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अन्न-जल त्याग आंदोलन कर रहे उपेन की तबीयत हुई खराब, कीटोन पॉजिटिव आने की आशंका

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Published : Mar 4, 2023, 9:41 PM IST

अजमेर आरपीएससी के बाहर युवा बेरोजगारों पर लाठीचार्ज के विरोध में आंदोलन कर रहे उपेन यादव की तबीयत खराब हो गई है. डॉक्टर को अंदेशा है कि वे कीटोन पॉजिटिव आ सकते हैं.

Upen Yadav health down during protest against lathi charge on youth opposite RPSC Ajmer
अन्न-जल त्याग आंदोलन कर रहे उपेन की तबीयत हुई खराब, कीटोन पॉजिटिव आने की आशंका

जयपुर. अन्न-जल त्याग कर युवा बेरोजगारों पर लाठीचार्ज करने का विरोध जता रहे बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेन यादव की शनिवार को तबीयत खराब हो गई. जिसके चलते उनको ड्रिप चढ़ाई गई. वहीं डॉक्टर का मानना है कि यदि वो अन्न ग्रहण नहीं करेंगे, तो उनके कीटोन पॉजिटिव आ सकते हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है.

7 फरवरी को आरपीएससी अजमेर के बाहर युवा बेरोजगारों पर लाठीचार्ज करने वाले अजमेर सिविल लाइन इंचार्ज को निलंबित करवाने और दर्ज मुकदमे को वापस करवाने की मांग को लेकर उपेन यादव ने बीते 23 दिन से अन्न त्याग रखा है. वहीं शुक्रवार को उन्होंने लिक्विड का भी त्याग कर दिया. जिसके चलते अब उपेन यादव की तबीयत बिगड़ती जा रही है. शनिवार को तबीयत खराब होने पर बेरोजगार एकीकृत महासंघ से जुड़े अन्य युवाओं ने डॉक्टर को बुलाया और महासंघ के कार्यालय पर ही उपेन के ड्रिप चढ़ाई गई. वहीं डॉक्टर्स ने अंदेशा जताया कि यदि उपेन अन्न ग्रहण नहीं करेंगे, तो उनकी तबीयत और बिगड़ सकती है.

पढ़ें: बेरोजगारों ने कर्मचारी चयन बोर्ड का किया घेराव, उपेन यादव ने त्यागा अन्न-जल

अहिंसा का रास्ता अपनाते हुए विरोध दर्ज कराने के लिए अनशन करना जानलेवा साबित हो सकता है. विशेषज्ञों की माने तो अनशन का शरीर के पाचन तंत्र पर तो प्रभाव पड़ता ही है बल्कि ये जानलेवा भी हो सकता है. शरीर के हर अंग को जरूरी उर्जा ग्लूकोस से मिलती है और ग्लूकोज खान-पान से मिलता है. ग्लूकोज नहीं मिलने से शरीर ग्लाइकोजन से अपनी जरूरत पूरी करने लगता है. जिसकी शरीर में एक निश्चित मात्रा होती है.

पढ़ें: Jobless Youths Protest : उपेन यादव ने दी देह त्यागने की चेतावनी, कहा- आगामी विधानसभा चुनाव में हर नेता के सामने उतरेगा युवा

इस दौरान मस्तिष्क कीटोन से अपनी जरूरत पूरी करता है और शरीर की वसा स्वयं को कीटोन में तब्दील करती है. वसा खत्म होने पर इसका प्रभाव शरीर पर पड़ने लगता है. वसा टूटने पर जब कीटोन बनता है, तो ये टॉयलेट के जरिए बाहर निकलता है. लेकिन यदि शरीर में कीटोन की मात्रा बढ़ जाती है, तो व्यक्ति के स्वास्थ्य में कई समस्याएं आने लगती हैं. यदि खून में कीटोन का स्तर अनियंत्रित हो जाता है, तो व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है.

पढ़ें: विद्युत और स्वास्थ्य भवन का घेराव, मुर्गा बन किया प्रदर्शन, 28 दिसंबर को शहीद स्मारक पर जुटेंगे बेरोजगार

आपको बता दें कि शुक्रवार को ही उपेन यादव विभिन्न मांगों को लेकर राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड का घेराव करने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने बोर्ड के अध्यक्ष हरिप्रसाद शर्मा से मुलाकात कर पीटीआई भर्ती का फाइनल परिणाम जल्द से जल्द जारी कर नियुक्ति देने, CHO भर्ती परीक्षा को निरस्त करके 1 महीने के अंदर दोबारा से परीक्षा आयोजित करवाने जैसी मांगे रखी थी.

इसके साथ ही राज्य सरकार के सामने 7 फरवरी को अजमेर आरपीएससी के बाहर युवा बेरोजगारों पर लाठीचार्ज करने वाले एसएचओ को तुरंत निलंबित करने और दर्ज मुकदमा वापस लेने, बजट में घोषणा की गई 1 लाख भर्तियों का विभागवार वर्गीकरण करके जल्द से जल्द भर्तियों का कैलेंडर जारी करने और प्रक्रियाधीन 1 लाख भर्तियों को प्राथमिकता के साथ समयबद्ध पूरी करने की मांग रखी थी.

जयपुर. अन्न-जल त्याग कर युवा बेरोजगारों पर लाठीचार्ज करने का विरोध जता रहे बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेन यादव की शनिवार को तबीयत खराब हो गई. जिसके चलते उनको ड्रिप चढ़ाई गई. वहीं डॉक्टर का मानना है कि यदि वो अन्न ग्रहण नहीं करेंगे, तो उनके कीटोन पॉजिटिव आ सकते हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है.

7 फरवरी को आरपीएससी अजमेर के बाहर युवा बेरोजगारों पर लाठीचार्ज करने वाले अजमेर सिविल लाइन इंचार्ज को निलंबित करवाने और दर्ज मुकदमे को वापस करवाने की मांग को लेकर उपेन यादव ने बीते 23 दिन से अन्न त्याग रखा है. वहीं शुक्रवार को उन्होंने लिक्विड का भी त्याग कर दिया. जिसके चलते अब उपेन यादव की तबीयत बिगड़ती जा रही है. शनिवार को तबीयत खराब होने पर बेरोजगार एकीकृत महासंघ से जुड़े अन्य युवाओं ने डॉक्टर को बुलाया और महासंघ के कार्यालय पर ही उपेन के ड्रिप चढ़ाई गई. वहीं डॉक्टर्स ने अंदेशा जताया कि यदि उपेन अन्न ग्रहण नहीं करेंगे, तो उनकी तबीयत और बिगड़ सकती है.

पढ़ें: बेरोजगारों ने कर्मचारी चयन बोर्ड का किया घेराव, उपेन यादव ने त्यागा अन्न-जल

अहिंसा का रास्ता अपनाते हुए विरोध दर्ज कराने के लिए अनशन करना जानलेवा साबित हो सकता है. विशेषज्ञों की माने तो अनशन का शरीर के पाचन तंत्र पर तो प्रभाव पड़ता ही है बल्कि ये जानलेवा भी हो सकता है. शरीर के हर अंग को जरूरी उर्जा ग्लूकोस से मिलती है और ग्लूकोज खान-पान से मिलता है. ग्लूकोज नहीं मिलने से शरीर ग्लाइकोजन से अपनी जरूरत पूरी करने लगता है. जिसकी शरीर में एक निश्चित मात्रा होती है.

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इस दौरान मस्तिष्क कीटोन से अपनी जरूरत पूरी करता है और शरीर की वसा स्वयं को कीटोन में तब्दील करती है. वसा खत्म होने पर इसका प्रभाव शरीर पर पड़ने लगता है. वसा टूटने पर जब कीटोन बनता है, तो ये टॉयलेट के जरिए बाहर निकलता है. लेकिन यदि शरीर में कीटोन की मात्रा बढ़ जाती है, तो व्यक्ति के स्वास्थ्य में कई समस्याएं आने लगती हैं. यदि खून में कीटोन का स्तर अनियंत्रित हो जाता है, तो व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है.

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आपको बता दें कि शुक्रवार को ही उपेन यादव विभिन्न मांगों को लेकर राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड का घेराव करने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने बोर्ड के अध्यक्ष हरिप्रसाद शर्मा से मुलाकात कर पीटीआई भर्ती का फाइनल परिणाम जल्द से जल्द जारी कर नियुक्ति देने, CHO भर्ती परीक्षा को निरस्त करके 1 महीने के अंदर दोबारा से परीक्षा आयोजित करवाने जैसी मांगे रखी थी.

इसके साथ ही राज्य सरकार के सामने 7 फरवरी को अजमेर आरपीएससी के बाहर युवा बेरोजगारों पर लाठीचार्ज करने वाले एसएचओ को तुरंत निलंबित करने और दर्ज मुकदमा वापस लेने, बजट में घोषणा की गई 1 लाख भर्तियों का विभागवार वर्गीकरण करके जल्द से जल्द भर्तियों का कैलेंडर जारी करने और प्रक्रियाधीन 1 लाख भर्तियों को प्राथमिकता के साथ समयबद्ध पूरी करने की मांग रखी थी.

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