जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय में युवा दिवस के मौके स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण करने पहुंचे शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के संबोधन के दौरान आरएएस मुख्य परीक्षा के अभ्यर्थियों ने नारेबाजी शुरू कर दी. अभ्यर्थियों ने परीक्षा की तैयारी के लिए तीन महीने का समय देने की मांग की है. इस पर मदन दिलावर ने कहा कि आरएएस मुख्य परीक्षा के अभ्यर्थी मुख्यमंत्री से भी मिले हैं और अब उन्हें भी अपनी व्यथा बताई है. इस विषय में बात की जाएगी, चूंकि इस मामले में वो अकेले निर्णायक नहीं है. ऐसे में शिक्षा मंत्री ने मुख्यमंत्री और अन्य सभी के साथ मिलकर इस पर विचार कर पॉजिटिव फैसला लिए जाने की बात कही है.
कांग्रेस सरकार पर हमला : मदन दिलावर ने नई एजुकेशन पॉलिसी को रोजगार आधारित बताते हुए कहा कि 12वीं तक जो बच्चा पढ़ाई करके स्कूल से निकलेगा, वो अपना रोजगार स्वत: ही कर सकता है. प्रदेश में अब तक कांग्रेस की सरकार थी. उन्होंने इस पॉलिसी पर कोई काम नहीं किया, क्योंकि या तो उन्हें डर लगता था या वो करना नहीं चाहते थे. अब नई पॉलिसी बनाने वालों की ही सरकार है और पीएम नरेंद्र मोदी का सपना है कि स्कूलों में नई शिक्षा नीति लागू हो. जहां-जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, वहां-वहां काफी प्रगति हुई है. अब राजस्थान में भी इसे गति दी जाएगी.
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आरएएस परीक्षा आगे बढ़ाने की मांग : शिक्षा मंत्री से गुहार लगा रहे आरएएस प्रारंभिक परीक्षा के सफल अभ्यर्थियों ने बताया कि शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से मांग की है कि वो आरएएस मुख्य परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाने का प्रस्ताव लेकर जाएं, क्योंकि सिलेबस बहुत बड़ा है और समय 3 महीने का ही है. एक दिव्यांग अभ्यर्थी ने बताया कि 20 अक्टूबर को रिजल्ट आया और परीक्षा की तारीख जारी कर दी. रिवीजन के लिए सिर्फ 3 महीने का समय दिया, जबकि मुख्य परीक्षा में लॉजिकली फैक्ट लिखकर जवाब देना होता है और यदि एक अच्छा ब्यूरोक्रेट तैयार करना है तो सरकार को समय देना ही होगा. उन्होंने कहा कि तमाम जद्दोजहद के बावजूद कोर्स कंप्लीट नहीं हो पा रहा है, इसलिए भूख हड़ताल का रास्ता चुना है. उन्होंने कहा कि यदि उनकी भूख हड़ताल खत्म करनी है तो छात्रों को तैयारी के लिए 3 महीने का समय दिया जाए और इसके लिए जल्द से जल्द से कैबिनेट बैठक बुलाई जाए.
युवा दिवस के उपलक्ष्य में मौजूद रहीं महापौर सौम्या गुर्जर ने कहा कि भारत युवाओं का देश है और इन युवाओं सहित पूरे देश को स्वामी विवेकानंद से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. विवेकानंद एक प्रेरणा स्रोत हैं. विवेकानंद के जीवन से सीखें या उनके द्वारा कहे गए मोटिवेशनल स्लोगन को आत्मसात करें. इसके साथ ही लोग भगवान श्री राम के जीवन दर्शन को भी आत्मसात करें. इन दोनों के व्यक्तित्व के आदर्शों पर यदि युवा चलें तो भारत जल्द विश्व गुरु बनेगा.