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RSCW और महिला संगठन सामने-सामने, रेहाना रियाज ने कहा-सच बोलने से नहीं डरती, संगठनों ने बताया 'काला आदेश'

प्रदेश में झूठे मामले दर्ज कराने वाली महिलाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के आदेश पर बवाल मच गया (women social organizations protest against RSCW) है. महिला आयोग के आदेश के बाद आयोग और महिला सामाजिक संगठन आमने-सामने हो गए हैं. एक तरफ संगठनों का कहना है कि ये काला आदेश है. वहीं आयोग अध्यक्ष का मानना है कि सच बोलने से नहीं डरती हैं.

women social organizations protest against RSCW
RSCW और महिला संगठन सामने-सामने
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Published : Nov 2, 2022, 9:52 PM IST

Updated : Nov 2, 2022, 11:44 PM IST

जयपुर. राजस्थान में राज्य महिला आयोग और सामाजिक महिला संगठन आमने-सामने हो गए हैं. महिला आयोग ने फरमान जारी करते हुए झूठा मुकदमा दर्ज कराने वाली महिलाओं के ​खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की, तो महिला सामाजिक संगठन सड़कों पर उतर आईं. संगठनों ने इस आदेश को काला आदेश बताते हुए आयोग के दफ्तर में विरोध प्रदर्शन (women social organizations protest against RSCW) किया. महिला संगठनों ने अध्यक्ष से इस आदेश को वापस लेने के साथ ही यथास्थिति की मांग की, जबकि महिला आयोग अध्यक्ष ने साफ कर दिया कि वे सच बोलने से नहीं डरती.

रेहाना रियाज का घेराव: संगठनों ने महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज के बयान के बाद न केवल कड़ी आपत्ति दर्ज कराई बल्कि आदेश को वापस लेने और पद से इस्तीफा देने की मांग को अध्यक्ष का घेराव किया. महिला संगठनों ने इस आदेश को महिलाओं के लिए काला आदेश करार दिया. उन्होंने महिला आयोग अध्यक्ष से तत्काल प्रभाव से अपने आदेश को वापस लेने और प्रदेश की महिलाओं से माफी मांगने की मांग की.

RSCW और महिला संगठन सामने-सामने...

राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लाड कुमारी जैन ने कहा कि आयोग का काम महिलाओं को न्याय दिलाना है. महिलाओं के अधिकार कैसे संरक्षित रहें, इस पर काम करना है, ना कि इन महिलाओं ने झूठे मामले दर्ज कराए और उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करे. जैन ने कहा कि कई बार पुलिस की ओर से मामले में लगाई जाने वाली एफआर भी गलत निकलती है. ऐसे में आयोग कैसे तय करेगा कि किस महिला ने झूठा मामला दर्ज कराया है. इसके लिए आईपीसी की धाराओं में प्रावधान है और अगर किसी भी पीड़ित को लगता है कि उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करवाया गया है, तो वह न्यायालय में गुहार लगा सकता है.

पढ़ें: आदेश पर आक्रोश ! RSCW के फैसले से गुस्से में महिला संगठन , रेहाना रियाज का मांगा इस्तीफा

तुरंत इस्तीफा दिया जाए: विरोध प्रदर्शन में पूर्व राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष लाड कुमारी जैन, सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू, कविता श्रीवास्तव, अनीता माथुर, सुमन देवटिया, सुमित्रा चोपड़ा, ममता जेटली, कोमल श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में शामिल महिला संगठनों ने मांग करते हुए कहा कि आयोग की यह fake cases in harassment की श्रेणी वापस लें. जिन 60 मामलों में पुलिस में fir दर्ज करने को कहा है, इस निर्णय को खारिज करें. महिलाओं का अगर इस्तेमाल हो रहा है, उनको काउन्सल करें और सशक्त करें.

ये दिया ज्ञापन: महिला संगठनों ने साझा ज्ञापन राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष को दिया. उन्होंने कहा कि हम सभी इस महिला विरोधी रुख व कार्रवाई से क्षुब्ध हैं. महिलाओं की ओर से झूठे मामलों में उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 182 और 211 में कार्रवाई की जाएगी. इसमें आपने 60 मामलों में कार्रवाई के निर्देश भी दे दिए गए हैं. 3618 मामलों में से 418 में आपने तय कर लिया कि ये झूठे हैं. उसमें से 60 में पुलिस को निर्देश भी दे दिए कि केस दर्ज किया जाए. ऐसा महिला विरोधी कृत्य, देश के किसी भी आयोग ने कभी नहीं किया. इसकी भर्त्सना करते हैं और वापस लेने की मांग करते हैं.

पढ़ें: NCW vs RSCW : राष्ट्रीय महिला आयोग को सिर्फ राजस्थान दिखता है, दूसरे राज्यों में क्यों नहीं जाती - रेहाना रियाज

ज्ञापन में कहा गया कि महिलाओं के आंदोलन से वर्ष 1999 में महिला आयोग कानून बना था. तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में पारित करवाया. आयोग के पद और कानून की ऐसी धज्जियां किसी भी अध्यक्ष ने इन 22 सालों में नहीं उड़ाई जैसे आपने इस आयोग को कमजोर किया. महिलाओं की हितैषी और उनकी रक्षा में बनी संस्था महिलाओं की भक्षक संस्था कब से बन गई. ज्ञापन में कहा गया कि लगातार पुलिस की जांच को सर्वोपरि मानकर महिलाओं के विरुद्ध निर्णय लिए जा रहे हैं. राजस्थान पुलिस के महिला विरोधी रुख के कारण तो आयोग बनाया गया और उनके ही फैसलों से आपने इतना बड़ा निर्णय ले लिया.

सच बोलने से नहीं डरूंगी: रेहाना रियाज ने कहा कि क्योंकि मैं महिला आयोग के अध्यक्ष के पद पर इंसाफ के लिए बैठी हूं. कहीं पर भी किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. सिर्फ इसलिए नहीं कि मैं महिला हूं. इसलिए मुझे अधिकार नहीं मिल जाए कि मैं किसी के खिलाफ अन्याय करूं और महिला होने की वजह से मैं बच जाऊं. विभिन्न स्तरों पर जांच होने के बाद में हमारे सामने कई झूठे मामले आए. इसमें कहा गया कि जांच करें और अगर मामला वास्तविकता में झूठा पाया जाता है, तो उस परिवादी महिला के खिलाफ कार्रवाई करें. रियाज ने कहा कि ये मान के चलिए कि मामले फर्जी भी आ रहे हैं और उसको एक्सेप्ट करना चाहिए. रियाज ने कहा कि मैं महिला हूं, इसलिए सच नहीं बोलना, ऐसा भी नहीं होना चाहिए. जो सच है उसे हमें सबके सामने रखना ही पड़ेगा.

पढ़ें: Big News : महिला प्रताड़ना के झूठे मामले दर्ज कराने पर होगी IPC के तहत कार्रवाई, RSCW ने दिए निर्देश

किस आदेश पर है बवाल: बता दें कि राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज ने मंगलवार को कहा था कि आयोग की जिम्मेदारी पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाना ही नहीं बल्कि उन पुरुषों को भी न्याय दिलाना है, जिन्हें झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है. आयोग ने ऐसे 418 मामलों को चिन्हित किया है, जो झूठे पाए गए हैं. इनमें से 60 मामलों पर भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई करने के लिए राज्य महिला आयोग ने संबंधित जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं.

रियाज ने कहा कि जिन परिवादों पर परिवादिया ने झूठे मामले दर्ज कराएं हैं, उनमें उनके खिलाफ धारा 182 व 211 दंड भारतीय संहिता के तहत कार्रवाई की जाएगी, ताकि कोई भी महिला किसी भी देश या प्रतिशोध की भावना से किसी भी पुरुष के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज नहीं कराए. आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि महिलाओं को न्याय दिलाना आयोग की सर्वोच्च प्राथमिकता है, लेकिन आयोग की जिम्मेदारी बनती है कि वह यह देखें जो अधिकार महिलाओं को मिले हैं उनका दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है.

जयपुर. राजस्थान में राज्य महिला आयोग और सामाजिक महिला संगठन आमने-सामने हो गए हैं. महिला आयोग ने फरमान जारी करते हुए झूठा मुकदमा दर्ज कराने वाली महिलाओं के ​खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की, तो महिला सामाजिक संगठन सड़कों पर उतर आईं. संगठनों ने इस आदेश को काला आदेश बताते हुए आयोग के दफ्तर में विरोध प्रदर्शन (women social organizations protest against RSCW) किया. महिला संगठनों ने अध्यक्ष से इस आदेश को वापस लेने के साथ ही यथास्थिति की मांग की, जबकि महिला आयोग अध्यक्ष ने साफ कर दिया कि वे सच बोलने से नहीं डरती.

रेहाना रियाज का घेराव: संगठनों ने महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज के बयान के बाद न केवल कड़ी आपत्ति दर्ज कराई बल्कि आदेश को वापस लेने और पद से इस्तीफा देने की मांग को अध्यक्ष का घेराव किया. महिला संगठनों ने इस आदेश को महिलाओं के लिए काला आदेश करार दिया. उन्होंने महिला आयोग अध्यक्ष से तत्काल प्रभाव से अपने आदेश को वापस लेने और प्रदेश की महिलाओं से माफी मांगने की मांग की.

RSCW और महिला संगठन सामने-सामने...

राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लाड कुमारी जैन ने कहा कि आयोग का काम महिलाओं को न्याय दिलाना है. महिलाओं के अधिकार कैसे संरक्षित रहें, इस पर काम करना है, ना कि इन महिलाओं ने झूठे मामले दर्ज कराए और उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करे. जैन ने कहा कि कई बार पुलिस की ओर से मामले में लगाई जाने वाली एफआर भी गलत निकलती है. ऐसे में आयोग कैसे तय करेगा कि किस महिला ने झूठा मामला दर्ज कराया है. इसके लिए आईपीसी की धाराओं में प्रावधान है और अगर किसी भी पीड़ित को लगता है कि उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करवाया गया है, तो वह न्यायालय में गुहार लगा सकता है.

पढ़ें: आदेश पर आक्रोश ! RSCW के फैसले से गुस्से में महिला संगठन , रेहाना रियाज का मांगा इस्तीफा

तुरंत इस्तीफा दिया जाए: विरोध प्रदर्शन में पूर्व राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष लाड कुमारी जैन, सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू, कविता श्रीवास्तव, अनीता माथुर, सुमन देवटिया, सुमित्रा चोपड़ा, ममता जेटली, कोमल श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में शामिल महिला संगठनों ने मांग करते हुए कहा कि आयोग की यह fake cases in harassment की श्रेणी वापस लें. जिन 60 मामलों में पुलिस में fir दर्ज करने को कहा है, इस निर्णय को खारिज करें. महिलाओं का अगर इस्तेमाल हो रहा है, उनको काउन्सल करें और सशक्त करें.

ये दिया ज्ञापन: महिला संगठनों ने साझा ज्ञापन राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष को दिया. उन्होंने कहा कि हम सभी इस महिला विरोधी रुख व कार्रवाई से क्षुब्ध हैं. महिलाओं की ओर से झूठे मामलों में उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 182 और 211 में कार्रवाई की जाएगी. इसमें आपने 60 मामलों में कार्रवाई के निर्देश भी दे दिए गए हैं. 3618 मामलों में से 418 में आपने तय कर लिया कि ये झूठे हैं. उसमें से 60 में पुलिस को निर्देश भी दे दिए कि केस दर्ज किया जाए. ऐसा महिला विरोधी कृत्य, देश के किसी भी आयोग ने कभी नहीं किया. इसकी भर्त्सना करते हैं और वापस लेने की मांग करते हैं.

पढ़ें: NCW vs RSCW : राष्ट्रीय महिला आयोग को सिर्फ राजस्थान दिखता है, दूसरे राज्यों में क्यों नहीं जाती - रेहाना रियाज

ज्ञापन में कहा गया कि महिलाओं के आंदोलन से वर्ष 1999 में महिला आयोग कानून बना था. तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में पारित करवाया. आयोग के पद और कानून की ऐसी धज्जियां किसी भी अध्यक्ष ने इन 22 सालों में नहीं उड़ाई जैसे आपने इस आयोग को कमजोर किया. महिलाओं की हितैषी और उनकी रक्षा में बनी संस्था महिलाओं की भक्षक संस्था कब से बन गई. ज्ञापन में कहा गया कि लगातार पुलिस की जांच को सर्वोपरि मानकर महिलाओं के विरुद्ध निर्णय लिए जा रहे हैं. राजस्थान पुलिस के महिला विरोधी रुख के कारण तो आयोग बनाया गया और उनके ही फैसलों से आपने इतना बड़ा निर्णय ले लिया.

सच बोलने से नहीं डरूंगी: रेहाना रियाज ने कहा कि क्योंकि मैं महिला आयोग के अध्यक्ष के पद पर इंसाफ के लिए बैठी हूं. कहीं पर भी किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. सिर्फ इसलिए नहीं कि मैं महिला हूं. इसलिए मुझे अधिकार नहीं मिल जाए कि मैं किसी के खिलाफ अन्याय करूं और महिला होने की वजह से मैं बच जाऊं. विभिन्न स्तरों पर जांच होने के बाद में हमारे सामने कई झूठे मामले आए. इसमें कहा गया कि जांच करें और अगर मामला वास्तविकता में झूठा पाया जाता है, तो उस परिवादी महिला के खिलाफ कार्रवाई करें. रियाज ने कहा कि ये मान के चलिए कि मामले फर्जी भी आ रहे हैं और उसको एक्सेप्ट करना चाहिए. रियाज ने कहा कि मैं महिला हूं, इसलिए सच नहीं बोलना, ऐसा भी नहीं होना चाहिए. जो सच है उसे हमें सबके सामने रखना ही पड़ेगा.

पढ़ें: Big News : महिला प्रताड़ना के झूठे मामले दर्ज कराने पर होगी IPC के तहत कार्रवाई, RSCW ने दिए निर्देश

किस आदेश पर है बवाल: बता दें कि राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज ने मंगलवार को कहा था कि आयोग की जिम्मेदारी पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाना ही नहीं बल्कि उन पुरुषों को भी न्याय दिलाना है, जिन्हें झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है. आयोग ने ऐसे 418 मामलों को चिन्हित किया है, जो झूठे पाए गए हैं. इनमें से 60 मामलों पर भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई करने के लिए राज्य महिला आयोग ने संबंधित जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं.

रियाज ने कहा कि जिन परिवादों पर परिवादिया ने झूठे मामले दर्ज कराएं हैं, उनमें उनके खिलाफ धारा 182 व 211 दंड भारतीय संहिता के तहत कार्रवाई की जाएगी, ताकि कोई भी महिला किसी भी देश या प्रतिशोध की भावना से किसी भी पुरुष के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज नहीं कराए. आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि महिलाओं को न्याय दिलाना आयोग की सर्वोच्च प्राथमिकता है, लेकिन आयोग की जिम्मेदारी बनती है कि वह यह देखें जो अधिकार महिलाओं को मिले हैं उनका दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है.

Last Updated : Nov 2, 2022, 11:44 PM IST
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