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शिक्षा विभाग के 'पंच' ने स्टेट ओपन स्कूल विद्यार्थियों के सामने खड़ी की दुविधा

राजस्थान शिक्षा विभाग ने स्टेट ओपन स्कूल से 10वीं और 12वीं के फॉर्म भरने के लिए 5 ऐसे नियम (Rules for filling form in State Open School) बना दिए हैं जिससे हजारों स्टूडेंट्स की शिक्षा पर ग्रहण लग सकता है. सरकार के इन नियमों से हजारों विद्यार्थियों के सामने संकट खड़ी हो गई है. देखिए ये रिपोर्ट...

Rajasthan State Open School
स्टेट ओपन स्कूल
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Published : Sep 3, 2022, 11:29 AM IST

Updated : Sep 3, 2022, 2:23 PM IST

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार हर व्यक्ति को शिक्षा से जोड़ने को लेकर कई तरह की योजनाओं की शुरुआत की है. लेकिन कई बार सरकार की ओर से बनाए गए नियम ही योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में बाधक बन जाते हैं. ऐसा ही मामला शिक्षा विभाग के स्टेट ओपन स्कूल की ओर से बनाए गए नियमों में सामने आया है. शिक्षा विभाग ने स्टेट ओपन स्कूल से 10वीं और 12वीं के फॉर्म भरने के लिए 5 ऐसे नियम (Rules for filling form in State Open School) बना दिए हैं जिससे हजारों स्टूडेंट्स की शिक्षा पर ग्रहण लग सकता है.

क्या हैं नए नियम- बालिका शिक्षा पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता लता सिंह कहती हैं कि सरकार ने स्कूल से ड्रॉप आउट हो चुके स्टूडेंट्स को फिर से शिक्षा से जोड़ने के लिए स्टेट ओपन स्कूल के तहत 10वीं और 12वीं पास करने के प्रावधान बनाए हैं. स्टेट ओपन स्कूल के जरिए हर साल हजारों स्टूडेंट परीक्षा में भाग लेते हैं. लेकिन इस बार शिक्षा विभाग ने नियमों में जो संशोधन किया है उससे हजारों विद्यार्थी फॉर्म भरने से वंचित रह जाएंगे.

स्टेट ओपन स्कूल विद्यार्थियों के सामने दुविधा

पढ़ें- Higher Education In Rajasthan: नेताओं की डिमांड पर सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए खोले कॉलेज, न फैकल्टी न स्टाफ... क्लासेज लगना तो दूर की कौड़ी

लता सिंह कहती हैं कि शिक्षा विभाग (Rajasthan Education Department) ने हाल ही में स्टेट ओपन स्कूल (Rajasthan State Open School) से 10वीं और 12वीं पास करने के लिए 5 नियम बनाए हैं. जिसमें जनाधार, आधार कार्ड, किसी भी क्लास की मार्कशीट, बैंक पासबुक और टीसी होना शामिल है. इन 5 दस्तावेजों के होने पर ही स्टूडेंट स्टेट ओपन स्कूल से फॉर्म भर सकता है. सरकार के इन नियमों से हजारों विद्यार्थियों के सामने संकट खड़ी हो गई है.

रहने-खाने की व्यवस्था नहीं, बैंक पास बुक कहां से लाएं- लता सिंह कहती हैं कि सरकार ने पांच ऐसे नियम लागू कर दिए जो सब के पास नहीं है. नए नियमों के अनुसार स्टूडेंट्स को बैंक की पासबुक और जन आधार कार्ड की फोटो कॉपी लगानी अनिवार्य है. प्रदेश में हजारों बच्चे ऐसे हैं जिनके पास न जनाधार है और न ही बैंक की पासबुक. ये वो बच्चे हैं जो गरीबी रेखा के नीचे अपना जीवन यापन करते हैं. इनमें से ज्यादातर कच्ची बस्ती और अलग-अलग अनाथ आश्रम/ सुधार घर में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में भी कई महिलाएं हैं जो किसी कारणवश अपनी पढ़ाई छोड़ चुकी थी, लेकिन अब उन्हें लगता है कि आगे पढ़ाई करनी चाहिए. अब उनके पास भी यह दस्तावेज हो यह संभव नहीं है.

पढ़ें- शिक्षा से महरूम बच्चे : राजस्थान के सवा दो लाख से अधिक बच्चे शिक्षा से वंचित, सर्वे में खुलासा...

गांधीनगर बालिका सुधार गृह में 30 से ज्यादा लड़कियां अयोग्य- लता सिंह कहती हैं कि सिर्फ गांधीनगर बालिका सुधार गृह से पिछले साल 35 से ज्यादा लड़कियों ने स्टेट ओपन स्कूल से दसवीं और बारहवीं का फॉर्म भरा था. उस समय सिर्फ दो ही दस्तावेज मांगे गए थे. एक इनका आधार कार्ड और दूसरा किसी भी क्लास की मार्कशीट. लेकिन मौजूदा वक्त में 5 दस्तावेजों के नए नियम के बाद 30 से ज्यादा लड़कियां स्टेट ओपन स्कूल से फॉर्म भरने की योग्यता से बाहर हो गई हैं. पूरे प्रदेश में हजारों की संख्या में ऐसे बच्चे हैं, जो इन दस्तावेजों को फुल फील नहीं कर सकते हैं.

पढ़ें- राजस्थान में गुरु जी की बच्चों पर मार बिगाड़ सकती है भविष्य, मनोचिकित्सक ने जताई चिंता

हर साल एक लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स देते हैं परीक्षा- हर साल एक लाख से ज्यादा स्टूडेंट परीक्षा में शामिल होते हैं. मौजूदा 2021-22 की बात करें तो दसवीं कक्षा में 64 हजार और 12वीं कक्षा में 61 हजार परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थी. इनमें दसवीं कक्षा में 50 फीसदी और 12वीं कक्षा में 58 फीसदी छात्र-छात्राएं पास हुई थीं, लेकिन अगर सरकार इस बार नियमों में संशोधन नहीं करती है तो फॉर्म भरने वाले अभ्यर्थियों की संख्या में काफी कमी आएगी. जबकि सरकार अधिक से अधिक स्टूडेंट्स स्टेट ओपन स्कूल के फॉर्म भरे इसके लिए उन्हें नगद राशि से सम्मानित करती है. स्टेट ओपन स्कूल से दसवीं कक्षा में पहला स्थान प्राप्त करने वाले स्टूडेंट को एकलव्य और मीरा पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. पहला स्थान प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स को 21 हजार और दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले स्टूडेंट को 11 हजार की नकद राशि दी जाती है.

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार हर व्यक्ति को शिक्षा से जोड़ने को लेकर कई तरह की योजनाओं की शुरुआत की है. लेकिन कई बार सरकार की ओर से बनाए गए नियम ही योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में बाधक बन जाते हैं. ऐसा ही मामला शिक्षा विभाग के स्टेट ओपन स्कूल की ओर से बनाए गए नियमों में सामने आया है. शिक्षा विभाग ने स्टेट ओपन स्कूल से 10वीं और 12वीं के फॉर्म भरने के लिए 5 ऐसे नियम (Rules for filling form in State Open School) बना दिए हैं जिससे हजारों स्टूडेंट्स की शिक्षा पर ग्रहण लग सकता है.

क्या हैं नए नियम- बालिका शिक्षा पर काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता लता सिंह कहती हैं कि सरकार ने स्कूल से ड्रॉप आउट हो चुके स्टूडेंट्स को फिर से शिक्षा से जोड़ने के लिए स्टेट ओपन स्कूल के तहत 10वीं और 12वीं पास करने के प्रावधान बनाए हैं. स्टेट ओपन स्कूल के जरिए हर साल हजारों स्टूडेंट परीक्षा में भाग लेते हैं. लेकिन इस बार शिक्षा विभाग ने नियमों में जो संशोधन किया है उससे हजारों विद्यार्थी फॉर्म भरने से वंचित रह जाएंगे.

स्टेट ओपन स्कूल विद्यार्थियों के सामने दुविधा

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लता सिंह कहती हैं कि शिक्षा विभाग (Rajasthan Education Department) ने हाल ही में स्टेट ओपन स्कूल (Rajasthan State Open School) से 10वीं और 12वीं पास करने के लिए 5 नियम बनाए हैं. जिसमें जनाधार, आधार कार्ड, किसी भी क्लास की मार्कशीट, बैंक पासबुक और टीसी होना शामिल है. इन 5 दस्तावेजों के होने पर ही स्टूडेंट स्टेट ओपन स्कूल से फॉर्म भर सकता है. सरकार के इन नियमों से हजारों विद्यार्थियों के सामने संकट खड़ी हो गई है.

रहने-खाने की व्यवस्था नहीं, बैंक पास बुक कहां से लाएं- लता सिंह कहती हैं कि सरकार ने पांच ऐसे नियम लागू कर दिए जो सब के पास नहीं है. नए नियमों के अनुसार स्टूडेंट्स को बैंक की पासबुक और जन आधार कार्ड की फोटो कॉपी लगानी अनिवार्य है. प्रदेश में हजारों बच्चे ऐसे हैं जिनके पास न जनाधार है और न ही बैंक की पासबुक. ये वो बच्चे हैं जो गरीबी रेखा के नीचे अपना जीवन यापन करते हैं. इनमें से ज्यादातर कच्ची बस्ती और अलग-अलग अनाथ आश्रम/ सुधार घर में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में भी कई महिलाएं हैं जो किसी कारणवश अपनी पढ़ाई छोड़ चुकी थी, लेकिन अब उन्हें लगता है कि आगे पढ़ाई करनी चाहिए. अब उनके पास भी यह दस्तावेज हो यह संभव नहीं है.

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गांधीनगर बालिका सुधार गृह में 30 से ज्यादा लड़कियां अयोग्य- लता सिंह कहती हैं कि सिर्फ गांधीनगर बालिका सुधार गृह से पिछले साल 35 से ज्यादा लड़कियों ने स्टेट ओपन स्कूल से दसवीं और बारहवीं का फॉर्म भरा था. उस समय सिर्फ दो ही दस्तावेज मांगे गए थे. एक इनका आधार कार्ड और दूसरा किसी भी क्लास की मार्कशीट. लेकिन मौजूदा वक्त में 5 दस्तावेजों के नए नियम के बाद 30 से ज्यादा लड़कियां स्टेट ओपन स्कूल से फॉर्म भरने की योग्यता से बाहर हो गई हैं. पूरे प्रदेश में हजारों की संख्या में ऐसे बच्चे हैं, जो इन दस्तावेजों को फुल फील नहीं कर सकते हैं.

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हर साल एक लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स देते हैं परीक्षा- हर साल एक लाख से ज्यादा स्टूडेंट परीक्षा में शामिल होते हैं. मौजूदा 2021-22 की बात करें तो दसवीं कक्षा में 64 हजार और 12वीं कक्षा में 61 हजार परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थी. इनमें दसवीं कक्षा में 50 फीसदी और 12वीं कक्षा में 58 फीसदी छात्र-छात्राएं पास हुई थीं, लेकिन अगर सरकार इस बार नियमों में संशोधन नहीं करती है तो फॉर्म भरने वाले अभ्यर्थियों की संख्या में काफी कमी आएगी. जबकि सरकार अधिक से अधिक स्टूडेंट्स स्टेट ओपन स्कूल के फॉर्म भरे इसके लिए उन्हें नगद राशि से सम्मानित करती है. स्टेट ओपन स्कूल से दसवीं कक्षा में पहला स्थान प्राप्त करने वाले स्टूडेंट को एकलव्य और मीरा पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. पहला स्थान प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स को 21 हजार और दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले स्टूडेंट को 11 हजार की नकद राशि दी जाती है.

Last Updated : Sep 3, 2022, 2:23 PM IST
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