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स्पेशल रिपोर्ट: क्या जयपुर को विकास और विरासत के नाम पर मिलेंगे 2 मेयर - jaipur mayor elelction news

जयपुर की शहरी सरकार को इस बार एक नहीं बल्कि दो मेयर संभाल सकते हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि विधानसभा के वर्गीकरण को लेकर तैयारी की जा रही है. इन्हीं संभावनाओं के बीच ईटीवी भारत में नगर निगम के प्रथम महापौर मोहनलाल गुप्ता और डायरेक्ट इलेक्शन में पहली बार महापौर चुनी गई ज्योति खंडेलवाल से खास बातचीत.

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Published : Aug 22, 2019, 10:58 AM IST

जयपुर. राजधानी में 91 से बढ़ाकर 150 वार्ड किए जाने के बाद से लगातार दो मेयर बनाए जाने को लेकर चर्चाओं ने जोर पकड़ा हुआ है. राजनीतिक गलियारा हो या चाय की थड़ी सभी जगह इस मुद्दे पर खास और आम राय सुनी जा सकती है.

जयपुर नगर निगम चुनाव स्पेशल रिपोर्ट

संभव है किशनपोल, हवामहल, आदर्श नगर, मालवीय नगर और आमेर के कुछ वार्ड एक क्षेत्र में होंगे. जबकि दूसरे क्षेत्र में सिविल लाइंस, सांगानेर, बगरू, विद्याधर नगर और झोटवाड़ा के कुछ वार्ड होंगे. हालांकि इस पर अभी राज्य सरकार की मुहर लगना बाकी है. इससे पहले ईटीवी भारत ने शहर में दो मेयर बनाये जाने की चर्चाओं के बीच शहर के दो पूर्व मेयर मोहनलाल गुप्ता और ज्योति खंडेलवाल से बात की. दोनों ही मेयर के पास ईटीवी भारत एक समान सवाल लेकर पहुंचा, जिनके दोनों ने अपने अलग अंदाज में जवाब दिए.

पढे़ं - राजस्थान कांग्रेस कमेटी ने लिखा पत्र, कहा- राजीव गांधी की जयंती में जा रहे नेताओं से न वसूला जाए टोल टैक्स

पहला सवाल- क्या दो महापौर जयपुर के विकास को पंख लगा सकेंगे?

  • मोहनलाल गुप्ता- सरकार यदि दो मेयर करना चाहती है, तो पॉलिटिकल पार्टियों से विचार-विमर्श करके ही तय करें. कांग्रेस यदि अपने पॉलिटिकल फायदे के लिए कोई काम करती है, तो उसका निश्चित तौर पर विरोध किया जाएगा.
  • ज्योति खंडेलवाल- शहर दो हिस्सों में बंटा है. एक हेरिटेज सिटी जिसकी अलग समस्या है. वहां के नियम भी अलग हैं. दूसरा नया मॉर्डनाइज शहर है. दो मेयर होने से वो उसी तरह समस्या को सोच पाएंगे, और क्षेत्र की समस्या के अनुसार वहां पर विकास हो सकेगा.​​​​​​​

दूसरा सवाल- क्या दो मेयर होने के बाद बजट को लेकर चुनौतियों में कमी आएगी?

  • मोहनलाल गुप्ता- निगम में पूरे प्लांड तरीके से पैसा खर्च नहीं होता है. मनमाने ढंग से काम किए जाते हैं.
  • ज्योति खंडेलवाल- जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की मिली-जुली भूमिका होती है. खासकर अधिकारियों का रोल ज्यादा रहता है.

तीसरा सवाल- शहर में प्रथम नागरिक का पद खत्म हो जाएगा या दो लोग पद को बाटेंगे?

  • मोहनलाल गुप्ता- प्रथम नागरिक का शब्द खत्म हो जाएगा.
  • ज्योति खंडेलवाल- मेयर का प्रथम नागरिक का जो पद है, वो तो रहेगा ही.

पढे़ें - प्रदेश में औसत से ज्यादा बारिश, पिछले 3 दिन से बनी हुई है गर्मी

चौथा सवाल - क्या दो मेयर की व्यवस्था से किसी एक दल का वर्चस्व कम होगा?

  • मोहनलाल गुप्ता- ये तो पॉलिटिकल लड़ाई है. अगर वो दो मेयर बनाना चाहते हैं, तो बीजेपी दोनों मेयर पद जीतेगी.
  • ज्योति खंडेलवाल- जयपुर में किसी एक दल के वर्चस्व की बात कभी नहीं होती. जयपुर के लोग विकास के प्रति प्रतिबद्ध लोगों को ही आगे लाएंगे.

पांचवा सवाल - वार्डों के परिसीमन को किस नजरिए से देखते हैं?

  • मोहनलाल गुप्ता- सरकार मनमाने निर्णय ले रही है, जो ठीक नहीं है. यह तानाशाही पूर्ण है.
  • ज्योति खंडेलवाल- जब छोटे वार्ड हो जाते हैं, तो पार्षद के लिए अपने लोगों तक पहुंचना और समस्याओं को दूर कर पाना आसान हो जाता है.

छठा सवाल - क्या मेयर का डायरेक्ट इलेक्शन सही फैसला है?

  • मोहनलाल गुप्ता- नगर निगम का पार्षद अपने क्षेत्र में मेयर के बराबर पावर रखता है. उसके नीचे वार्ड समिति काम करती है और उन सब के ऊपर एक कोआर्डिनेशन का काम करने वाला मेयर होता है. लेकिन इस सिस्टम को तोड़ दिया गया, जो सही नहीं है.
  • ज्योति खंडेलवाल- सीधे निर्वाचन की प्रक्रिया अच्छी है. उसमें जनता सीधे अपने प्रतिनिधि को चुन सकती हैं. पार्षद जिन्हें चुन रहे हैं, उन पर पार्षदों का दबाव रहता है. जो इस सत्र में देखने को मिल रहा है.

पढ़ें- जयपुर में फैले तनाव के चलते दो दिन और बढ़ाई गई धारा 144 की अवधि

बहरहाल, अभी दो मेयर चुने जाएंगे या नहीं ये फिलहाल आने वाला कल ही बताएगा. लेकिन फिलहाल विकास, विरासत और प्रथम नागरिक शब्द के ऊपर सियासी दल अपनी सोच के अनुसार दलीलें पेश कर रहे हैं.

जयपुर. राजधानी में 91 से बढ़ाकर 150 वार्ड किए जाने के बाद से लगातार दो मेयर बनाए जाने को लेकर चर्चाओं ने जोर पकड़ा हुआ है. राजनीतिक गलियारा हो या चाय की थड़ी सभी जगह इस मुद्दे पर खास और आम राय सुनी जा सकती है.

जयपुर नगर निगम चुनाव स्पेशल रिपोर्ट

संभव है किशनपोल, हवामहल, आदर्श नगर, मालवीय नगर और आमेर के कुछ वार्ड एक क्षेत्र में होंगे. जबकि दूसरे क्षेत्र में सिविल लाइंस, सांगानेर, बगरू, विद्याधर नगर और झोटवाड़ा के कुछ वार्ड होंगे. हालांकि इस पर अभी राज्य सरकार की मुहर लगना बाकी है. इससे पहले ईटीवी भारत ने शहर में दो मेयर बनाये जाने की चर्चाओं के बीच शहर के दो पूर्व मेयर मोहनलाल गुप्ता और ज्योति खंडेलवाल से बात की. दोनों ही मेयर के पास ईटीवी भारत एक समान सवाल लेकर पहुंचा, जिनके दोनों ने अपने अलग अंदाज में जवाब दिए.

पढे़ं - राजस्थान कांग्रेस कमेटी ने लिखा पत्र, कहा- राजीव गांधी की जयंती में जा रहे नेताओं से न वसूला जाए टोल टैक्स

पहला सवाल- क्या दो महापौर जयपुर के विकास को पंख लगा सकेंगे?

  • मोहनलाल गुप्ता- सरकार यदि दो मेयर करना चाहती है, तो पॉलिटिकल पार्टियों से विचार-विमर्श करके ही तय करें. कांग्रेस यदि अपने पॉलिटिकल फायदे के लिए कोई काम करती है, तो उसका निश्चित तौर पर विरोध किया जाएगा.
  • ज्योति खंडेलवाल- शहर दो हिस्सों में बंटा है. एक हेरिटेज सिटी जिसकी अलग समस्या है. वहां के नियम भी अलग हैं. दूसरा नया मॉर्डनाइज शहर है. दो मेयर होने से वो उसी तरह समस्या को सोच पाएंगे, और क्षेत्र की समस्या के अनुसार वहां पर विकास हो सकेगा.​​​​​​​

दूसरा सवाल- क्या दो मेयर होने के बाद बजट को लेकर चुनौतियों में कमी आएगी?

  • मोहनलाल गुप्ता- निगम में पूरे प्लांड तरीके से पैसा खर्च नहीं होता है. मनमाने ढंग से काम किए जाते हैं.
  • ज्योति खंडेलवाल- जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की मिली-जुली भूमिका होती है. खासकर अधिकारियों का रोल ज्यादा रहता है.

तीसरा सवाल- शहर में प्रथम नागरिक का पद खत्म हो जाएगा या दो लोग पद को बाटेंगे?

  • मोहनलाल गुप्ता- प्रथम नागरिक का शब्द खत्म हो जाएगा.
  • ज्योति खंडेलवाल- मेयर का प्रथम नागरिक का जो पद है, वो तो रहेगा ही.

पढे़ें - प्रदेश में औसत से ज्यादा बारिश, पिछले 3 दिन से बनी हुई है गर्मी

चौथा सवाल - क्या दो मेयर की व्यवस्था से किसी एक दल का वर्चस्व कम होगा?

  • मोहनलाल गुप्ता- ये तो पॉलिटिकल लड़ाई है. अगर वो दो मेयर बनाना चाहते हैं, तो बीजेपी दोनों मेयर पद जीतेगी.
  • ज्योति खंडेलवाल- जयपुर में किसी एक दल के वर्चस्व की बात कभी नहीं होती. जयपुर के लोग विकास के प्रति प्रतिबद्ध लोगों को ही आगे लाएंगे.

पांचवा सवाल - वार्डों के परिसीमन को किस नजरिए से देखते हैं?

  • मोहनलाल गुप्ता- सरकार मनमाने निर्णय ले रही है, जो ठीक नहीं है. यह तानाशाही पूर्ण है.
  • ज्योति खंडेलवाल- जब छोटे वार्ड हो जाते हैं, तो पार्षद के लिए अपने लोगों तक पहुंचना और समस्याओं को दूर कर पाना आसान हो जाता है.

छठा सवाल - क्या मेयर का डायरेक्ट इलेक्शन सही फैसला है?

  • मोहनलाल गुप्ता- नगर निगम का पार्षद अपने क्षेत्र में मेयर के बराबर पावर रखता है. उसके नीचे वार्ड समिति काम करती है और उन सब के ऊपर एक कोआर्डिनेशन का काम करने वाला मेयर होता है. लेकिन इस सिस्टम को तोड़ दिया गया, जो सही नहीं है.
  • ज्योति खंडेलवाल- सीधे निर्वाचन की प्रक्रिया अच्छी है. उसमें जनता सीधे अपने प्रतिनिधि को चुन सकती हैं. पार्षद जिन्हें चुन रहे हैं, उन पर पार्षदों का दबाव रहता है. जो इस सत्र में देखने को मिल रहा है.

पढ़ें- जयपुर में फैले तनाव के चलते दो दिन और बढ़ाई गई धारा 144 की अवधि

बहरहाल, अभी दो मेयर चुने जाएंगे या नहीं ये फिलहाल आने वाला कल ही बताएगा. लेकिन फिलहाल विकास, विरासत और प्रथम नागरिक शब्द के ऊपर सियासी दल अपनी सोच के अनुसार दलीलें पेश कर रहे हैं.

Intro:जयपुर - राजधानी में 91 से बढ़ाकर 150 वार्ड किए जाने के बाद से लगातार दो मेयर बनाए जाने को लेकर चर्चाओं ने जोर पकड़ा हुआ है। राजनीतिक गलियारे हो या चाय की थड़ी सभी जगह इस मुद्दे पर खास और आम राय सुनी जा सकती है। शहर में 2 मेयर बनाए जाने की इन्हीं संभावनाओं के बीच ईटीवी भारत में जयपुर नगर निगम के प्रथम महापौर मोहनलाल गुप्ता और डायरेक्ट इलेक्शन में पहली बार महापौर चुनी गई ज्योति खंडेलवाल से बात की।


Body:जयपुर की शहरी सरकार को इस बार एक नहीं बल्कि दो मेयर संभाल सकते हैं। इसे लेकर कार्य योजना तैयार की जा रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि विधानसभा के वर्गीकरण को लेकर तैयारी की जा रही है। संभव है किशनपोल, हवामहल, आदर्श नगर, मालवीय नगर और आमेर के कुछ वार्ड एक क्षेत्र में होंगे। जबकि दूसरे क्षेत्र में सिविल लाइंस, सांगानेर, बगरू, विद्याधर नगर और झोटवाड़ा के कुछ वार्ड होंगे। हालांकि इस पर अभी राज्य सरकार की मुहर लगना बाकी है। इससे पहले ईटीवी भारत ने शहर में दो मेयर बनाये जाने की चर्चाओं के बीच शहर के दो पूर्व मेयर मोहनलाल गुप्ता और ज्योति खंडेलवाल से बात की।

दोनों ही मेयर के पास ईटीवी भारत एक समान सवाल लेकर पहुंचा, जिनके दोनों ने अपने-अपने अंदाज और पार्टी के टेस्ट के अनुसार जवाब भी दिए।

पहला सवाल- क्या दो महापौर जयपुर के विकास को पंख लगा सकेंगे?
मोहनलाल गुप्ता - सरकार यदि दो मेयर करना चाहती है तो पॉलिटिकल पार्टियों से विचार-विमर्श करके ही तय करें। कांग्रेस यदि अपने पॉलीटिकल फायदे के लिए कोई काम करती है, तो उसका निश्चित तौर पर विरोध किया जाएगा।

ज्योति खंडेलवाल - शहर दो हिस्सों में बंटा है। एक हेरिटेज सिटी जिसकी अलग समस्या है। वहां के नियम भी अलग हैं। दूसरा नया मॉर्डनाइज शहर है। दो मेयर होने से वो उसी तरह समस्या को सोच पाएंगे, और क्षेत्र की समस्या के अनुसार वहां पर विकास हो सकेगा।

दूसरा सवाल- क्या दो मेयर होने के बाद बजट को लेकर चुनौतियों में कमी आएगी?
मोहनलाल गुप्ता - निगम में पूरे प्लांड तरीके से पैसा खर्च नहीं होता है। मनमाने ढंग से काम किए जाते हैं।

ज्योति खंडेलवाल - जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की मिली जुली भूमिका होती है। खासकर अधिकारियों का रोल ज्यादा रहता है।

तीसरा सवाल- शहर में प्रथम नागरिक का पद खत्म हो जाएगा या दो लोग पद को बाटेंगे?
मोहनलाल गुप्ता - प्रथम नागरिक का शब्द खत्म हो जाएगा।

ज्योति खंडेलवाल - मेयर का प्रथम नागरिक का जो पद है, वो तो रहेगा ही।

चौथा सवाल - क्या दो मेयर की व्यवस्था से किसी एक दल का वर्चस्व कम होगा?
मोहनलाल गुप्ता - ये तो पॉलिटिकल लड़ाई है। अगर वो दो मेयर बनाना चाहते हैं, तो बीजेपी दोनों मेयर पद जीतेगी।

ज्योति खंडेलवाल - जयपुर में किसी एक दल के वर्चस्व की बात कभी नहीं होती। जयपुर के लोग विकास के प्रति प्रतिबद्ध लोगों को ही आगे लाएंगे।

पांचवा सवाल - वार्डों के परिसीमन को किस नजरिए से देखते हैं?
मोहनलाल गुप्ता - सरकार मनमाने निर्णय कर रही है। जो ठीक नहीं है, तानाशाही पूर्ण है।

ज्योति खंडेलवाल - जब छोटे वार्ड हो जाते हैं तो पार्षद के लिए अपने लोगों तक पहुंचना और समस्याओं को दूर कर पाना आसान हो जाता है।

छठा सवाल - क्या मेयर का डायरेक्ट इलेक्शन सही फैसला है?
मोहनलाल गुप्ता - नगर निगम का पार्षद अपने क्षेत्र में मेयर के बराबर पावर रखता है। उसके नीचे वार्ड समिति काम करती है। और उन सब के ऊपर एक कोआर्डिनेशन का काम करने वाला मेयर होता है। लेकिन इस सिस्टम को तोड़ दिया गया, जो सही नहीं है।

ज्योति खंडेलवाल - सीधे निर्वाचन की प्रक्रिया अच्छी है। उसमें जनता सीधे अपने प्रतिनिधि को चुन सकती हैं। पार्षद जिन्हें चुन रहे हैं, उन पर पार्षदों का दबाव रहता है। जो इस सत्र में देखने को मिल रहा है।


Conclusion:बहरहाल, अभी दो मेयर चुने जाएंगे या नहीं ये फिलहाल भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है। लेकिन फिलहाल विकास, विरासत और प्रथम नागरिक शब्द के ऊपर सियासतदां अपने-अपने दल की सोच के अनुसार दलीलें पेश कर रहे हैं।
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