह हम नहीं, सरकारी कागज बयां कर रहे हैं क्योंकि पंचायतीराज के अधिकारियों की ओर से मृतक जोगाराम का मृत्यु पंजीकरण प्रमाण पत्र भी जारी किया गया है.
जिसमें उसकी मौत 5 मई 2019 को दिखाई गई है और ऑनलाइन जारी मनरेगा कार्यों के दौरान उसकी मौत के बाद भी उसे वहां उपस्थित दिखाया गया है. इस मामले के सामने आने के बाद तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी सहित अन्य विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं.