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जैसलमेर: ऊंट पालकों ने उष्ट्र विकास योजना में भ्रष्टाचार का लगाया आरोप, सौंपा ज्ञापन

प्रदेश में राज्य पशु ऊंट की कम होती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा उष्ट्र विकास योजना शुरू की गई थी, जिसमें प्रजनन के बाद ऊंटनी के पालन-पोषण के लिए सरकार द्वारा पशुपालकों को प्रत्येक ऊंटनी पर 10 हजार रुपए की अनुदान राशि दी जाती थी. लेकिन फिलहाल यह योजना बंद है.

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ऊंट पालकों ने उष्ट्र विकास योजना में भ्रष्टाचार के लगाया आरोप
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Published : Mar 10, 2021, 9:38 PM IST

जैसलमेर. ऊंट पालक उष्ट्र विकास योजना के अंतर्गत जिले में अब तक अनुदान की गई लगभग चार करोड़ राशि का भुगतान वास्तविक ऊंट पालकों को न होने और योजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जिला मुख्यालय स्थित पशुपालन विभाग के कार्यालय पहुंचे. पशु पालकों ने इस दौरान कार्यालय में विभागीय अधिकारियों को घेरा और आरोप लगाए कि फील्ड पर ऊंटनियों के टैग लगाने और फॉर्म भरने के एवज में विभाग के चिकित्सकों एवं अन्य कर्मचारियों ने प्रति ऊंट 500 से 1000 पशु पालकों से लिए और क्षेत्र में हजारों रुपए ऐंठने के बाद भी पशु पालकों को अनुदान राशि अब तक नहीं मिली.

ऊंट पालकों ने उष्ट्र विकास योजना में भ्रष्टाचार के लगाया आरोप

पशु संरक्षण के लिए प्रदेश में कार्य कर रही लोकहित पशुपालन संस्था के संस्थापक हनुमंत सिंह राठौड़ ने बताया कि सरकार द्वारा ऊंटों के संरक्षण के लिए यह योजना शुरू की गई थी. लेकिन विभागीय अधिकारियों ने योजना के नाम पर लाखों रुपए पशुपालकों से ऐंठ लिए और अनुदान राशि की बंदरबांट की गई है. वहीं पशु पालकों ने इस दौरान विभागीय अधिकारियों और कार्मिकों के नाम लिए, जिन्होंने योजना का लाभ दिलवाने के बदले में पशुपालकों से पैसे लिए हैं.

यह भी पढ़ें: नहर विभाग की लापरवाही किसानों पर पड़ी भारी, खड़ी फसलें पूरी तरह हुई चौपट

जिले के ऊंट पालक सुमेर सिंह भाटी का कहना है कि पूरी योजना में अब तक जिन्हें लाभ मिला है, उसकी जांच की जाए और भ्रष्टाचार सामने लाया जाए. क्योंकि वास्तविक ऊंट पालकों को इसका लाभ नहीं मिला और वो दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. ऊंट पालकों ने इस योजना के संबंध में जिला कलेक्टर और पशुपालन विभाग के अधिकारी को ज्ञापन सौंप जांच की मांग की है.

जैसलमेर. ऊंट पालक उष्ट्र विकास योजना के अंतर्गत जिले में अब तक अनुदान की गई लगभग चार करोड़ राशि का भुगतान वास्तविक ऊंट पालकों को न होने और योजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जिला मुख्यालय स्थित पशुपालन विभाग के कार्यालय पहुंचे. पशु पालकों ने इस दौरान कार्यालय में विभागीय अधिकारियों को घेरा और आरोप लगाए कि फील्ड पर ऊंटनियों के टैग लगाने और फॉर्म भरने के एवज में विभाग के चिकित्सकों एवं अन्य कर्मचारियों ने प्रति ऊंट 500 से 1000 पशु पालकों से लिए और क्षेत्र में हजारों रुपए ऐंठने के बाद भी पशु पालकों को अनुदान राशि अब तक नहीं मिली.

ऊंट पालकों ने उष्ट्र विकास योजना में भ्रष्टाचार के लगाया आरोप

पशु संरक्षण के लिए प्रदेश में कार्य कर रही लोकहित पशुपालन संस्था के संस्थापक हनुमंत सिंह राठौड़ ने बताया कि सरकार द्वारा ऊंटों के संरक्षण के लिए यह योजना शुरू की गई थी. लेकिन विभागीय अधिकारियों ने योजना के नाम पर लाखों रुपए पशुपालकों से ऐंठ लिए और अनुदान राशि की बंदरबांट की गई है. वहीं पशु पालकों ने इस दौरान विभागीय अधिकारियों और कार्मिकों के नाम लिए, जिन्होंने योजना का लाभ दिलवाने के बदले में पशुपालकों से पैसे लिए हैं.

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जिले के ऊंट पालक सुमेर सिंह भाटी का कहना है कि पूरी योजना में अब तक जिन्हें लाभ मिला है, उसकी जांच की जाए और भ्रष्टाचार सामने लाया जाए. क्योंकि वास्तविक ऊंट पालकों को इसका लाभ नहीं मिला और वो दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. ऊंट पालकों ने इस योजना के संबंध में जिला कलेक्टर और पशुपालन विभाग के अधिकारी को ज्ञापन सौंप जांच की मांग की है.

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