जयपुर. जिला कलेक्टर के कक्ष में सोमवार को हुई साप्ताहिक समीक्षा बैठक में जलदाय विभाग ने कहा है कि वह जयपुर शहर में प्रतिदिन 480 एमएलडी पानी लोगों को दे रहा है. विभाग ने बताया कि पिछली गर्मियों में 500 एमएलडी पानी प्रतिदिन दिया जा रहा था. बाकी बच रही 20 एमएलडी पानी की क्षमता भी वह जल्द ही अर्जित कर लेगा. कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने बताया गर्मियों में पानी की किल्लत न हो इसलिए जलदाय विभाग ने 750 नलकूप खोदने का लक्ष्य रखा था. जलदाय विभाग ने बताया था कि उसके पास 8 से 10 मशीनें हैं. इनसे 30 से 35 ही नलकूप महीने में खोदे को दे जा रहे थे.
इसके बाद जिला कलेक्टर के निर्देश के बाद में मशीनों की संख्या बढ़ाई गई और अब तक गर्मी के मौसम में 330 नलकूप खोदे जा चुके हैं. 480 एमएलडी पानी प्रतिदिन लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है. जिला कलेक्टर ने बताया कि नए नलकूप खोदने से 48 एमएलडी पानी लोगों को दिया जा रहा है. इसके अलावा 42 एमएलडी पानी पुराने नलकूपों से, 70 एमएलडी पानी अन्य साधनों से और 320 एमएलडी पानी बीसलपुर से लिया जा रहा है.
कलेक्टर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी 70 नलकूपों में विद्युत आपूर्ति नहीं थी तो विद्युत निगम को वहां बिजली की आपूर्ति सुचारू कराने का आदेश दिया गया है. इससे लोगों को पीने का पानी उपलब्ध हो सके. बैठक के दौरान खराब सड़कों को लेकर भी विचार विमर्श किया गया. इसमें जिला कलेक्टर ने डिफेक्ट लायबिलिटी के तहत आने वाली सड़कों की सूची मांगी है. अधिकारियों ने सूची कलेक्टर को उपलब्ध करा दी है. डिफेक्ट लायबिलिटी के तहत आने वाली सड़क यदि 3 साल में टूट जाती है या खराब हो जाती है तो उसकी मरम्मत कराने का काम कंपनी करती है. कलेक्टर ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग को यह कहा गया है कि जितने भी सीएचसी और पीएचसी वहां लोगों को स्वास्थ्य संबंधित जानकारी दी जाए. सीएचसी और पीएचसी में जो प्रतिक्षालय हैं. वहां उपलब्ध टीवी पर 24 घंटे स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दिखाई जाए.
श्वानों के काटने के मामले में चिकित्सा विभाग और निगम से मांगे सुझाव
शहर में श्वानों द्वारा लोगों को काटने के मामले में जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने बैठक में मौजूद चिकित्सा विभाग और निगम के कर्मचारी से इस संबंध में सुझाव मांगे. उन्होंने कहा कि बैठक में दो कारन सामने एक तो यह कि हो सकता है कि गर्मियों के मौसम में श्वानों के स्वभाव में परिवर्तन हो रहा है. यदि श्वान किसी ठंडी जगह में बैठा हो और कोई उसे छेड़ता है तो हो सकता है. उसके कारण वह लोगों को काटता हो. दूसरा यह कि जिस तरह से पक्षियों के लिए परिंदे लगाए जाते हैं. उसी तरह श्वानों के लिए भी पानी की विशेष व्यवस्था की जाए. उन्होंने कहा कि यदि पालतू श्वान काटते हैं तो निगम के जो नियम हैं. उसके तहत श्वानों का रजिस्ट्रेशन किया जाना चाहिए. साथ ही पालतू श्वान का मुंह जाली से कवर करके रखना चाहिए.