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शिक्षक चुनावी ड्यूटी में, सिर पर अर्धवार्षिक परीक्षा और अब उठ रही यह मांग

शिक्षकों की ड्यूटी विधानसभा चुनाव में लगाए जाने की वजह से स्कूली छात्रों की पढ़ाई बाधित हुई है. इसके विरोध में कई शिक्षक संघ ने आवाज उठाई है और शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी से मुक्त करने की मांग की है.

election duty of teachers
शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 30, 2023, 6:53 AM IST

शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी से शिक्षण प्रभावित

जयपुर. शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी छात्रों के लिए बड़ी मुसीबत बनी है. चुनावी ड्यूटी के दौरान शिक्षकों के स्कूल नहीं आने से छात्रों का कोर्स भी अधूरा रह गया है. प्रदेश के एक लाख से ज्यादा शिक्षकों की ड्यूटी विधानसभा चुनाव में लगाए जाने की वजह से स्कूली छात्रों की पढ़ाई बाधित हुई है. छात्रों को अभी भी अपने शिक्षकों के स्कूल आने का इंतजार है, लेकिन ये इंतजार विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद ही खत्म होगा.

स्कूलों में 11 दिसंबर से अर्धवार्षिक परीक्षा शुरू हो रही है. चुनाव परिणाम के आने के बाद जब शिक्षक स्कूलों में लौटेंगे तब अर्धवार्षिक परीक्षा तक का कोर्स पूरा कराने और छात्रों की समस्याओं का समाधान कराने के लिए सिर्फ एक सप्ताह ही बचेगा, क्योंकि स्कूलों में 11 दिसंबर से अर्धवार्षिक परीक्षा शुरू हो रही है.

शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश अध्यक्ष महावीर सिहाग ने कहा कि विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान संपन्न हुए हैं, ये एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, लेकिन शिक्षण कार्य भी महत्वपूर्ण है. अभी विधानसभा चुनाव में शिक्षकों की ड्यूटी लगी है जबकि अर्धवार्षिक परीक्षा और इसके बाद बोर्ड की परीक्षा नजदीक है. ऐसी स्थिति में शिक्षकों की लंबे समय तक चुनावी ड्यूटी लगने से शिक्षण कार्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा है.

पढ़ें : शिक्षक भर्ती के विवादित प्रश्नों की जांच विशेषज्ञ कमेटी से कराने के आदेश

सिलेबस पूरा नहीं, शिक्षक चुनाव में : वहीं, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक संघ के अंजनी कुमार ने कहा कि सिलेबस पूरा नहीं हुआ है. शिक्षकों की ड्यूटी बीएलओ और चुनावी कार्य में लगने की वजह से छात्र शिक्षा से महरूम रहे हैं. ऐसे में शासन और प्रशासन को भविष्य में इस बात पर ध्यान रखना चाहिए कि शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षणिक कार्य में ना लगाई जाए. वर्तमान में जिन शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी लगी हुई है, उन्हें तत्काल इस कार्य से मुक्त करें, ताकि छात्रों को अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी कराई जा सके.

वहीं, प्रतिबंधित जिला शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश मिर्धा ने सरकार से ये मांग की है कि शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षणिक कार्यों में ना लगाते हुए उन्हें शिक्षण काम के लिए स्वतंत्र किया जाए, ताकि राजस्थान में शैक्षणिक वातावरण बन सके.

शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी से शिक्षण प्रभावित

जयपुर. शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी छात्रों के लिए बड़ी मुसीबत बनी है. चुनावी ड्यूटी के दौरान शिक्षकों के स्कूल नहीं आने से छात्रों का कोर्स भी अधूरा रह गया है. प्रदेश के एक लाख से ज्यादा शिक्षकों की ड्यूटी विधानसभा चुनाव में लगाए जाने की वजह से स्कूली छात्रों की पढ़ाई बाधित हुई है. छात्रों को अभी भी अपने शिक्षकों के स्कूल आने का इंतजार है, लेकिन ये इंतजार विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद ही खत्म होगा.

स्कूलों में 11 दिसंबर से अर्धवार्षिक परीक्षा शुरू हो रही है. चुनाव परिणाम के आने के बाद जब शिक्षक स्कूलों में लौटेंगे तब अर्धवार्षिक परीक्षा तक का कोर्स पूरा कराने और छात्रों की समस्याओं का समाधान कराने के लिए सिर्फ एक सप्ताह ही बचेगा, क्योंकि स्कूलों में 11 दिसंबर से अर्धवार्षिक परीक्षा शुरू हो रही है.

शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश अध्यक्ष महावीर सिहाग ने कहा कि विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान संपन्न हुए हैं, ये एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, लेकिन शिक्षण कार्य भी महत्वपूर्ण है. अभी विधानसभा चुनाव में शिक्षकों की ड्यूटी लगी है जबकि अर्धवार्षिक परीक्षा और इसके बाद बोर्ड की परीक्षा नजदीक है. ऐसी स्थिति में शिक्षकों की लंबे समय तक चुनावी ड्यूटी लगने से शिक्षण कार्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा है.

पढ़ें : शिक्षक भर्ती के विवादित प्रश्नों की जांच विशेषज्ञ कमेटी से कराने के आदेश

सिलेबस पूरा नहीं, शिक्षक चुनाव में : वहीं, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक संघ के अंजनी कुमार ने कहा कि सिलेबस पूरा नहीं हुआ है. शिक्षकों की ड्यूटी बीएलओ और चुनावी कार्य में लगने की वजह से छात्र शिक्षा से महरूम रहे हैं. ऐसे में शासन और प्रशासन को भविष्य में इस बात पर ध्यान रखना चाहिए कि शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षणिक कार्य में ना लगाई जाए. वर्तमान में जिन शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी लगी हुई है, उन्हें तत्काल इस कार्य से मुक्त करें, ताकि छात्रों को अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी कराई जा सके.

वहीं, प्रतिबंधित जिला शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश मिर्धा ने सरकार से ये मांग की है कि शिक्षकों की ड्यूटी गैर शैक्षणिक कार्यों में ना लगाते हुए उन्हें शिक्षण काम के लिए स्वतंत्र किया जाए, ताकि राजस्थान में शैक्षणिक वातावरण बन सके.

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