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Rajasthan High Court: रेलवे शपथ पत्र पेश कर बताए अव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?

राजस्थान हाईकोर्ट ने रेलवे को शपथ पत्र पेश करते हुए यह बताने के लिए कहा है कि स्टेशनों पर अव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे.

Rajasthan High Court,  Rajasthan High Court said
राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश.
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Published : Jul 7, 2023, 8:44 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर और उदयपुर रेलवे स्टेशन सहित उदयपुर जाने वाली ट्रेन में अव्यवस्थाओं के मामले में रेलवे से शपथ पत्र पेश करने को कहा है. अदालत ने रेलवे से पूछा है कि अदालत की ओर से चिह्नित अव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे. इसके साथ ही अदालत ने अधिवक्ता माही यादव व जावेद खान को न्यायमित्र नियुक्त किया है. न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश सुदेश बंसल की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान रेलवे की ओर से अधिवक्ता मंजीत कौर अदालत में पेश हुई. वहीं उदयपुर सीजेएम की ओर से पेश रिपोर्ट भी पेश की गई. इस पर अदालत ने रिपोर्ट की कॉपी और मामले में अदालत की ओर से बताई गई अव्यवस्थाओं की पेपर बुक रेलवे के अधिवक्ता को देने के आदेश दिए. इसके साथ ही अदालत ने रेलवे के अधिवक्ता को 25 जुलाई को सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी देने को कहा है.

पढ़ेंः जयपुर-उदयपुर रेलवे स्टेशन सहित ट्रेन में अव्यवस्थाओं पर हाईकोर्ट ने लिया स्वप्रेरित प्रसंज्ञान

बता दें कि जस्टिस सुदेश बंसल 12 जून को सुबह 6.15 की ट्रेन से उदयपुर गए थे. उन्होंने देखा कि जयपुर रेलवे स्टेशन के प्रवेश द्वार पर अनियंत्रित निजी वाहनों के चलते यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है. निजी वाहनों को स्टेशन बिल्डिंग के बिल्कुल नजदीक जाने की छूट होने और इन्हें नियंत्रित करने के लिए रेलवे प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई भी नहीं की जा रही है. वहीं ट्रेन के अंदर बैठने की सीट, टॉयलेट और गेट आदि का भी उचित रखरखाव नहीं था.

उदयपुर पहुंचने पर जस्टिस सुदेश बंसल ने पाया कि वेटिंग हॉल बंद था और मैन्टीनेन्स रजिस्टर भी नहीं था. वहीं स्टेशन मास्टर का ऑफिस भी बंद था. इसके साथ ही रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के सहायता के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं थी. दूसरी ओर वेटिंग हॉल बंद होने और यात्रियों के लिए अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के संबंध में कोई जवाब देने वाला नहीं था. इसी तरह स्टेशन पर एरिया ऑफिसर व उच्चाधिकारियों के संपर्क नंबर नहीं थे. जस्टिस बंसल ने माना की इन सुविधाओं को लेना यात्रियों का कानूनी अधिकार है, लेकिन उन्हें यहां परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अदालत ने मामले में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए रेलवे प्रशासन से जवाब तलब करते हुए उदयपुर डीजे से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर और उदयपुर रेलवे स्टेशन सहित उदयपुर जाने वाली ट्रेन में अव्यवस्थाओं के मामले में रेलवे से शपथ पत्र पेश करने को कहा है. अदालत ने रेलवे से पूछा है कि अदालत की ओर से चिह्नित अव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे. इसके साथ ही अदालत ने अधिवक्ता माही यादव व जावेद खान को न्यायमित्र नियुक्त किया है. न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश सुदेश बंसल की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान रेलवे की ओर से अधिवक्ता मंजीत कौर अदालत में पेश हुई. वहीं उदयपुर सीजेएम की ओर से पेश रिपोर्ट भी पेश की गई. इस पर अदालत ने रिपोर्ट की कॉपी और मामले में अदालत की ओर से बताई गई अव्यवस्थाओं की पेपर बुक रेलवे के अधिवक्ता को देने के आदेश दिए. इसके साथ ही अदालत ने रेलवे के अधिवक्ता को 25 जुलाई को सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी देने को कहा है.

पढ़ेंः जयपुर-उदयपुर रेलवे स्टेशन सहित ट्रेन में अव्यवस्थाओं पर हाईकोर्ट ने लिया स्वप्रेरित प्रसंज्ञान

बता दें कि जस्टिस सुदेश बंसल 12 जून को सुबह 6.15 की ट्रेन से उदयपुर गए थे. उन्होंने देखा कि जयपुर रेलवे स्टेशन के प्रवेश द्वार पर अनियंत्रित निजी वाहनों के चलते यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है. निजी वाहनों को स्टेशन बिल्डिंग के बिल्कुल नजदीक जाने की छूट होने और इन्हें नियंत्रित करने के लिए रेलवे प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई भी नहीं की जा रही है. वहीं ट्रेन के अंदर बैठने की सीट, टॉयलेट और गेट आदि का भी उचित रखरखाव नहीं था.

उदयपुर पहुंचने पर जस्टिस सुदेश बंसल ने पाया कि वेटिंग हॉल बंद था और मैन्टीनेन्स रजिस्टर भी नहीं था. वहीं स्टेशन मास्टर का ऑफिस भी बंद था. इसके साथ ही रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के सहायता के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं थी. दूसरी ओर वेटिंग हॉल बंद होने और यात्रियों के लिए अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के संबंध में कोई जवाब देने वाला नहीं था. इसी तरह स्टेशन पर एरिया ऑफिसर व उच्चाधिकारियों के संपर्क नंबर नहीं थे. जस्टिस बंसल ने माना की इन सुविधाओं को लेना यात्रियों का कानूनी अधिकार है, लेकिन उन्हें यहां परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अदालत ने मामले में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए रेलवे प्रशासन से जवाब तलब करते हुए उदयपुर डीजे से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी थी.

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