जयपुर. एमएसीटी मामलों की विशेष अदालत महानगर द्वितीय ने बस की टक्कर से महिला की मौत मामले में उसके परिजनों के पक्ष में फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि बीमित वाहन के परमिट रूट से दूसरे रूट पर एक्सीडेंट होने पर भी बीमा कंपनी क्लेम के लिए जवाबदेह है. केवल परमिट की शर्तों का उल्लंघन होने से यह नहीं कह सकते कि वाहन परमिट में अधिकृत उद्देश्य से अलग उद्देश्य के लिए चलाया जा रहा था. कोर्ट ने यह आदेश शंभू दास की क्लेम याचिका मंजूर करते हुए दिए.
मामले के अनुसार, वैशाली नगर थाना इलाके में 16 मार्च 2019 की रात 8 बजे मृतका लाडा देवी सडक़ किनारे पैदल खिरनी फाटक रोड से कनकपुरा जा रही थी. जब एक्सप्रेस हाइवे की पुलिया के पास पहुंची तो कनकपुरा की ओर से एक बस ने तेज गति व लापरवाही से आकर गलत दिशा से उसके टक्कर मारी. इससे आई चोटों के कारण लाडा देवी की मौत हो गई.
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इस पर मृतका के पति ने वाहन मालिक व चालक सहित यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ क्लेम याचिका दायर की. बीमा कंपनी का कहना था कि एक्सीडेंट के समय बस परमिट में अंकित रूट पर नहीं चल रही थी और यह बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है. इसलिए वह क्लेम के लिए जवाबदेह नहीं है. जवाब में प्रार्थी ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि जब तक कि परमिट जिस उद्देश्य के लिए दिया हो और उस उद्देश्य से अलग हटकर वाहन को उपयोग में नहीं लिया हो तब तक बीमा पॉलिसी का उल्लंघन नहीं मान सकते. इसलिए परमिट रूट से दूसरे रूट पर एक्सीडेंट होने पर भी बीमा कंपनी क्लेम के लिए जवाबदेह है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनकर बीमा कंपनी को प्रार्थी को ब्याज सहित क्लेम राशि देने का निर्देश दिए हैं.