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जैसलमेर: वन्यजीवों को भीषण गर्मी के प्यास से राहत दिलाने के लिए 60 जल स्रोत किए गए स्थापित - वन्यजीव प्रेमी राधेश्याम पेमानी

नौतपा के दौरान सूर्यदेव जमकर अपना प्रकोप दिखा रहे हैं. वहीं, इंसानों के साथ-साथ जानवर भी परेशान है. ऐसे में डेजर्ट नेशनल पार्क के अधिकारियों ने इन वन्य जीवों के लिए लगभग 60 पानी के स्रोत्र स्थापित किए हैं. जिन्हें नियमित रूप से भरा जा रहा है जिससे इन जानवरों को राहत मिल रही है.

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वन्यजीवों के लिए 60 जल स्रोत किए स्थापित
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Published : May 29, 2020, 10:26 PM IST

जैसलमेर. जिले में इन दिनों सूर्य अपना रौद्र रूप दिखा रहा है. शहर में जहां तापमान 46 डिग्री के पार पहुंच गया है, वहीं ग्रामीण और रेगिस्तानी इलाकों में ये और भी अधिक है. ऐसे में ये भीषण गर्मी वन्यजीवों पर भारी पड़ रही है और कई इलाकों में चिंकारा, हिरण और गोडावण को पानी की खोज में इधर-उधर घूमते देखा जा सकता है.

वन्यजीवों के लिए 60 जल स्रोत किए स्थापित

इस भीषण गर्मी में इन वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए अब वन विभाग और कई वन्यजीव प्रेमी आगे आए हैं. डेजर्ट नेशनल पार्क के अधिकारियों ने इन वन्य जीवों के लिए लगभग 60 पानी के स्रोत्र स्थापित किए हैं. जिन्हें नियमित रूप से भरा जा रहा है. जिससे इन जानवरों को राहत मिल रही है.

वर्तमान हालातों में जहां जैसलमेर में तापमान 46 डिग्री से पार है. ऐसे में गोडावण, चिंकारा, हिरण, आदि जानवर गर्मी में जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और ऐसे में ये जल स्त्रोत उनके लिए राहत के रूप में सामने आए हैं. पानी की तलाश में भटकते वन्यजीव कई बार आवारा कुत्तों का शिकार बनते हैं. इन दिनों गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) का प्रजनन जारी है और पानी के स्रोतों के पास नर और मादा गोडावन को देखा जा सकता है.

डीएनपी के उपवन संरक्षक कपिल चंद्रावत ने बताया कि हर साल गर्मी के दौरान वन विभाग की ओर से डीएनपी में वन्यजीवों के लिए पानी का इंतजाम किया जाता है. इस बार भी डीएनपी क्षेत्र के अंदर और उसके आस-पास के क्षेत्र में प्राकृतिक और कृत्रिम रूप से स्थापित किये गए लगभग 60 जल स्रोतों में टैंकर के माध्यम से नियमित रूप से पानी भरा जाता है और यहां कई वन्य जीवों को पानी पीते देखा गया है.

पढ़ें- जैसलमेर: भीषण गर्मी में भी Corona Warriors पीपीई कीट पहनकर कर रहे इलाज

चंद्रावत ने कहा कि डीएनपी क्षेत्र के क्लोजर्स के अंदर गजलर्स और अन्य जल स्रोतों और क्लोजर के बाहर जो वन्य जीवों का विचरण क्षेत्र है उसके आस पास प्राकृतिक जल स्रोत जैसे नाड़ियां और कृत्रिम जल भराव बिंदु स्थापित किए गए है, जिन्हें पानी के टैंकरों की मदद से भरा जा रहा है, ताकि इस भीषण गर्मी में वन्यजीवों को राहत मिल सके.

वन्यजीव प्रेमी राधेश्याम पेमानी ने कहा कि धोलियां, खेतोलाई और उसमें आस पास के वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्र में हिरण, गोडावण और अन्य कई वन्य जीव बड़ी संख्या में विचरण करते है. जो इन दिनों गर्मी से जूझ रहे हैं और उनकी प्यास बुझाने के लिए वन विभाग और ग्रामीणों के सहयोग से इस क्षेत्र में 20 स्थानों पर पानी उपलब्ध करवाया जा रहा हैं. उन्होंने कहा कि अभी भी कई ऐसे स्थान हैं जहां जानवरों को पानी की तलाश में घूमते देखा जा सकता है और कई बार ये वन्य जीव जंगली कुत्तों का शिकार हो जाते हैं.

जैसलमेर. जिले में इन दिनों सूर्य अपना रौद्र रूप दिखा रहा है. शहर में जहां तापमान 46 डिग्री के पार पहुंच गया है, वहीं ग्रामीण और रेगिस्तानी इलाकों में ये और भी अधिक है. ऐसे में ये भीषण गर्मी वन्यजीवों पर भारी पड़ रही है और कई इलाकों में चिंकारा, हिरण और गोडावण को पानी की खोज में इधर-उधर घूमते देखा जा सकता है.

वन्यजीवों के लिए 60 जल स्रोत किए स्थापित

इस भीषण गर्मी में इन वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए अब वन विभाग और कई वन्यजीव प्रेमी आगे आए हैं. डेजर्ट नेशनल पार्क के अधिकारियों ने इन वन्य जीवों के लिए लगभग 60 पानी के स्रोत्र स्थापित किए हैं. जिन्हें नियमित रूप से भरा जा रहा है. जिससे इन जानवरों को राहत मिल रही है.

वर्तमान हालातों में जहां जैसलमेर में तापमान 46 डिग्री से पार है. ऐसे में गोडावण, चिंकारा, हिरण, आदि जानवर गर्मी में जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और ऐसे में ये जल स्त्रोत उनके लिए राहत के रूप में सामने आए हैं. पानी की तलाश में भटकते वन्यजीव कई बार आवारा कुत्तों का शिकार बनते हैं. इन दिनों गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) का प्रजनन जारी है और पानी के स्रोतों के पास नर और मादा गोडावन को देखा जा सकता है.

डीएनपी के उपवन संरक्षक कपिल चंद्रावत ने बताया कि हर साल गर्मी के दौरान वन विभाग की ओर से डीएनपी में वन्यजीवों के लिए पानी का इंतजाम किया जाता है. इस बार भी डीएनपी क्षेत्र के अंदर और उसके आस-पास के क्षेत्र में प्राकृतिक और कृत्रिम रूप से स्थापित किये गए लगभग 60 जल स्रोतों में टैंकर के माध्यम से नियमित रूप से पानी भरा जाता है और यहां कई वन्य जीवों को पानी पीते देखा गया है.

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चंद्रावत ने कहा कि डीएनपी क्षेत्र के क्लोजर्स के अंदर गजलर्स और अन्य जल स्रोतों और क्लोजर के बाहर जो वन्य जीवों का विचरण क्षेत्र है उसके आस पास प्राकृतिक जल स्रोत जैसे नाड़ियां और कृत्रिम जल भराव बिंदु स्थापित किए गए है, जिन्हें पानी के टैंकरों की मदद से भरा जा रहा है, ताकि इस भीषण गर्मी में वन्यजीवों को राहत मिल सके.

वन्यजीव प्रेमी राधेश्याम पेमानी ने कहा कि धोलियां, खेतोलाई और उसमें आस पास के वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्र में हिरण, गोडावण और अन्य कई वन्य जीव बड़ी संख्या में विचरण करते है. जो इन दिनों गर्मी से जूझ रहे हैं और उनकी प्यास बुझाने के लिए वन विभाग और ग्रामीणों के सहयोग से इस क्षेत्र में 20 स्थानों पर पानी उपलब्ध करवाया जा रहा हैं. उन्होंने कहा कि अभी भी कई ऐसे स्थान हैं जहां जानवरों को पानी की तलाश में घूमते देखा जा सकता है और कई बार ये वन्य जीव जंगली कुत्तों का शिकार हो जाते हैं.

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