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जैसलमेरः नहीं थमा ट्रक यूनियन व ठेकेदार के बीच विवाद, ट्रक संचालकों ने दी आमरण अनशन की चेतावनी

जैसलमेर में 16 अगस्त से जैसलमेर ट्रक यूनियन के बैनर तले शुरू हुआ विरोध आज भी जारी है. ट्रक मालिक और आरएसएमएम ठेकेदार एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. ट्रक मालिकों का आरोप है कि ठेकेदार उनका रोजगार छीनना चाह रहे हैं. इस संबंध में ट्रक मालिकों ने आमरण अनशन की भी चेतावनी दे दी है.

ट्रक यूनियन का विवाद, Truck union dispute
सड़कों पर लगी ट्रकों की लंबी कतारे
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Published : Aug 20, 2020, 2:39 PM IST

जैसलमेर. जिले में ट्रक मालिकों और आरएसएमएम के ठेकेदार के बीच चल रहा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. ट्रक मालिकों और आरएसएमएम के ठेकेदारों के बीच चल रहे लाइमस्टोन की ढुलाई दरों को लेकर उपजे विवाद का परिणाम यह हुआ कि अब धीरे-धीरे ट्रकों के पहिए थमने लगे हैं.

ट्रक यूनियन और ठेकेदार के बीच विवाद जारी

16 अगस्त से जैसलमेर ट्रक यूनियन के बैनर तले शुरू हुआ या विरोध अभी जारी है, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल सका है. हालांकि ट्रक मालिकों ने अब अपने ट्रक खड़े करने शुरू कर दिए हैं, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस एस्कॉर्ट में ठेकेदार की गाड़ियां ढुलाई कर रहीं हैं. ट्रक यूनियन के अध्यक्ष कंवराज सिंह जाम का आरोप है कि नए टेंडर के अनुसार लाइम स्टोन ढुलाई रेट जहां 137 रुपए प्रति टन है वहीं ठेकेदार उसमें से केवल 42 रुपए प्रति टन ट्रक मालिकों को देना चाहते हैं और शेष अपने पास रखना चाहता हैं. जबकि प्रति टन ढुलाई का खर्च ही 50 रुपए आ जाएगा. ऐसे में इस रेट पर ट्रक संचालक काम नहीं कर सकते.

पढ़ेंः दौसा : ससुराल वालों से प्रताड़ित महिला को 'सखी' ने दिलाया इंसाफ, वापस घर पहुंची पीड़िता

ट्रक यूनियन अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि ठेकेदार जानबूझकर यह सब कर रहा है ताकि वह इन ट्रक मालिकों और संचालकों का रोजगार छीन सके. उनका कहना है कि पिछले 20 सालों से यहां एक व्यवस्था के चलते जो भी ठेकेदार आता है वह एक रेट तय करता है और उसके अनुसार ही सब ट्रक चलते हैं. लेकिन इस बार जो ठेकेदार हैं वह अपनी जिद्द पर अड़े हैं.

पढ़ेंः लोकदेवता बाबा रामदेव के प्राकट्य दिवस पर समाधि का पंचामृत से अभिषेक, पहनाया गया स्वर्ण मुकुट

यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि वो हाल ही में कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद और जिला कलेक्टर आशीष मोदी से मिले थे. जिस पर ट्रक यूनियन और ठेकेदार के बीच बैठक करवा कर हल निकालने की बात कही गई थी, लेकिन उस पर भी फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में उनका कहना है कि समय रहते यदि इसका कोई हल नहीं निकलता है तो उनकी आगामी रणनीति आमरण अनशन की होगी.

पढ़ेंः प्रतापगढ़: खाई में बेसुध मिला युवक, जिला अस्पताल में कराया गया भर्ती

जिले के सैकड़ों ट्रक मालिकों और संचालकों सहित उन पर निर्भर कई परिवारों के समक्ष इस विवाद के चलते रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. जिस पर ठेकेदार के प्रति रोष व्याप्त है. वहीं इस पूरे मामले में जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैये से भी ट्रक संचालकों में भारी रोष है. पिछले 4 दिनों से ट्रक संचालक अपने हक की लड़ाई के लिए हड़ताल पर बैठे हैं लेकिन अब तक जिले के किसी भी प्रतिनिधि ने जाकर उनकी सुधि नहीं ली है.

जैसलमेर. जिले में ट्रक मालिकों और आरएसएमएम के ठेकेदार के बीच चल रहा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. ट्रक मालिकों और आरएसएमएम के ठेकेदारों के बीच चल रहे लाइमस्टोन की ढुलाई दरों को लेकर उपजे विवाद का परिणाम यह हुआ कि अब धीरे-धीरे ट्रकों के पहिए थमने लगे हैं.

ट्रक यूनियन और ठेकेदार के बीच विवाद जारी

16 अगस्त से जैसलमेर ट्रक यूनियन के बैनर तले शुरू हुआ या विरोध अभी जारी है, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल सका है. हालांकि ट्रक मालिकों ने अब अपने ट्रक खड़े करने शुरू कर दिए हैं, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस एस्कॉर्ट में ठेकेदार की गाड़ियां ढुलाई कर रहीं हैं. ट्रक यूनियन के अध्यक्ष कंवराज सिंह जाम का आरोप है कि नए टेंडर के अनुसार लाइम स्टोन ढुलाई रेट जहां 137 रुपए प्रति टन है वहीं ठेकेदार उसमें से केवल 42 रुपए प्रति टन ट्रक मालिकों को देना चाहते हैं और शेष अपने पास रखना चाहता हैं. जबकि प्रति टन ढुलाई का खर्च ही 50 रुपए आ जाएगा. ऐसे में इस रेट पर ट्रक संचालक काम नहीं कर सकते.

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ट्रक यूनियन अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि ठेकेदार जानबूझकर यह सब कर रहा है ताकि वह इन ट्रक मालिकों और संचालकों का रोजगार छीन सके. उनका कहना है कि पिछले 20 सालों से यहां एक व्यवस्था के चलते जो भी ठेकेदार आता है वह एक रेट तय करता है और उसके अनुसार ही सब ट्रक चलते हैं. लेकिन इस बार जो ठेकेदार हैं वह अपनी जिद्द पर अड़े हैं.

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यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि वो हाल ही में कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद और जिला कलेक्टर आशीष मोदी से मिले थे. जिस पर ट्रक यूनियन और ठेकेदार के बीच बैठक करवा कर हल निकालने की बात कही गई थी, लेकिन उस पर भी फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में उनका कहना है कि समय रहते यदि इसका कोई हल नहीं निकलता है तो उनकी आगामी रणनीति आमरण अनशन की होगी.

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जिले के सैकड़ों ट्रक मालिकों और संचालकों सहित उन पर निर्भर कई परिवारों के समक्ष इस विवाद के चलते रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. जिस पर ठेकेदार के प्रति रोष व्याप्त है. वहीं इस पूरे मामले में जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैये से भी ट्रक संचालकों में भारी रोष है. पिछले 4 दिनों से ट्रक संचालक अपने हक की लड़ाई के लिए हड़ताल पर बैठे हैं लेकिन अब तक जिले के किसी भी प्रतिनिधि ने जाकर उनकी सुधि नहीं ली है.

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