जयपुर. राजस्थान में 3150 प्रशिक्षक विभिन्न सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं. ये शिक्षक विभिन्न ट्रेड के माध्यम से 9वीं से 12वीं तक के छात्रों को अलग-अलग स्किल सीखा रहे हैं, जो छात्रों को आने वाले समय में रोजगार उपलब्ध कराएगी. वर्तमान में रोजगार परक शिक्षा देने वाली इन शिक्षकों के रोजगार पर ही संकट आ गया है. व्यावसायिक प्रशिक्षक संघ के संरक्षक कमलेश कुमार रैगर ने बताया कि अलग-अलग ट्रेड में जो कार्मिक लगाए जाते हैं, उन्हें प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए रखा गया है. ये एजेंसियां मनमाना रवैया अपनाते हुए इन शिक्षकों का शोषण करती है. इन्हें न तो समय पर सैलरी देते है बल्कि शैक्षिक कार्यों से इतर भी काम कराती है. ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर कई शिक्षकों के घर खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है.
उन्होंने बताया कि 9वीं से 12वीं तक के छात्रों को इलेक्ट्रॉनिक एवं हार्डवेयर, टेलीकॉम, टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी, प्राइवेट सिक्योरिटी, हेल्थ केयर, प्लंबर, फूड प्रोसेसिंग, कंस्ट्रक्शन, ब्यूटी एंड वैलनेस, बैंकिंग फाइनेंस सर्विसेज एंड इंश्योरेंस, एग्रीकल्चर और होम फर्निशिंग जैसे रोजगार परक विषय प्रशिक्षकों की ओर से पढ़ाए जाते हैं. ये प्रशिक्षक करीब 9 प्लेसमेंट एजेंसी की ओर से लगाए गए हैं, जिनका 2 महीने से लेकर 11 महीने तक का वेतन बकाया चल रहा है. इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है, लेकिन उनके कान में जू तक नहीं रेंग रही और तो और पिछली कांग्रेस सरकार ने 30 जून 2023 से हेल्थ केयर प्रशिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी और दोबारा रिन्यूअल भी नहीं किया गया.
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प्लेसमेंट एजेंसी का रोल हो खत्म: व्यासायिक शिक्षकों ने बीजेपी सरकार वाले 8 राज्यों का हवाला देते हुए कहा कि वहां व्यवसायिक शिक्षक सीधे विभाग से जुड़े हुए हैं. इनमें भी हरियाणा मॉडल की सरहाना पूरे देश में हो रही है, जहां विभाग ने व्यावसायिक प्रशिक्षक का अलग कैडर ही बना दिया, जिसकी वजह से प्लेसमेंट एजेंसी का रोल खत्म हो गया. शिक्षकों ने अब प्रदेश की नई बीजेपी सरकार से भी यही मांग है कि यहां भी व्यवसायिक प्रशिक्षकों को सीधे विभाग के अंडर में लिया जाए. इससे प्लेसमेंट एजेंसी को दिए जाने वाले अतिरिक्त वित्त (कमीशन) की भी बचत होगी.
20 हजार छात्र हेल्थ केयर एजुकेशन से वंचित : उधर, हेल्थ केयर प्रशिक्षक दया शंकर गुर्जर ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत व्यावसायिक शिक्षा पूरे भारतवर्ष में लागू की गई, लेकिन जो शिक्षक बच्चों को रोजगार पर शिक्षा दे रहे हैं, उन्हीं शिक्षकों के रोजगार पर आज संकट आ गया है. हेल्थ केयर शिक्षकों की सेवाएं खत्म कर दी गई, जिसकी वजह से प्रदेश के करीब 20 हजार छात्र हेल्थ केयर एजुकेशन से वंचित रह हो चुके हैं.
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सैलरी नहीं मिलने से परेशानी: प्रशिक्षक इंदिरा ने बताया कि वो अपने घर से करीब 200 किलोमीटर दूर जाकर सरकारी स्कूल के छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा दे रही हैं ताकि छात्र अपने पैरों पर खड़ा हो सके. इसके एवज में जो 20 हजार सैलरी मिलता है, वो भी महीनों से प्लेसमेंट एजेंसी ने अटका रखा है. इंदिरा ने बताया कि इसकी वजह से परिवार की आर्थिक स्थिति भी गड़बड़ा गई है. ऐसे में उन्होंने अब प्रदेश की नई सरकार की राहत की उम्मीद जताई है.
सरकार से गुहार: बता दे कि ठेका प्रथा बंद करने और व्यवसायिक प्रशिक्षकों को सीधे विभाग से जोड़ने की मांग को लेकर ये शिक्षक लंबे समय से आंदोलनरत हैं. पहले इन्होंने शिक्षा संकुल और शहीद स्मारक पर अपना विरोध दर्ज कराया और अब नई सरकार से गुहार लगा रहे हैं.