जयपुर. प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी वर्ष में अलग-अलग कर्मचारी संगठन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं. इन्हीं में कुछ संवर्ग ऐसे भी हैं जो पदनाम परिवर्तन की मांग को लेकर धरने-प्रदर्शन करते आए हैं. साथ ही उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दे चुके हैं.
दरअसल, राजस्थान में करीब आधा दर्जन कर्मचारी संगठन पदनाम परिवर्तन की मांग कर रहे हैं. इनके लिए पदनाम परिवर्तन उतना ही जरूरी है, जितना की वेतन विसंगति. चाहे पशुधन सहायक हो या प्रबोधक, एएनएम ट्यूटर हो या नर्सिंग एलएचवी और डेंटल टेक्नीशियन. यहां तक कि वाणिज्य कर अधिकारी भी पदनाम परिवर्तन की पुरजोर मांग कर रहे हैं.
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ये है मांग : शिक्षा विभाग में आने वाले 25 हजार प्रबोधक सालों से अध्यापक के रूप में पदनाम चाहते हैं. इन्हें 2008 में थर्ड ग्रेड टीचर के बराबर नियमित किया गया था, लेकिन अभी तक अध्यापक का पदनाम नहीं मिल पाया है. प्रबोधकों की मांग है कि जो एसटीसी प्रबोधक हैं उन्हें सामान्य अध्यापक और बीएड, बीपीएड प्रबोधकों को वरिष्ठ अध्यापक का पदनाम दिया जाए.
पदनाम बदलने पर भी नहीं सतुष्ट : वहीं, सरकार ने पशुपालन विभाग के तहत आने वाले पशुधन सहायकों का तो पदनाम भी बदला गया, लेकिन वो जो चाहते थे, वैसा नहीं हुआ. पशुपालन विभाग के पशुधन सहायक अपना पदनाम कनिष्ठ पशुधन प्रसार अधिकारी के रूप में चाहते थे, लेकिन सरकार ने उनका पदनाम पशुधन पर्यवेक्षक कर दिया. ऐसे में उनका संघर्ष अभी भी जारी है.
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ये भी चाहते हैं परिवर्तित पदनाम : राजस्थान के वाणिज्य कर विभाग से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि उनका पद नाम सहायक वाणिज्य कर अधिकारी है. इसको बदलकर सहायक वाणिज्य कर आयुक्त किया जाना चाहिए. इसी तरह चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमे से जुड़े एएनएम नर्सिंग ट्यूटर ग्रामीण नर्सिंग ऑफिसर के रूप में पदनाम परिवर्तन चाहते हैं, जबकि नर्सिंग एलएचवी वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में अपना पदनाम परिवर्तन करवाना चाहते हैं.
ये है कर्मचारियों का तर्क : स्वास्थ्य महकमे से ही जुड़े डेंटल टेक्नीशियन तो केवल राजस्थान में ही मिलते हैं, जबकि दूसरे राज्यों में डेंटल हाइजेनिस्ट या डेंटल मैकेनिक कहलाते हैं. इसकी मांग कई बार सरकार से की जा चुकी है, लेकिन अब तक अमल में लाई नहीं गई. कर्मचारी नेताओं का तर्क है कि पदनाम परिवर्तन से सरकार पर किसी तरह का वित्तीय भार नहीं पड़ेगा. यदि पदनाम परिवर्तन होता है तो कर्मचारी काम तो वही करेगा, लेकिन इससे सामाजिक प्रतिष्ठा, मनोबल और काम करने का कॉन्फिडेंस बढ़ता है.