ETV Bharat / state

आखिर क्यों रहते हैं शनि किसी राशि में पूरे ढाई साल - धीमी चाल से चलते

सभी ग्रह बहुत ही जल्दी-जल्दी अपना राशि परिवर्तन करते हैं, लेकिन एकमात्र शनिदेव ही ऐसे हैं. जो बहुत ही धीमी चाल से चलते हैं. यानी शनिदेव एक राशि में करीब ढाई साल तक उपस्थित रहते हैं, लेकिन क्या न्याय के देवता की इस धीमी चाल का कारण जानते हैं आप? अगर नहीं तो आज हम आपको इसके पीछे का असली रहस्य बताएंगे. तो आइए जानते हैं शनिदेव की चाल से जुड़ी इस कहानी के बारे में...

शनिदेव की पूजा कथा, शनिदेव स्पेशल खबर, जयपुर खबर, saturday kiski pooja kare, shani dev ki story, story of shani
author img

By

Published : Sep 28, 2019, 10:19 AM IST

जयपुर. पौराणिक कथाओं के अनुसार शनिदेव की माता संज्ञा भोलेनाथ की बहुत बड़ी भक्त थी. जब शनिदेव अपनी मां के गर्भ में पल रहे थे. उनकी माता दिन रात शिव जी की आराधना में लगी रहती थी, लेकिन वह शनि के पिता सूर्य का ताप सहन नहीं कर पायी. जिससे शनिदेव का रंग रूप काला हो गया. अपने पति के ताप से बचने के लिए संज्ञा अपनी ही छाया स्वर्णा को पति सूर्यदेव और पुत्र शनिदेव के पास रहने का आदेश देकर स्वयं अपने पिता के यहां चली गयी.

शनिदेव की पूजा कथा, शनिदेव स्पेशल खबर, जयपुर खबर, saturday kiski pooja kare, shani dev ki story, story of shani
मां के श्राप से शनि का टूटा पैर

संज्ञा के जाने के बाद सूर्यदेव और शनिदेव इस बात को समझ नहीं पाए कि वह केवल संज्ञा की छाया है. स्वर्णा और सूर्यदेव के कुल पांच पुत्र और तीन पुत्रियां हुई. कहा जाता है कि शुरुआत में स्वर्णा शनिदेव का पूरा ख्याल रखती. किन्तु बाद में वह एकदम बदल गयी और शनिदेव की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देती थी. शनिदेव इस बात से दुखी रहने लगे.

पढे़ं- आखिर क्यों भगवान विष्णु ने दिया मां लक्ष्मी को श्राप

एक दिन जब स्वर्णा अपने बच्चों को खाना खिला रही थी. तब शनिदेव ने भी उससे खाना मांगा, किन्तु वह उनकी बात अनसुनी कर रही थीं. तभी क्रोध में आकर शनिदेव ने अपना एक पैर उठाकर उन को मारने की कोशिश की. तभी पलट कर उसने शनिदेव को श्राप दे दिया कि शनि तुम्हारा एक पैर फौरन टूट जाएगा.

पढे़ं- क्या आप जानते हैं नारायण के हाथों में चक्र कहां से आया

अपनी मां के मुख से ऐसा श्राप सुनकर शनिदेव तुरंत अपने पिता सूर्यदेव के पास पहुंचे और उन्हें सारी बात बताई. यह सब सुनकर सूर्यदेव आश्चर्यचकित रह गए और सोचने लगे एक मां होकर अपने पुत्र को ऐसा कठोर श्राप कैसे दे सकती हैं. तब सूर्यदेव स्वर्णा के पास पहुंचे और उससे कड़ाई से सच्चाई पूछने लगे. भयभीत होकर स्वर्णा ने सारी सच्चाई सूर्यदेव को बताई कि वह संज्ञा नहीं बल्कि उसकी छाया है.

शनिदेव की पूजा कथा, शनिदेव स्पेशल खबर, जयपुर खबर, saturday kiski pooja kare, shani dev ki story, story of shani
शनि अपने पिता सूर्य के पास गए

पढे़ं- जानिए आखिर क्यों ऋषि गौतम की रसोई से गणेश ने चुराया भोजन

सूर्यदेव ने शनिदेव को समझाया कि भले ही वह उनकी माता नहीं पर माँ की छाया ही है, इसलिए उसका श्राप खाली तो नहीं जाएगा. श्राप का प्रभाव इतना कठोर भी नहीं होगा कि उन्हें अपना एक पैर खोना पड़ जाए. सूर्यदेव ने शनिदेव को बताया कि उनका पैर तो रहेगा, लेकिन उनकी चाल लंगड़ी हो जाएगी. इस तरह से अपनी मां के प्रतिरूप से मिले श्राप के कारण शनिदेव लंगड़े हो गए और उनकी चाल धीमी पड़ गयी.

जयपुर. पौराणिक कथाओं के अनुसार शनिदेव की माता संज्ञा भोलेनाथ की बहुत बड़ी भक्त थी. जब शनिदेव अपनी मां के गर्भ में पल रहे थे. उनकी माता दिन रात शिव जी की आराधना में लगी रहती थी, लेकिन वह शनि के पिता सूर्य का ताप सहन नहीं कर पायी. जिससे शनिदेव का रंग रूप काला हो गया. अपने पति के ताप से बचने के लिए संज्ञा अपनी ही छाया स्वर्णा को पति सूर्यदेव और पुत्र शनिदेव के पास रहने का आदेश देकर स्वयं अपने पिता के यहां चली गयी.

शनिदेव की पूजा कथा, शनिदेव स्पेशल खबर, जयपुर खबर, saturday kiski pooja kare, shani dev ki story, story of shani
मां के श्राप से शनि का टूटा पैर

संज्ञा के जाने के बाद सूर्यदेव और शनिदेव इस बात को समझ नहीं पाए कि वह केवल संज्ञा की छाया है. स्वर्णा और सूर्यदेव के कुल पांच पुत्र और तीन पुत्रियां हुई. कहा जाता है कि शुरुआत में स्वर्णा शनिदेव का पूरा ख्याल रखती. किन्तु बाद में वह एकदम बदल गयी और शनिदेव की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देती थी. शनिदेव इस बात से दुखी रहने लगे.

पढे़ं- आखिर क्यों भगवान विष्णु ने दिया मां लक्ष्मी को श्राप

एक दिन जब स्वर्णा अपने बच्चों को खाना खिला रही थी. तब शनिदेव ने भी उससे खाना मांगा, किन्तु वह उनकी बात अनसुनी कर रही थीं. तभी क्रोध में आकर शनिदेव ने अपना एक पैर उठाकर उन को मारने की कोशिश की. तभी पलट कर उसने शनिदेव को श्राप दे दिया कि शनि तुम्हारा एक पैर फौरन टूट जाएगा.

पढे़ं- क्या आप जानते हैं नारायण के हाथों में चक्र कहां से आया

अपनी मां के मुख से ऐसा श्राप सुनकर शनिदेव तुरंत अपने पिता सूर्यदेव के पास पहुंचे और उन्हें सारी बात बताई. यह सब सुनकर सूर्यदेव आश्चर्यचकित रह गए और सोचने लगे एक मां होकर अपने पुत्र को ऐसा कठोर श्राप कैसे दे सकती हैं. तब सूर्यदेव स्वर्णा के पास पहुंचे और उससे कड़ाई से सच्चाई पूछने लगे. भयभीत होकर स्वर्णा ने सारी सच्चाई सूर्यदेव को बताई कि वह संज्ञा नहीं बल्कि उसकी छाया है.

शनिदेव की पूजा कथा, शनिदेव स्पेशल खबर, जयपुर खबर, saturday kiski pooja kare, shani dev ki story, story of shani
शनि अपने पिता सूर्य के पास गए

पढे़ं- जानिए आखिर क्यों ऋषि गौतम की रसोई से गणेश ने चुराया भोजन

सूर्यदेव ने शनिदेव को समझाया कि भले ही वह उनकी माता नहीं पर माँ की छाया ही है, इसलिए उसका श्राप खाली तो नहीं जाएगा. श्राप का प्रभाव इतना कठोर भी नहीं होगा कि उन्हें अपना एक पैर खोना पड़ जाए. सूर्यदेव ने शनिदेव को बताया कि उनका पैर तो रहेगा, लेकिन उनकी चाल लंगड़ी हो जाएगी. इस तरह से अपनी मां के प्रतिरूप से मिले श्राप के कारण शनिदेव लंगड़े हो गए और उनकी चाल धीमी पड़ गयी.

Intro:Body:

sahana


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.