जयपुर. हर साल 29 अक्टूबर को वर्ल्ड स्ट्रोक डे के रूप में मनाया जाता है. आज के दिन स्ट्रोक के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न अभियान व कार्यक्रमों के आयोजन होते हैं. सोच ये है कि स्ट्रोक के रिस्क को कम किया जा सके. चिकित्सकों की मानें तो कोरोना के बाद देश में स्ट्रोक के मामलों में बढ़ोतरी (Stroke cases increased after corona in india) हुई है. जिसका प्रमुख कारण खून का गाढ़ा होना है. आमतौर पर पहले स्ट्रोक के मामले सबसे अधिक वृद्धों में देखने को मिलते थे, लेकिन अब युवा भी इसके लपेटे में हैं.
स्ट्रोक के लक्षण: जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai Mansingh Hospital in Jaipur) के वरिष्ठ चिकित्सक व न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. त्रिलोचन श्रीवास्तव का कहना है कि आमतौर पर स्ट्रोक को पक्षाघात के रूप में जाना जाता है. वर्तमान में स्ट्रोक के मामले करीब एक तिहाई मरीजों में देखने को मिल रहे हैं. साथ ही इसके लक्षण कुछ समय पहले ही दिखाई देने लगते हैं. जिसमें एक ओर के हाथ या फिर पैर के मूवमेंट का कम होना, आवाज का अचानक बदल जाना, एक तरफ के मुंह का टेढ़ा होना, चलने में परेशानी होना और कभी कभार एक आंख से दिखाई देना भी इसके लक्षण है.
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डॉ. श्रीवास्तव ने आगे बताया कि कभी-कभी इस बीमारी से जुड़े लक्षण कुछ समय के लिए ही शरीर में दिखाई देते हैं. ऐसे में मरीजों को तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए. आमतौर पर खून का गाढ़ा होना इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में से एक है. जिसके कारण रक्त वाहिकाओं में क्लॉटिंग की समस्या देखने को मिलती है.
ऐसे लोग हो जाएं सावधान: चिकित्सकों का कहना है कि स्ट्रोक के मामले 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में देखने को मिलते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से युवाओं में भी स्ट्रोक के मामले लगातार बढ़े हैं. जो लोग शारीरिक मेहनत या फिर नियमित व्यायाम नहीं करते हैं, उनमें स्ट्रोक की संभावना अधिक रहती है. वहीं, जिन लोगों का खानपान ठीक नहीं है और मोटापे के शिकार हो रहे हैं, उन लोगों में भी स्ट्रोक के मामले सबसे अधिक देखने को मिल रहे हैं.
डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि जंक फूड, तला भोजन और बीड़ी-सिगरेट की लत वालों में भी लगातार स्ट्रोक का खतरा बना रहता है. पिछले कुछ समय से लोगों में जंक फूड की लत सबसे अधिक देखने को मिल रही है. जबकि युवाओं में धूम्रपान के कारण स्ट्रोक के मामले सबसे अधिक सामने आ रहे हैं. इसके अलावा डायबिटीज और बीपी के मरीजों में भी स्ट्रोक का खतरा बना रहता है. ऐसे में इन लोगों को सर्दियों के दौरान सतर्क रहने की जरूरत है.
शुरुआती 4 घंटे गोल्डन आवर्स: डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि स्ट्रोक का अटैक कभी भी आ सकता है, लेकिन अटैक के दौरान मरीज व उनके परिजनों को सावधान रहने की जरूरत होती है. यदि मरीज का कोई अंग अचानक काम करना बंद कर दें या फिर मरीज को अचानक दिखाई न दे तो तुरंत उसे अस्पताल ले जाना चाहिए. यदि मरीज स्ट्रोक की चपेट में आया है तो शुरुआती चार घंटों के दौरान मिलने वाले इलाज से वो ठीक हो सकता है. इसे गोल्डन आवर्स भी कहा जाता है.
कैरोटिड डॉपलर से भांप सकते हैं स्ट्रोक का खतरा: हार्ट अटैक से संबंधित जानकारी व मरीज में इसके लक्षण को अगर जानना हो तो सीटी एंजियोग्राफी, कैल्शियम स्कोर या दूसरी जांच करके भी इसके बारे में जान सकते हैं. ठीक इसी प्रकार हार्ट से ब्रेन को ब्लड सप्लाई करने वाली कैरोटिड आर्टरी की जांच करके भी स्ट्रोक के संभावित खतरे को पहले भांपा जा सकता है.