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जयपुर में 950 व्यापारियों पर लटकी रोजगार संकट की तलवार, मंत्री शांति धारीवाल ने भी मायूस लौटाया

पिंक सिटी जयपुर में अब चारदिवारी क्षेत्र के 19 व्यावसायिक कॉप्लेक्स पर नगर निगम प्रशासन एक्शन के लिए तैयार है. परेशान व्यापारी मंत्री शांति धारीवाल के पास भी गए थे, लेकिन उन्हें वहां से भी मायूसी हाथ लगी है.

sword of employment crisis hangs on 950 traders
जयपुर में 950 व्यापारियों पर लटकी रोजगार संकट की तलवार
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Published : May 3, 2023, 7:50 PM IST

जयपुर में 950 व्यापारियों पर लटकी रोजगार संकट की तलवार

जयपुर. मानसरोवर के बाद अब चारदिवारी के 19 व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स पर निगम प्रशासन कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है. हेरिटेज नगर निगम की ओर से दड़ा मार्केट, हल्दियों का रास्ता और मनीराम जी की कोठी के 19 व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स में व्यावसायिक गतिविधियों को बंद करने के निर्देश दिए गए हैं. मामले को लेकर बुधवार को बड़ी संख्या में व्यापारी यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर उनसे गुहार लगाने पहुंचे. हालांकि यहां से उन्हें सरकार के हाथ बंधे होने और कोर्ट में इंडिविजुअल रिट लगाने का टका सा जवाब मिला.

ये भी पढ़ेंः अजमेर: फेस्टिव सीजन में व्यापारी परेशान, जिस Bridge से थी विकास की उम्मीद वही बना रास्ते का रोड़ा!

निगम प्रशासन ने दिया अवैध बिल्डिंग का नोटिसः परकोटा क्षेत्र के करीब 950 व्यापारियों के रोजगार पर निगम की कार्रवाई की तलवार लटक रही है. इसी गुहार को लेकर व्यापारी बुधवार को यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर पहुंचे. व्यापारियों के प्रतिनिधि मंडल ने विधायक अमीन कागजी के नेतृत्व में शांति धारीवाल से वार्ता की. उन्होंने कहा कि राजधानी में नीचे दुकान, ऊपर मकान का कंसेप्ट हमेशा से रहा है. निगम प्रशासन की ओर से अवैध बिल्डिंग होने का नोटिस दिया गया. जिसमें रेजिडेंशियल क्षेत्र में कामर्शियल एक्टिविटी होने का हवाला दिया गया. व्यापारियों ने तर्क दिया कि ये कामर्शियल काम 75 साल पहले से हो रहा है.

ये भी पढ़ेंः Fraud in Jaipur: गुजरात के व्यापारी से 4 करोड़ की ठगी, कम दाम में अनाज दिलाने का दिया था झांसा

बरसों से बनी हुईं हैं बिल्डिंगः उन्होंने कहा कि 19 कांपलेक्स में 950 व्यापारियों के पास हजारों वर्कर काम कर रहे हैं. निगम प्रशासन को हर वर्ष यूडी टैक्स दिया जाता है. व्यापारी जीएसटी भी देते हैं. व्यापार महासंघ के अध्यक्ष सुभाष हुए ने कहा कि ये बिल्डिंग बरसों से बनी हुई हैं. जहां सैकड़ों व्यापारी अपना रोजगार कर रहे हैं. यदि निगम उस बिल्डिंग को सीज करती है, तो इसका सीधा असर व्यापारी और उनके साथ काम करने वाले कर्मचारी और परिवारों पर पड़ेगा. उन्होंने सवाल किया कि इस पूरे प्रकरण में व्यापारी की कहां गलती है. इसलिए सरकार को भी व्यापारी के साथ खड़ा होना चाहिए.

राहत देने में सक्षम नहीं राज्य सरकारः व्यापारियों की गुहार लेकर यूडीएच मंत्री से मिले विधायक अमीन कागजी ने कहा कि हाई कोर्ट के ऑर्डर पर राज्य सरकार किसी भी तरह का रिलीफ देने में सक्षम नहीं है. यूडीएच मंत्री ने तर्क दिया है कि ये केस 2014 से चल रहा है. सरकार ने बचाव का भी प्रयास किया. कोर्ट के आदेशों के अवहेलना नहीं की जा सकती. इस संबंध में व्यापारियों के साथ चर्चा हुई. उसके बाद ये निष्कर्ष निकला है कि जो भी व्यापारी है वो इंडिविजुअल कोर्ट में याचिका लगाए. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने बिल्डिंग बनाई थी, उसका मालिकाना हक उनके पास नहीं है. वह अपनी प्रॉपर्टी को ट्रांसफर कर चुके हैं. ऐसे में कोर्ट ने जो आदेश किए हैं उसकी पालना सरकार की जिम्मेदारी है. व्यापारियों की मदद नहीं कर पाने में सरकार सक्षम नहीं है, सरकार के हाथ बंधे हुए हैं.

जयपुर में 950 व्यापारियों पर लटकी रोजगार संकट की तलवार

जयपुर. मानसरोवर के बाद अब चारदिवारी के 19 व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स पर निगम प्रशासन कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है. हेरिटेज नगर निगम की ओर से दड़ा मार्केट, हल्दियों का रास्ता और मनीराम जी की कोठी के 19 व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स में व्यावसायिक गतिविधियों को बंद करने के निर्देश दिए गए हैं. मामले को लेकर बुधवार को बड़ी संख्या में व्यापारी यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर उनसे गुहार लगाने पहुंचे. हालांकि यहां से उन्हें सरकार के हाथ बंधे होने और कोर्ट में इंडिविजुअल रिट लगाने का टका सा जवाब मिला.

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निगम प्रशासन ने दिया अवैध बिल्डिंग का नोटिसः परकोटा क्षेत्र के करीब 950 व्यापारियों के रोजगार पर निगम की कार्रवाई की तलवार लटक रही है. इसी गुहार को लेकर व्यापारी बुधवार को यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर पहुंचे. व्यापारियों के प्रतिनिधि मंडल ने विधायक अमीन कागजी के नेतृत्व में शांति धारीवाल से वार्ता की. उन्होंने कहा कि राजधानी में नीचे दुकान, ऊपर मकान का कंसेप्ट हमेशा से रहा है. निगम प्रशासन की ओर से अवैध बिल्डिंग होने का नोटिस दिया गया. जिसमें रेजिडेंशियल क्षेत्र में कामर्शियल एक्टिविटी होने का हवाला दिया गया. व्यापारियों ने तर्क दिया कि ये कामर्शियल काम 75 साल पहले से हो रहा है.

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बरसों से बनी हुईं हैं बिल्डिंगः उन्होंने कहा कि 19 कांपलेक्स में 950 व्यापारियों के पास हजारों वर्कर काम कर रहे हैं. निगम प्रशासन को हर वर्ष यूडी टैक्स दिया जाता है. व्यापारी जीएसटी भी देते हैं. व्यापार महासंघ के अध्यक्ष सुभाष हुए ने कहा कि ये बिल्डिंग बरसों से बनी हुई हैं. जहां सैकड़ों व्यापारी अपना रोजगार कर रहे हैं. यदि निगम उस बिल्डिंग को सीज करती है, तो इसका सीधा असर व्यापारी और उनके साथ काम करने वाले कर्मचारी और परिवारों पर पड़ेगा. उन्होंने सवाल किया कि इस पूरे प्रकरण में व्यापारी की कहां गलती है. इसलिए सरकार को भी व्यापारी के साथ खड़ा होना चाहिए.

राहत देने में सक्षम नहीं राज्य सरकारः व्यापारियों की गुहार लेकर यूडीएच मंत्री से मिले विधायक अमीन कागजी ने कहा कि हाई कोर्ट के ऑर्डर पर राज्य सरकार किसी भी तरह का रिलीफ देने में सक्षम नहीं है. यूडीएच मंत्री ने तर्क दिया है कि ये केस 2014 से चल रहा है. सरकार ने बचाव का भी प्रयास किया. कोर्ट के आदेशों के अवहेलना नहीं की जा सकती. इस संबंध में व्यापारियों के साथ चर्चा हुई. उसके बाद ये निष्कर्ष निकला है कि जो भी व्यापारी है वो इंडिविजुअल कोर्ट में याचिका लगाए. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने बिल्डिंग बनाई थी, उसका मालिकाना हक उनके पास नहीं है. वह अपनी प्रॉपर्टी को ट्रांसफर कर चुके हैं. ऐसे में कोर्ट ने जो आदेश किए हैं उसकी पालना सरकार की जिम्मेदारी है. व्यापारियों की मदद नहीं कर पाने में सरकार सक्षम नहीं है, सरकार के हाथ बंधे हुए हैं.

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