जयपुर. वर्ल्ड प्लास्टिक सर्जरी डे विश्व भर में हर साल 15 जुलाई को मनाया जाता है. प्लास्टिक सर्जरी को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करने और अधिक से अधिक जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन को मनाया जाता है. ETV भारत ने प्रदेश की पहली महिला प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर मालती गुप्ता से बातचीत की. डॉ. मालती का दावा है कि प्लास्टिक सर्जरी का जनक भारत ही है. विश्व में पहली प्लास्टिक सर्जरी शल्य चिकित्सक सुश्रुत ने कटी हुई नाक को ठीक करके की थी. प्लास्टिक सर्जरी की नींव भारत में रखी गई. आज भी विश्व भर में उसी पद्धति को काम में लिया जाता है, जिसे हम इंडियन मेथड ऑफ राइनोप्लास्टी सर्जरी के नाम से जानते हैं.
2011 में राष्ट्रीय वर्ल्ड प्लास्टिक सर्जरी डे : डॉ. मालती गुप्ता बताती हैं कि वर्ल्ड प्लास्टिक सर्जरी डे की शुरुआत सबसे पहले भारत से हुई. वर्ष 2011 में एसोसिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन इन इंडिया (एपीएसआई) ने इस दिन को मनाने का निर्णय किया. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक सर्जरी को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करना था. इसी के साथ भारत में हर साल 15 जुलाई को राष्ट्रीय प्लास्टिक सर्जरी दिवस मनाने की शुरुआत हुई.
2021 में वर्ल्ड प्लास्टिक सर्जरी डे : इसके बाद वर्ष 2021 में अमेरिका में पूरे विश्व के प्लास्टिक सर्जरी संगठनों की स्पेशल मीटिंग हुई. इस मीटिंग में इंडिया की तरफ से एसोसिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन इन इंडिया के अध्यक्ष से राकेश खजांची भी शामिल हुए. उन्होंने उस मीटिंग में भारत की प्लास्टिक सर्जरी के बारे में बताया. साथ ही इसको लेकर फैली भ्रांतियों के लिए मनाए जाने वाले स्पेशल डे के बारे में बताते हुए प्रस्ताव रखा कि विश्व स्तर पर भी इस दिन को मनाया जाना चाहिए. इस प्रस्ताव को सभी देशों के संगठनों ने सहमति दी और तय किया कि इसी वर्ष से 15 जुलाई को वर्ल्ड प्लास्टिक सर्जरी डे की शुरुआत करेंगे. इसके बाद से हर साल वर्ल्ड में 15 जुलाई को वर्ल्ड प्लास्टिक सर्जरी डे के रूप में मनाया जाने लगा.
क्यों मनाया जाता है ? : प्लास्टिक सर्जरी दिवस मनाने का उद्देश्य प्लास्टिक सर्जरी को लेकर फैले भ्रांतियों को दूर करना, समाज में प्लास्टिक सर्जनों की भूमिका और योगदान को लेकर जागरूक करना है. डॉ. मालती गुप्ता कहती हैं कि 'प्लास्टिक' शब्द ग्रीक शब्द 'प्लास्टिकोस' से लिया गया है, जिसका अर्थ है रिकंस्ट्रक्ट मतलब दोबारा बनाना. सिर से लेकर पांव तक कोई भी विकृति हो, कोई भी अंग कटा हो, घाव हो गया उसे भरना हो, ये सब प्लास्टिक सर्जरी में आता है.
प्लास्टिक सर्जरी को लेकर जागरूकता जरूरी : अक्सर प्लास्टिक सर्जरी को लेकर भ्रम है कि प्लास्टिक लगा देते हैं. यह भी भ्रम है कि किस चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए प्लास्टिक सर्जरी की जाती है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. इन सबकी जानकारी आम जनता को होना बहुत जरूरी है, ताकि वो इधर-उधर भटकने की जगह सही डॉक्टर के पास पहुंच सकें.
सुश्रुत का फार्मूला : भारत में प्राचीन काल में प्लास्टिक सर्जरी की जाती थी. शल्य चिकित्सक सुश्रुत ने दुनिया में चिकित्सा और शल्य चिकित्सा की पहली पुस्तक लिखी थी. डॉक्टर मालती गुप्ता कहती हैं कि प्लास्टिक सर्जरी की पद्धति बहुत पुरानी है. सुश्रुत नाम के शल्य चिकित्सक का लिखा हुआ ग्रंथ सुश्रुत संहिता ग्रंथ है, जिसमें उन्होंने लिखा है किस तरफ से प्लास्टिक सर्जरी की जाती है. उसमें कितने स्टूमेंट्स काम में लिए जाते हैं. सबसे बड़ी बात यह कि सुश्रुत ने जिस टेक्निक से कटी हुई नाक को ठीक किया था, उसे इंडियन मेथड ऑफ राइनोप्लास्टी सर्जरी के नाम से जाना जाता है. आज भी यह मेथड काम में लिया जाता है.