जयपुर. गहलोत सरकार के अब तक के ढाई वर्ष के कार्यकाल में प्रदेश में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. यहां तक की कोरोना के चलते प्रदेश में लॉकडाउन होने के बावजूद भी अपराध के आंकड़ों में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है जो सरकार के साथ-साथ राजस्थान पुलिस के लिए भी एक बड़ा सिरदर्द बना हुआ है. आए दिन प्रदेश में कहीं ना कहीं कुछ ऐसी अपराधिक घटना घटित हो रही है जो विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिल जाती है.
राजस्थान पुलिस का इंटेलिजेंस तंत्र भी सरकार के इन ढाई वर्ष के कार्यकाल में पूरी तरह से नाकाम दिखा. इस दौरान पुलिसकर्मियों के बजरी माफियाओं से सांठगांठ के कई प्रकरण भी उजागर हुए हैं जिसको लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी नाराजगी जाहिर की.
पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत को बताया- प्रदेश में अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है जिसके पीछे का प्रमुख कारण राजस्थान में गृहमंत्री का नहीं होना है. गृह विभाग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पास रखा हुआ है और मुख्यमंत्री इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं जिसके चलते स्थिति दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है.
जब बीजेपी सरकार सत्ता में थी तो तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया हर महीने पुलिस मुख्यालय में अपराध समीक्षा बैठक लेते थे और सभी जिलों की रिपोर्ट पर फीडबैक लिया जाता था. लेकिन जब से गहलोत सरकार सत्ता में आई है तब से हर महीने पुलिस मुख्यालय में होने वाली अपराध समीक्षा बैठक होना भी बंद हो गई है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ढाई वर्ष के कार्यकाल में अब तक सिर्फ तीन बार अपराध समीक्षा बैठक ली हैं. सरकार खुद ही अपने विवादों में इतनी उलझी हुई है कि वह पुलिस के लिए वक्त ही नहीं निकाल पा रही है. सरकार का खुफिया तंत्र भी इन ढाई वर्ष के कार्यकाल में फेल दिखा.
राजस्थान पुलिस का इंटेलिजेंस ब्यूरो इन ढाई वर्ष के कार्यकाल में राजस्थान में होने वाली कई बड़ी घटनाओं को लेकर नकाम दिखा. चाहे बात डूंगरपुर हिंसा की हो, बहरोड़ लॉकअप कांड की हो या पुजारी हत्याकांड की हो इनके अलावा भी कई बड़ी घटनाओं में इंटेलिजेंस ब्यूरो पूरी तरह से फेल रहा है.
ढाई साल में इस तरह बढ़ा अपराध का ग्राफ-
गहलोत सरकार के ढाई वर्ष के कार्यकाल की बात करें तो दिसंबर 2018 में गहलोत सरकार ने सत्ता में आने के बाद काम करना शुरू किया. सत्ता में आने के कुछ ही समय बाद गहलोत और सचिन पायलट खेमे में खींचतान शुरू हो गई जिसके चलते गहलोत गृह विभाग की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे पाए.
वर्ष 2019 की शुरुआत से लेकर अब तक प्रदेश में आईपीसी की विभिन्न संगीन धाराओं में 5 लाख से भी अधिक केस रजिस्टर्ड हो चुके हैं. इसमें हत्या के 4059 केस हत्या के प्रयास, 4709 केस डकैती, 250 केस लूट, 3109 केस अपहरण, 17 हजार 500 से ज्यादा केस दुष्कर्म के दर्ज हुए हैं.
इसके अलावा 13 हजार 750 से अधिक मामले चोरी और अन्य अपराध के शामिल हैं. ध्यान देने वाली बात ये हैं कि अपराध के ज्यादातर आंकड़े कोरोना के दौरान बढ़े हैं.
वसुंधरा सरकार के दौरान अपराध का ग्राफ-
राजस्थान में लगातार बढ़ते अपराध के ग्राफ को लेकर सरकार को घेरने वाला विपक्ष जब खुद सत्ता में था तो उस दौरान भी अपराध की क्या स्थिति थी इसका अंदाजा इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है.
बीजेपी के ढाई वर्ष के कार्यकाल की की अगर बात करें तो हत्या के 3 हजार 800 केस, हत्या के प्रयास के करीब 4 हजार 100 केस, दुष्कर्म के 9 हजार केस, अपहरण के 13 हजार 500 केस इसके अलावा चोरी, नकबजनी और अन्य अपराधों के करीब 80 हजार केस दर्ज हुए थे.