जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार की इंदिरा महिला शक्ति उद्यम प्रोत्साहन योजना (Indira Mahila Shakti udyam protsahan yojana) महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है. इस योजना के तहत सरकार महिला को व्यवसाय के लिए एक करोड़ तक का लोन मुहैया कराती है. इस योजना की खास बात यह है कि इसमें महिलाओं को 25 से 30 फीसदी तक सब्सिडी मिलती है और वर्तमान तक प्रदेश में 1100 से अधिक महिलाएं इससे लाभान्वित हो चुकी हैं.
क्या है योजना: इंदिरा महिला शक्ति उद्यम प्रोत्साहन योजना को साल 2019 में राजस्थान की गहलोत सरकार ( Gehlot Government of Rajasthan) ने शुरू किया. इस योजना के माध्यम से विनिर्माण, सेवा व व्यापार आधारित उद्योगों के लिए महिलाओं को ऋण उपलब्ध कराया जाता है. जिसके अंतर्गत नए स्थापित होने वाले उद्यमों के साथ-साथ पूर्व में स्थापित उद्योगों के विस्तार, विवधिकरण, आधुनिकरण सहिय अन्य उद्योगों के लिए भी ऋण मुहैया कराई जाती है. इस योजना के अंतर्गत न केवल व्यक्तिगत महिला, बल्कि संस्थागत आवेदक जैसे कि महिला स्वयं सहायता समूह सहित अन्य भी पात्र हो सकते हैं. यदि कोई महिला फर्म या कंपनी बनाती है तो उसको भी इस योजना का लाभ मिल सकता है.
वहीं, यह योजना महिलाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने में भी कारगर (women living standard Improve in Rajasthan) साबित हो रही है. साथ ही योजना के माध्यम से महिलाओं के जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है. खास बात यह है कि इस योजना का कार्यान्वयन महिला अधिकारिता के अधीन जिला स्तरीय महिला अधिकारिता कार्यालय के माध्यम से किया जाता है. निदेशालय, महिला अधिकारिता राज्य स्तर पर योजना के कार्यान्वयन व पर्यवेक्षण की नोडल एजेंसी है.
योजना का उद्देश्य: इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की महिलाओं को अपना उद्यम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना है. योजना के माध्यम से प्रदेश की महिलाओं को ऋण उपलब्ध करवाया जाता है. जिस पर सरकार की ओर से उनको अनुदान भी दिया जाता है. जिससे लाभान्वित महिलाएं आज तेजी से आगे बढ़ रही है और उनके जीवन स्तर में सुधार हो रहा है.
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने को शुरू की योजना: गहलोत सरकार ने 2019 में महिलाओं को उद्यमिता व स्वरोजगार से जोड़ने के लिए इस योजना की शुरू की थी. इस योजना के माध्यम से अपना उद्यम शुरू करने वाली महिलाओं व स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से एक करोड़ तक का ऋण उपलब्ध कराया जाता है. साथ ही 30 प्रतिशत तक का ऋण अनुदान भी दिया जाता है. प्रदेश की महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रदेश सरकार की यह पहल उन महिलाओं के सपनों को साकार कर रही है, जो पूंजी के अभाव में स्वयं का उद्यम शुरू करने में समर्थ रहती थी.
57 करोड़ से अधिक ऋण स्वीकृत: विभागीय सूत्रों की मानें तो 2019 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक एक हजार 141 एकल महिला उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और क्लस्टर्स को 57 करोड़ 60 लाख से अधिक का ऋण स्वीकृत किया गया है. योजना के माध्यम से शहरों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं को भी स्वयं का उद्यम शुरू करने और स्वरोजगार की दिशा में आगे कदम बढ़ाने का अवसर मिला है. महिलाएं हस्तशिल्प, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्योगों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. योजना के अंतर्गत महिलाएं नए उद्यम की स्थापना के अतिरिक्त पहले से स्थापित उद्यम के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए भी ऋण ले रही हैं.
बैंकों के माध्यम से यह अनुदान युक्त ऋण किसी भी महिला को व्यक्तिगत तौर पर उद्यम स्थापित करने, महिला स्वयं सहायता समूह व महिला स्वयं सहायता समूह संघ को दिया जाता है. हालांकि, योजना का लाभ लेने और ऋण प्राप्त करने के लिए महिलाओं की न्यूनतम आयु 18 साल या उससे अधिक होना आवश्यक है. साथ ही आवेदक महिला राजस्थान की मूल निवासी होनी चाहिए.
एक करोड़ तक का ऋण: योजना के माध्यम से व्यक्तिगत महिला उद्यमी और स्वयं सहायता समूह को 50 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाता है. इसी प्रकार स्वयं सहायता समूहों के क्लस्टर या फिर फेडरेशन इकाई को एक करोड़ रुपये तक का ऋण दिया जा सकता है.
राज्य सरकार की ओर से योजनान्तर्गत स्वीकृत ऋण राशि पर 30 से 25 प्रतिशत ऋण अनुदान भी दिया जा रहा है. वंचित वर्ग (अनुसूचित जाति एवं जनजाति, विधवा, परित्यक्ता, हिंसा से पीड़ित व दिव्यांग श्रेणी) की महिलाओं के लिए यह ऋण अनुदान 30 प्रतिशत तक किया गया है. अन्य सामान्य महिलाओं को 25 प्रतिशत का अनुदान राज्य सरकार की ओर से दिया जाता है. योजना का लाभ राष्ट्रीयकृत वाणिज्यिक बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से प्राधिकृत निजी क्षेत्र के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक और अनुसूचित छोटे फाइनेंस बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राजस्थान वित्त निगम और सिडबी के माध्यम से ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है.
महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर: फोर्टी यानी फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री एसोसिएशन (Federation of Rajasthan Trade and Industry) की वूमेन विंग की अध्यक्ष रानू श्रीवास्तव ने बताया कि इस योजना के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में उद्योग-धंधों बुरी तरह से प्रभावित हुए थे. भारी संख्या में लोगों की नौकरी गई, लेकिन इसके बाद बड़ी संख्या में महिलाएं आत्मनिर्भर बनी. उन्हें आत्मनिर्भर बनने में सूबे की गहलोत सरकार की इंदिरा महिला शक्ति उद्यम प्रोत्साहन योजना का बड़ा योगदान रहा है.
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उन्होंने आगे बताया कि फोर्टी वूमेन विंग पहले भी सरकार के साथ मिलकर अधिक से अधिक महिलाओं तक इन योजनाओं को पहुंचाने के लिए काम करते रही है. आगे भी इसी तरह से वो सरकार के साथ मिलकर महिलाओं को लाभान्वित करने की दिशा में योगदान देने की इच्छुक हैं. महिला उद्यमी तृप्ति सांगानेरिया ने कहा कि सरकार की ओर से महिलाओं को जो ऋण मिल रहा है, उससे आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को अपने उद्योग को प्रोत्साहित करने का मौका मिल रहा है.
प्रचार-प्रसार की जरूरत: फोर्टी वूमेन विंग की एग्जीक्यूटिव मेंबर आस्था अग्रवाल ने कहा कि इस योजना से महिलाओं को अपने उद्योग को शुरू करने का अच्छा अवसर मिल रहा है. इस योजना की खास बात यह कि इसमें एक करोड़ रुपये तक की राशि लोन के रूप में मिल सकती है. जिसमें उन्हें अनुदान भी मिलेगा. यह योजना खास तौर से उन महिलाओं के लिए काफी कारगर साबित हो रही है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं. आस्था ने कहा कि सरकार की इस योजना का लाभ अब तक 1100 से अधिक महिलाओं को मिल चुका है. लेकिन अब भी इसके प्रचार-प्रसार की जरूरत है, ताकि अधिक से अधिक महिलाएं इससे लाभान्वित हो सके.