जयपुर. अपने बच्चे को ममता, प्यार और पोषण भरी शुरुआत देना हर मां की जिम्मेदारी होती है. आपने किसी न किसी को ऐसा कहते हुए जरूर सुना होगा कि मां का दूध पिया है तो मैदान में आजा. वाकई मां का दूध बच्चों के शारीरिक- मानसिक विकास के लिए कारगर है. यही नहीं मां का दूध ही मां और बच्चे के बीच बॉन्डिंग भी बढ़ाता है. हालांकि आज ऐसी कुछ भ्रांतियां पैदा हो गई है कि महिलाएं अपने बच्चों को दूध पिलाने से बचती हैं. यही वजह है कि ब्रेस्टफीडिंग के प्रति जागरूक करने और इसे बढ़ावा देने के लिए ब्रेस्टफीडिंग वीक की शुरुआत करनी पड़ी. अब ये जागरूकता सप्ताह 100 से ज्यादा देशों में मनाया जा रहा है.
आज के जमाने में पढ़ी-लिखी महिलाओं में भ्रांति पैदा हो गई है कि यदि वो अपना दूध बच्चे को पिलाएंगी तो उनकी शारीरिक क्षमता और सुंदरता कम होगी. जेके लोन अधीक्षक डॉ कैलाश मीणा ने इस भ्रांति को दूर करते हुए कहा कि जो मां अपने बच्चों को दूध पिलाती है वो सुंदर, आकर्षक और हमेशा स्वस्थ रहती है. इसके अलावा भविष्य में डायबिटीज, हाइपरटेंशन, ब्रेस्ट कैंसर की संभावना कम हो जाती है. इसके साथ ही बच्चे को भी फायदा मिलता है. मां के दूध में हाई एंटीबायोटिक और दूसरे जरूरत के पदार्थ होते हैं. जो बच्चों में रजिस्टेंस पावर बढ़ाता है, और बच्चा बीमार नहीं होता. जो बच्चे मां का दूध पीते हैं, वो आगे जाकर बुद्धिमान और बलवान होते हैं.
उन्होंने बताया कि ऐसे बहुत कम केस है, जिसमें मां के शरीर में दूध नहीं बनता. ऐसी माताओं को डॉक्टर से राय लेनी चाहिए. बच्चों को कम से कम जन्म के करीब 6 महीने तक ब्रेस्टफीडिंग की सलाह दी जाती है. जहां तक किसी मजबूरी का सवाल है कि मां बीमार हो या वर्किंग वुमन हो तो इसके लिए सरकार ने एक अच्छा प्रयास शुरू किया है. जिसके तहत राजधानी के जेके लोन अस्पताल और महिला अस्पताल में मदर मिल्क बैंक बनाया गया है. जहां ऐसी महिलाएं जिनके शरीर में दूध ज्यादा बन रहा है, वो अपना दूध दान कर सकती हैं. ताकि जरूरतमंद बच्चों को वो दूध पिलाया जा सके. ऐसे बच्चे जो समय से पहले पैदा हुए हैं या फिर जिनका वजन कम है, उन्हें इन बैंकों में उपलब्ध दूध उपलब्ध कराने की कोशिश है. हालांकि लोगों में भी ऐसी प्रवृत्ति बनी नहीं है. लोग दूध डोनेट करने के लिए मोटिवेट नहीं हुए हैं. इसलिए यहां महिला या उनके साथ आए परिजनों की काउंसलिंग भी की जाती है. ताकि इसका उद्देश्य समझाते हुए इसे बढ़ावा मिले.
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वहीं सीनियर पेडिएक्ट्रीशियन डॉ मनीष शर्मा ने बताया कि जेके लोन अस्पताल में राज्य का सबसे बड़ा मदर मिल्क बैंक है. यहां इतना मिल्क जनरेट कर लेते हैं ताकि जो न्यूबॉर्न या प्रिटर्म बच्चे पैदा होते हैं और जिन्हें दूध की जरूरत होती है, उन्हें दूध मिल्क बैंक से उपलब्ध कराया जाता है. ये एक स्टेट ऑफ आर्ट मिल्क बैंक है. जिसमें हाई क्लास मशीनें लगाई गई हैं. यहां माइनस 20 डिग्री तक मिल्क को स्टोर कर करीब 6 महीने तक इस मिल्क को काम में ले सकते हैं. डॉ मनीष कहते हैं कि मदर मिल्क बच्चों के लिए भगवान का एक नायाब वरदान है. मां का दूध बच्चे की हेल्थ के हिसाब से ही डिसाइड होता है. अगर बच्चा प्रिटर्म पैदा हुआ है, तो उसके पालन और ग्रोथ के लिए हाई प्रोटीन और हाई विटामिन कंटेंट रिक्वायर्ड होते हैं. तो मदर उसी तरह का दूध प्रोड्यूस करती है.
मदर मिल्क तीन तरह का होता है :
फोर मिल्क - शुरुआत में जो दूध आता है उसे फोरमिल्क कहते हैं जिसमें अमीनो एसिड, प्रोटीन और विटामिन ज्यादा होते हैं. यर दूध बच्चों के ब्रेन डेवलपमेंट के लिए जरूरी होता है.
मिड मिल्क - मिड मिल्क में फैट और कार्बोहाइड्रेट होते हैं.
हाई मिल्क - हाई मिल्क में कार्बोहाइड्रेट और शुगर ज्यादा होते हैं.
डॉ मनीष ने बताया कि इसलिए एक मां अपने बच्चे को जब भी दूध पिलाए, तो एक बार में एक ब्रेस्ट से ही दूध पिलाए. तभी उस मिल्क के तीनों कॉम्पोनेंट बच्चे में जाएंगे.