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कोरोना के चलते पर्यटन पर लगा ग्रहण, अब देशी 'पावणों' को रिझाने की रहेगी कोशिश

पुरानी हवेलियां, किले और ऐतिहासिक धरोहरों के मालिक राजस्थान के पर्यटन पर भी कोरोना ने अटैक कर दिया है. ऐसे में टूरिज्म में हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए अपनों यानी की 'देसी पावणों' पर निगाहें टिकी हुई हैं.

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पर्यटन को कोरोना की वजह से बड़ा घाटा
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Published : May 2, 2020, 9:11 PM IST

Updated : May 25, 2020, 1:12 PM IST

जैसलमेर. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पुरे विश्व में सभी उद्योगों पर असर हुआ है और राजस्थान के पर्यटन उद्योग भी इससे अछूता नहीं रहा है. राजस्थान में लाखों लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पर्यटन उद्योग से जुड़े है. जिनके सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है.

पर्यटन को कोरोना की वजह से बड़ा घाटा

बात करें पिछले 30 सालों की तो कला और संस्कृति का प्रयाय पर्यटन नगरी जैसलमेर जो कि स्वर्ण नगरी के नाम से विश्वविख्यात है. यहां की 80 से 90 प्रतिशत जनता इसी पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी है. इसके चलते पर्यटन को जैसलमेर अर्थव्यवस्था की नींव कहे, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.

पहले नोटबंदी और अब कोरोना

नोटबन्दी के बाद आई मंदी के चलते गत कुछ वर्षों में जैसलमेर में पर्यटन व्यवसाय की गति धीमी हो गयी थी, परन्तु 2019-2020 का सीजन कहीं न कहीं राहत देने वाला साबित हो रहा था कि दुर्भाग्यवश कोविड-19 वायरस के आने से सीजन समय से पहले ही थम गया. यहां का सीजन 15 अगस्त से तकरीबन 30 अप्रैल तक रहता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारणवश मार्च के पहले हफ्ते में ही पर्यटन सीजन खत्म हो गया और रोजगार पर भारी संकट बनता जा रहा है.

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कभी सैलानियों से रहता था सराबोर

यह भी पढे़ं- SPECIAL: लॉकडाउन में किशनगढ़ मार्बल मंडी को अब तक हुआ 8,400 करोड़ का नुकसान

पर्यटन टूर लीडर्स और एस्कॉट की मानें तो सब कुछ सामान्य होने के बाद रोजगार का संकट टाला जा सकता है, केवल जरूरत है तो सकरात्मक सोच और प्रयासों की. जैसलमेर पर्यटन से जुड़े लोगों का मानना है कि सकारात्मक सोच कहीं ना कहीं इस रोजगार के संकट के निकाल सकती है.

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ऊंटों पर सवार सैलानी

वर्तमान अवसरों का उठाना होगा फायदा

इटालियन टूर एस्कॉट आनन्द श्रीपत ने बताया कि पर्यावरण से किया गया खिलवाड़ कोरोना के रूप में उभर कर सामने आया है और सभी के दिलों मे एक डर सा बना दिया है. लेकिन लेटिन भाषा के एक शब्द कार्पेडियम जिसका शाब्दिक अर्थ है 'वर्तमान अवसरों को जाने ना देना' इसे सार्थक करने की जरुरत है और लोग इसे समझ भी रहे है.

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ऐतिहासिक किले

कोरोना के बाद पूरे विश्व के लोगों को एक बात समझ आ गई है कि स्थितियां सामान्य होने पर हमें ट्रैवल करना है. हमें नई-नई जगहें देखनी है, हमें अनुभव करना है. क्योंकि कोरोना ने हमें सीखा दिया है कि इस जीवन में अपार अनिश्चितताएं है और इसे वर्तमान में ही जीना होगा. बिना भविष्य के बारे में ज्यादा सोचे.

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जैसलमेर में सन सेट की फोटो

स्थितियां सामान्य होने पर लौटेंगे पर्यटक

आनंद बताते है कि वह पिछले 11 सालों से एक एस्कॉर्ट के रूप में इटली के पर्यटकों से जुड़े हैं और इन दिनों जब भी इटली और यूरोप के लोगों से बात होती है, तो वे कहते हैं कि स्थितियां सामान्य होने पर घूमने के लिए जरूर निकलेंगे. कोरोना ने सिखा दिया है कि अकाउंट में हजारों लाखों यूरो, पाउण्ड और डॉलर्स पड़े है परन्तु अभी वो किसी काम नहीं आ रहे.

यह भी पढे़ं- भरतपुर के प्रोफेसर ने कैनवास पर उतारी 'लॉकडाउन' सीरीज, जानिए क्या है खास...

यही बात भारतीयों के दिल में भी जगह बना रही है और सम्भावना है की जो 2 से 3 लाख भारतीय विदेश यात्रा करते थे वे विश्व की वर्तमान स्थितियों के बाद भारत मे ही ट्रेवल करेंगे, तो देशी पर्यटकों का अच्छा बूम देखने को मिल सकता है.

पर्यटन व्यवसायियों का कहना है कि जैसलमेर सहित पूरे देश के पर्यटन स्थलों में इस बार विदेशी सैलानी लगभग अगले एक वर्ष तक नहीं आएंगे या बहुत कम संख्या में आएंगे. लेकिन देशी सैलानियों की आवक पिछले कई वर्षों की तुलना में आगामी सीजन में अधिक रहेगी और इसके लिए पर्यटन व्यवसायियों को इसके लिए कुछ विशेष तैयारियां करनी होगी.

जैसलमेर. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पुरे विश्व में सभी उद्योगों पर असर हुआ है और राजस्थान के पर्यटन उद्योग भी इससे अछूता नहीं रहा है. राजस्थान में लाखों लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पर्यटन उद्योग से जुड़े है. जिनके सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है.

पर्यटन को कोरोना की वजह से बड़ा घाटा

बात करें पिछले 30 सालों की तो कला और संस्कृति का प्रयाय पर्यटन नगरी जैसलमेर जो कि स्वर्ण नगरी के नाम से विश्वविख्यात है. यहां की 80 से 90 प्रतिशत जनता इसी पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी है. इसके चलते पर्यटन को जैसलमेर अर्थव्यवस्था की नींव कहे, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.

पहले नोटबंदी और अब कोरोना

नोटबन्दी के बाद आई मंदी के चलते गत कुछ वर्षों में जैसलमेर में पर्यटन व्यवसाय की गति धीमी हो गयी थी, परन्तु 2019-2020 का सीजन कहीं न कहीं राहत देने वाला साबित हो रहा था कि दुर्भाग्यवश कोविड-19 वायरस के आने से सीजन समय से पहले ही थम गया. यहां का सीजन 15 अगस्त से तकरीबन 30 अप्रैल तक रहता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारणवश मार्च के पहले हफ्ते में ही पर्यटन सीजन खत्म हो गया और रोजगार पर भारी संकट बनता जा रहा है.

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कभी सैलानियों से रहता था सराबोर

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ऊंटों पर सवार सैलानी

वर्तमान अवसरों का उठाना होगा फायदा

इटालियन टूर एस्कॉट आनन्द श्रीपत ने बताया कि पर्यावरण से किया गया खिलवाड़ कोरोना के रूप में उभर कर सामने आया है और सभी के दिलों मे एक डर सा बना दिया है. लेकिन लेटिन भाषा के एक शब्द कार्पेडियम जिसका शाब्दिक अर्थ है 'वर्तमान अवसरों को जाने ना देना' इसे सार्थक करने की जरुरत है और लोग इसे समझ भी रहे है.

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ऐतिहासिक किले

कोरोना के बाद पूरे विश्व के लोगों को एक बात समझ आ गई है कि स्थितियां सामान्य होने पर हमें ट्रैवल करना है. हमें नई-नई जगहें देखनी है, हमें अनुभव करना है. क्योंकि कोरोना ने हमें सीखा दिया है कि इस जीवन में अपार अनिश्चितताएं है और इसे वर्तमान में ही जीना होगा. बिना भविष्य के बारे में ज्यादा सोचे.

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जैसलमेर में सन सेट की फोटो

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आनंद बताते है कि वह पिछले 11 सालों से एक एस्कॉर्ट के रूप में इटली के पर्यटकों से जुड़े हैं और इन दिनों जब भी इटली और यूरोप के लोगों से बात होती है, तो वे कहते हैं कि स्थितियां सामान्य होने पर घूमने के लिए जरूर निकलेंगे. कोरोना ने सिखा दिया है कि अकाउंट में हजारों लाखों यूरो, पाउण्ड और डॉलर्स पड़े है परन्तु अभी वो किसी काम नहीं आ रहे.

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पर्यटन व्यवसायियों का कहना है कि जैसलमेर सहित पूरे देश के पर्यटन स्थलों में इस बार विदेशी सैलानी लगभग अगले एक वर्ष तक नहीं आएंगे या बहुत कम संख्या में आएंगे. लेकिन देशी सैलानियों की आवक पिछले कई वर्षों की तुलना में आगामी सीजन में अधिक रहेगी और इसके लिए पर्यटन व्यवसायियों को इसके लिए कुछ विशेष तैयारियां करनी होगी.

Last Updated : May 25, 2020, 1:12 PM IST
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