जयपुर. योजना भवन स्थित सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DoIT) में गोल्ड और कैश मिलने के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने निलंबित ज्वाइंट डायरेक्टर वेदप्रकाश यादव पर शिकंजा कस दिया है. उसे बीती रात पूछताछ के लिए हिरासत में लेने के बाद ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है. अब आज वेदप्रकाश यादव को आर्थिक अपराध न्यायालय में पेश किया जाएगा. संभावना है कि विस्तृत पूछताछ के लिए ईडी उसे रिमांड पर ले सकती है. फिलहाल, वेदप्रकाश यादव को जयपुर में ही रखा गया है.
दरअसल, जयपुर में योजना भवन स्थित सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DoIT) के बेसमेंट में रखी अलमारियों में 19 मई को 2.31 करोड़ रुपए कैश और एक किलो सोना मिला था. इस मामले में पुलिस ने DoIT के ज्वाइंट डायरेक्टर वेदप्रकाश यादव को हिरासत में लिया. पूछताछ में उसने कबूल किया था कि यह सोना और कैश उसी का है. उसके बाद उसे एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया था. इसके साथ ही सरकार ने उसे निलंबित भी कर दिया था. अब इस मामले में ईडी ने कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि ईडी उससे DoIT में भ्रष्टाचार की कड़ियों को लेकर पूछताछ कर सकती है. ऐसे में आने वाले दिनों में इस पूरे मामले से जिनके तार जुड़े पाए जाएंगे. ईडी उन पर भी शिकंजा कस सकती है.
दो ठिकानों पर दी ईडी ने दबिश : बताया जा रहा है कि DoIT के निलंबित ज्वाइंट डायरेक्टर वेदप्रकाश यादव पर शिकंजा कसने से पहले ईडी ने उससे जुड़े दो ठिकानों पर सर्च की कार्रवाई की थी. इसमें भी कई अहम सबूत हाथ लगने की बात सामने आ रही है. संभावना है कि आगामी दिनों में ईडी इस मामले को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे कर सकती है.
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सीसीटीवी फुटेज से पकड़ा गया था : DoIT के बेसमेंट में रखी दो अलमारियों में कैश और गोल्ड मिलने के बाद पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले तो एक शख्स बैग अलमारी में रखता दिखाई दिया. उसकी पहचान ज्वाइंट डायरेक्टर वेदप्रकाश यादव के रूप में होने पर पुलिस ने उसे हिरासत में लिया और एसीबी को सौंप दिया था. इस मामले को लेकर मुख्य सचिव उषा शर्मा और तत्कालीन पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रकरण का खुलासा किया था.
भाजपा सांसद किरोड़ी लाल ने खोला था मोर्चा : इस मामले में भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने प्रदेश की गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए इसकी सीबीआई या ईडी से जांच करवाने की मांग की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि उपकरण सप्लाई और इंस्टॉलेशन जैसे कई प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार हुआ है. इसके साथ ही ट्रैवलिंग के नाम पर भी भ्रष्टाचार के उन्होंने आरोप लगाए थे. यात्रा भत्ते के नाम पर फर्जी बिल बनाने के भी आरोप लगाए थे. उन्होंने चाइनीज पोस मशीन खरीद में भी 100 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया था.