जैसलमेर. जिले में भी लोग साइबर क्राइम के शिकार हो रहे हैं. फेक फेसबुक अथवा व्हाट्सएप आईडी बनाकर या आईडी हैक करके यूजर के जानकारों से संपर्क कर एक अकाउंट नंबर देकर उसमें पैसा जमा करवाने की गुजारिश करते हुए संदेश आता है. इसे बाद संबंधित व्यक्ति के रिश्तेदार, मित्र या जानकार झांसे में आकर बैंक खाते में राशि जमा करवा देते हैं और ठग जाते हैं. जिले से ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं.
एक कॉल और लाखों फुर्र...
पिछले कुछ सालों से मोबाइल पर कॉल कर ठगों ने लोगों के बैंक खातों से लाखों रुपए पार करते थे, लेकिन अब लोग अपराधियों के उन तरीकों से वाकिफ हो गए और अपनी खाता संख्या, पासवर्ड आदि फोन पर बताना बंद कर दिया है, तो अपराधियों ने ठगी के नए-नए तरीके अपनाने शुरू कर दिए. इन दिनों बड़ी संख्या में लोगों के पास एक लिंक टेक्स्ट मैसेज अलग-अलग हवाले से भेजा जा रहा है. जिसे टच करते ही संबंधित व्यक्ति का पूरा डेटा सायबर ठग के पास चला जाता है.
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अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राकेश बैरवा ने बताया कि साइबर ठगी और सोशल साइट्स के हैक होने के कुछ मामले दर्ज हुए हैं. ऐसे मामलों में पुलिस अपनी ओर से अपराधियों तक पहुंचने का हर संभव प्रयास करती है, लेकिन फेसबुक और व्हाट्सएप का संचालन भारत से बाहर होता है और इन कंपनियों की ओर से पुलिस को जानकारी समय पर नहीं मिलती. अधिक से अधिक पुलिस सीडीआर मंगवा कर उसे खंगालती है. बाद में ऐसे मामलों में डेड एंड्स आ जाते हैं.
पैसा जमा कराने वाले संदेशों पर ना करें भरोसा...
बैरवा ने कहा कि लोगों को पैसा जमा करवाने जैसे किसी संदेश पर विश्वास नहीं करना चाहिए और संबंधित व्यक्ति से तुरंत फोन पर हकीकत का पता लगाना चाहिए. साइबर ठगी से बचने का सबसे कारगर तरीका जन-जागरूकता ही है. इस तरह के खतरों से निपटने के लिए हर समय सतर्क और सावधान रहना होगा. पुलिस भी आने वाले समय में कार्यशालाओं का आयोजन कर जन जागरण का प्रयास करेगी और बैंक अपने ग्राहकों को किसी तरह के चक्कर में नहीं आने के लिए सचेत करें.
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पिछले दिनों जैसलमेर बाल विकास समिति के अध्यक्ष अमीन खान की फेक आईडी बनाकर उनके संपर्क वालों वाले लोगों से इस तरह की ठगी किए जाने से यह तरीका सामने आया. इसके बाद से जैसलमेर शहर के साथ पोकरण, लाठी और जिले के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस तरह की कोशिश की जाने की खबरें सामने आ चुकी है. साइबर अपराधियों के इस नए तरीके के कारण कई लोग हजारों रुपए गवा चुके हैं.
फेक आईडी का बढ़ता इस्तेमाल...
जानकारी के अनुसार फेक आईडी बनाकर ठगी करने वालों तक पहुंचना बहुत मुश्किल है, क्योंकि वह इस तरह की हरकत के लिए हर बार नई सिम और नया मोबाइल ही इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि लोकेशन भी बदलते रहते हैं. कई बार वे राजस्थान से बाहर की सिम से राजस्थान में बैठकर या किसी अन्य प्रदेश में बैठकर ठगी की साजिश रचते हैं.
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जानकारों के अनुसार साइबर अपराधी किसी ऐसे एप्लीकेशन को हैक कर संबंधित व्यक्ति के फोन के सारे कांटेक्ट नंबर प्राप्त कर लेते हैं, फिर वे कहीं से उसका फोटो निकाल कर उसके नाम की फेकन व्हाट्सएप या फ़ेसबुक आईडी बनाकर उससे संपर्क करने वाले नंबर पर संदेश भेजते हैं. इन संदेशों में यही बताया जाता है कि अमुक व्यक्ति को पैसों की अचानक सख्त जरूरत हो गई है, ऐसा कहते हुए वह एक खाता संख्या बता कर उसमें राशि जमा करवाने की गुहार लगाता है. अमीन खान के मामले में कई जनों ने हजारों रुपए संदेश में बताए गए खाते में जमा करवाए और ठगी का शिकार बन गए.