जयपुर. ऐतिहासिक जयपुर आज अपना 295वां जन्म (Pink City birthday Today) दिवस मना रहा है. गुलाबी नगरी के नाम से मशहूर इस शहर में कभी बनारस की भोर, प्रयाग की दोपहरी, अवध की शाम और बुंदेलखंड की रात जैसा नजारा दिखाई देता था. जो आज बेतहाशा आबादी और वाहनों की रेलमपेल के बीच घिरा नजर आता है. हालांकि, यहां के किले, महल, चौपड़, चौकड़ियां और रास्ते जयपुर की विरासत को आज भी खुद में समेटे हुए हैं. विकास के नाम पर बहुत कुछ बदलने के बाद भी ऐसा ही लगता है, जैसे आज भी जयपुर में कुछ ना बदला हो. विरासत से विकास की ओर बढ़ते इस जयपुर की कहानी आइए सुनते हैं इसी की जुबानी...
![Heritage City Jaipur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rj-jpr-01-mhujaipur-pkg-7201174_18112022000407_1811f_1668710047_41.jpg)
मैं जयपुर हूं, राजधानी जयपुर: महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय (Maharaja Sawai Jai Singh) ने आज के ही दिन 18 नवंबर, 1727 को मेरी नींव रखी (Heritage City Jaipur) थी. आज मैं 295 साल का हो गया हूं. समय के साथ मुझ में बदलाव भी आते जा रहे हैं. आज न सिर्फ मुझे हेरिटेज सिटी के नाम से जाना जाता है, बल्कि अब मैं स्मार्ट और मेट्रो सिटी भी कहलाता हूं. लेकिन इस बदलाव के बाद भी मुझ में सैकड़ों दशक पुरानी विरासत बदस्तूर जवां है. यही वजह है कि मेरी विरासत को निहारने के लिए देशी-विदेशी पावणे यहां समंदर पार से खींचे चले आते हैं.
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मेरा डिजाइन बंगाल के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य से बनवाया गया था, जिनकी योग्यता से प्रभावित होकर महाराजा सवाई जय सिंह ने उन्हें मेरा नगर नियोजक भी बनाया था. मेरी खासियत भी कुछ कम नहीं थी. मेरी संरचना में वर्षा जल संचयन और बारिश के निकासी का विशेष तौर पर इंतजाम किया गया था, जो आज भी आधुनिक भारत के ज्यादातर शहरों में देखने को नहीं मिलता.
मैं जयपुर हूं, हेरिटेज सिटी जयपुर: मेरी शान है मेरा परकोटा. ज्योतिष विद्वान पंडित जगन्नाथ सम्राट और राजगुरु रत्नाकर पौंड्रिक ने सबसे पहले गंगापोल की नींव रखी. विद्याधर ने नौ ग्रहों के आधार पर शहर में नौ चौकड़ियां और सूर्य के सात घोड़ों पर सात दरवाजे युक्त परकोटा बनवाया. पूर्व से पश्चिम की ओर जाती सड़क पर पूर्व में सूरजपोल और पश्चिम में चंद्र पर चांदपोल बनाया गया. यही परकोटा आज पूरे विश्व ने जाना जाता है. मुझे खुशी है कि इसे विश्व विरासत की सूची में शामिल किया गया है.
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मैं हूं जयपुर, छोटीकाशी जयपुर: मेरे ऐतिहासिक मंदिरों का भी काफी महत्व है. मंदिरों की बहुतायत की वजह से ही मुझे यह नाम मिला है. मेरी स्थापना से पहले और बाद के कई प्राचीन मंदिर अब भी यहां मौजूद है. मेरे आराध्य गोविंद देव जी मंदिर हो या, नाहरगढ़ की पहाड़ियों से मुझ पर निगरानी रखने वाले गढ़ गणेश जी. यही नहीं कई प्राचीन मंदिर दक्षिण शैली में बने हैं तो कई मंदिरों को बनवाने वाले के नाम से जाना जाता है. परकोटे की तीनों चौपड़ों पर तो तीन बड़े मंदिर एक ही शैली और समकोण पर बने हुए हैं.
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मैं हूं जयपुर, गुलाबी नगरी जयपुर: लोग मुझे भारत के पेरिस के रूप में भी जानते हैं. मैं तीन तरफ से अरावली के पहाड़ों से घिरा हुआ हूं, जो मेरी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. परकोटे के साथ-साथ मेरी पहचान यहां के खूबसूरत ऐतिहासिक महल और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थर हैं. साल 1876 में महाराजा सवाई राम सिंह ने इंग्लैड की महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में मेरा गुलाबी रंग रोगन किया था. तभी से मुझे 'पिंक सिटी' के नाम से भी पुकारा जाने लगा.
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मेरे लिए ही कहा जाता रहा है कि भोर बनारस, प्रयाग दोपहरी, शाम अवध, बुंदेलखंडी रात. मैं एक नहीं दो नहीं बल्कि चार-चार शहरों को खूबी रखता हूं, लेकिन अब बेतहाशा आबादी और वाहनों की रेलमपेल में मेरा ये नजारा भी बीते दिन की बात बन चुका है. पुराने दिनों के स्वर्णिम काल की कई यादों को भी विकास के नाम पर उजाड़ दिया गया. खैर, मुझे संवारने के लिए अब दो नगर निगमों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. मैं अब ग्रेटर जयपुर भी हूं और हेरिटेज जयपुर भी, लेकिन आप के लिए मैं आज भी आपका वहीं गुलाबी नगरी जयपुर ही हूं.
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मैं हूं जयपुर, मेट्रो सिटी-स्मार्ट सिटी जयपुर: विरासत के बीच आज मैं प्रगति के पथ पर भी आगे बढ़ रहा हूं. एलिवेटेड और भूमिगत मेट्रो, मल्टीनेशनल कंपनी बड़े-बड़े मॉल्स और दौड़ भाग भरी जिंदगी के बीच आज का मैं हाईटेक हुआ हूं. लेकिन मेरे परकोटे पर चढ़ी जरूरतों की इमारतें मखमल के ऊपर टाट के पैबंद से नजर आते हैं. मेट्रो बनाने के लिए मेरी चौपड़ों के कुंड को भी सहेजा नहीं जा सका. यदि आज मेरे संस्थापक सवाई जयसिंह मौजूद होते तो वो शायद मुझे देखकर खुश नहीं होते.
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हालांकि, मेरी विरासत को संभालने के लिए हेरिटेज नगर निगम बना दिया गया है. हेरिटेज प्राधिकरण भी बनाया जा रहा है. बढ़ती सीमाओं के बीच विकास के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण और ग्रेटर नगर निगम बनाया गया. जिनके दम पर अब मैं विरासत के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा हूं.
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