जयपुर. राजस्थान के भरतपुर और धौलपुर के जाटों ( Bharatpur Dholpur Jat Reservation ) को केंद्रीय नौकरियों में मिलने वाले आरक्षण को लेकर पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक विश्वेंद्र सिंह ने कहा है कि उनकी व्यक्तिगत राय है कि जब सरकार सकारात्मक रूप से वार्ता कर रही है तो फिर ऐसे में आंदोलन करने का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से सकारात्मक मुलाकात हुई है.
विश्वेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री से कहा कि जब 1999 में राजस्थान के जाटों को आरक्षण मिला था, उसमें धौलपुर और भरतपुर के जाटों को हटा दिया था. लेकिन, पिछली सरकार के समय हम लोगों ने आंदोलन करके और साबित करके बताया कि शासक तो जाट हो सकते हैं, लेकिन पब्लिक आम जनता है. वह आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई है. उस समय हमने नौकरियों के आंकड़े भी दे दिए, जिस पर ओबीसी कमीशन का आंकड़ा कम निकला.
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जिसके चलते राजस्थान में धौलपुर भरतपुर के जाटों को आरक्षण मिल गया, लेकिन केंद्र की नौकरियों में फायदा धौलपुर भरतपुर के जाटों को नहीं मिल रहा है. नौकरियों को लेकर मुख्यमंत्री से कहा है कि धौलपुर भरतपुर के जाटों को केंद्र में आरक्षण का फायदा दिलवाने के लिए राज्य सरकार रिकमेंडेशन लेटर केंद्र को भेजें. मुख्यमंत्री ने इस मामले को दिखाने को कहा है.
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इसके लिए एक-दो दिन में स्टडी करके इस पर अंतिम निर्णय हो जाएगा. वहीं, आंदोलन को लेकर विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि आंदोलन का निर्णय समाज के नेताओं का खुद का निर्णय है. लेकिन, हम नहीं चाहते कि ऐसा आंदोलन हो जिसमें जनहानि या धन हानि हो या सरकारी मशीनरी को कोई नुकसान पहुंचे. आंदोलन भी हो तो पीसफुली हो, जब वार्ता से ही मामला सुलझ सकता है, तो ऐसे में वह स्टेज अभी नहीं है कि आंदोलन किया जाए. यह बिल्कुल गलत है. आंदोलन करने की अभी कोई स्टेज नहीं है. अभी वार्ता चल रही है ऐसे में इंतजार करना चाहिए.