जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी के पदभार ग्रहण समारोह में पहुंचे पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक केंद्र सरकार पर जमकर बरसे. उन्होंने किसानों को एमएसपी नहीं दिए जाने, अग्निवीर योजना के तहत 3 साल की नौकरी, युवाओं को नौकरी नहीं मिलने महंगाई और बेरोजगारी जैसे प्रकरणों पर देश में जल्द बड़ा आंदोलन होने की बात कही. साथ ही कहा कि श्वान भी मरती है तो दिल्ली से शोक संदेश जाता है, लेकिन 750 किसानों के मरने पर किसी ने कुछ नहीं कहा.
उन्होंने राजस्थान के राजनेताओं को भी दो टूक शब्दों में कहा कि ओबीसी आरक्षण में (Satyapal Malik on OBC Reservation) कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए. जो छेड़छाड़ करेगा वो जाएगा. राजनेताओं को भी इसमें साफ समझ लेना चाहिए. इस आंदोलन में वो हमेशा साथ खड़े रहेंगे. पांच राज्यों में राज्यपाल रहे पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना किसान कौम को खत्म करने की साजिश है. किसानों के बच्चे फौज में चले जाते थे, जो जाता था वो अगली पीढ़ी के बच्चों को पढ़ा देता था. जो आगे बढ़ कर जनरल पद से रिटायर होते थे. अब यह 3 साल की नौकरी में कुछ नहीं कर पाएंगे.
फौज में जो कुर्बानी का जज्बा होता है, 3 साल वाले जवान में वो जज्बा भी नहीं आएगा. आरोप लगाया कि केंद्र सरकार फौज को भी तबाह कर रही है. उन्होंने कहा कि जिस देश का किसान और जवान सुरक्षित नहीं है, और खुश नहीं है, उस देश को कोई नहीं बचा सकता. पीएम मोदी को ये समझ लेना चाहिए कि पावर तो आती जाती रहती है, किसी दिन इंदिरा जी की तरह वो भी हट जाएंगे. लेकिन वो इतना बिगाड़ कर मत जाएं जिसे सुधारा ना जा सके. देश में कानून व्यवस्था और फौज ही बची हुई है, उसको भी खराब कर देंगे, तो बाकी तो सब खराब कर ही रखा है.
निर्मल चौधरी दूर तक जाएगाः इससे पहले उन्होंने बताया कि पिछले 2 महीने में उन्होंने जो निर्मल चौधरी के तेवर देखे हैं, उससे वो आश्वस्त हैं कि निर्मल चौधरी बहुत दूर तक जाएगा. विधानसभा-लोकसभा की गरिमा बढ़ाएगा. उन्होंने बीते पल याद करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी में जाना उनके लिए ऐसा रहा जैसे मां की गोद में जाना. जब वो 2 साल के थे उस समय उनके पिताजी का देहांत हो गया था. उनकी मां की उम्र 26 साल थी, और उनके सामने ऑप्शन था की दूसरी शादी कर लें. लेकिन उन्होंने दूसरी शादी नहीं की और उन्हें पालने और बढ़ाने का संकल्प लिया. जब वो 3 साल लगातार मेरठ यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट रहे. यूनिवर्सिटी में आखिरी साल आया तो चौधरी चरण सिंह ने बुलाकर कहा था कि उनके 30 एमएलए बेईमान निकले और उन्हें छोड़ कर चले गए हैं. तब उन्होंने चौधरी चरण सिंह की पार्टी भी ज्वाइन की फिर एमएलए भी बने. राज्यसभा और लोकसभा सांसद भी रहे और मिनिस्टर भी बने. आखिर में 5 राज्यों के राज्यपाल भी बने.
केंद्र सरकार को कोसाः सत्यपाल मलिक ने कहा कि उन्होंने नरेंद्र मोदी से मिलकर भी ये बात कही थी कि उनके गुरु ने कहा है कि अपने वर्गों का जब सवाल आए तो कोई समझौता मत करना. जब 4 महीने तक बिना सुविधा सड़कों पर किसान पड़े रहे और प्रधानमंत्री का घर 10 किलोमीटर दूर था. लेकिन कोई उनसे बात करने नहीं आया. उन्होंने कहा कि करीब 750 किसान मर गए. श्वान भी मरती है, तो दिल्ली से शोक संदेश जाता है. लेकिन उनके लिए किसी ने कुछ नहीं कहा. इसलिए फिर रहा नहीं गया और वो अपना इस्तीफा जेब में रखकर प्रधानमंत्री से मिलने चले गए.
सत्यपाल मलिक ने कहा कि पीएम से मिलने के दौरान कहा कि किसान बैठे हैं, इनसे बात कर लो. लेकिन पीएम इतने घमंड में थे कि ये कह दिया कि कोई बात नहीं सत्यपाल भाई ये सब चले जाएंगे. मलिक ने बताया कि तब पीएम से कहा कि आप इन्हें जानते नहीं ये तब जाएंगे, जब आप चले जाएंगे. यह तो अपनी बात मनवा करके जाएंगे, या आपको हटवा कर जाएंगे. मलिक ने कहा कि ये बात पीएम को उस दिन समझ नहीं आई, उन्होंने इंगित भी किया कि इन सिखों के गुरु ने अपने चार बेटे बलिदान कर दिए थे, लेकिन समझौता नहीं किया था. उनके वाले तो हर तीसरे महीने आगरा के लाल किले पर चढ़े रहते थे, कभी अकबर की कब्र खोद लाते थे. पहले ये पता कर लो कि किससे लड़ रहे हो. इनको परास्त करके या खाली हाथ नहीं भेज सकते. सत्यपाल मलिक ने कहा कि तब जाकर पीएम के बात समझ में आई और उन्होंने माफी मांगते हुए तीनों कानून वापस लिए. उन्होंने कहा कि अभी भी सरकार की नियत किसानों के प्रति अच्छी नहीं है. सरकार ने अभी तक एमएसपी का मामला शॉर्ट आउट नहीं किया है. लेकिन किसानों ने भी कह दिया है कि अभी उन्होंने धरना उठाया है, संघर्ष वापस नहीं लिया है. मलिक ने कहा कि ये लड़ाई फिर होगी और इसमें वो भी शामिल होंगे.
देश युवा शक्ति बचा सकती हैः सत्यपाल मलिक ने बताया कि गवर्नरी के आखिरी साल वो छोड़ने के लिए बिल्कुल तैयार थे, तब एक मिनिस्टर ने कहा था कि खुद मत छोड़ना, जब तक ये ना कहें. उन्होंने कहा कि अब वो रिटायर हो चुके हैं, फ्री हैं, कहीं घूम सकते हैं, कुछ भी बोल सकते हैं. उन्होंने निर्मल को संबोधित करते हुए कहा कि देश का जो हाल है आज उसको सिर्फ युवा शक्ति बचा सकती हैं. नेताओं में कुछ नहीं बचा. नेता चुने जाते हैं, और चुनते ही दौलत के पीछे भाग लेते हैं. युवाओं में दम है, कुर्बानी का माद्दा है, ये लड़ सकते हैं. ये संगठन और बिना संगठन के भी लड़ सकते हैं, इसलिए इनकी गर्मी को बरकरार रखिएगा.
तुम तो रोटी बनाना भी नहीं जानतेः मलिक ने कहा कि पहली बार जब वो बिहार में गवर्नर थे, वहां मौजूद 12 यूनिवर्सिटी के वही चांसलर थे. वहां दीक्षांत समारोह होते थे, तो 25 गोल्ड मेडल में से 5 लड़कों के 20 लड़कियों के होते थे. यही अनुपात लगभग सभी जगह है. उन्होंने लड़कों को कहा कि 'बेशर्मों तुम तो रोटी बनाना भी नहीं जानते, मुक्केबाजी का मेडल भी यही लाएंगी, कुश्ती का मेडल भी यही लाएंगी और पढ़ाई का मेडल भी यही लाएंगी. ये लड़कियां जब सरकारी नौकरी में आती हैं तो इक्का-दुक्का मामलों को छोड़ दिया जाए तो इनके भ्रष्टाचार के मामले भी नहीं आते. जबकि 90 फीसदी लड़के तो नौकरी लगने के बाद अपना रास्ता ही बदल लेते हैं. उन्होंने कहा कि लड़कों संभल जाओ वरना बर्बाद हो जाओगे.
हालांकि, लड़कों की इस स्थिति का जिम्मेदार उन्होंने समाज को ही बताया. उन्होंने कहा कि शाम को बेटी से तो पूछते हैं, कहां गई थी, इनसे नहीं पूछते कहां गए थे. नतीजा ये है कि 17 साल का होते ही इन्हें नशा पकड़ लेता है, और बर्बाद हो जाते हैं. उन्होंने अपील की कि नौजवानों के कंधों पर बड़ा भार है. देश इस वक्त बहुत खराब स्थिति में है. देश जिनके हाथ में है, उनको युवाओं, किसानों की और गरीब की कोई परवाह नहीं है. जिस तरह की बेरोजगारी है, जिस तरह की महंगाई है, उसकी तरफ ये मुड़कर भी नहीं देख रहे हैं. ऐसे में उन्होंने मंच से युवाओं को खड़े होने की अपील करते हुए कहा कि अगर आप खड़े हो जाओगे, तो सत्ता पलट जाएगी. अगर युवा खड़ा हो गया तो, या तो ये सुधर जाएंगे या भाग जाएंगे.
पत्थर लगते ही पलटकर गोली मार देनाः सत्यपाल मलिक ने बताया कि जब वो कश्मीर के गवर्नर थे तो बॉर्डर पर सेना के बीच में जाते थे. वहां पत्थरबाजी बहुत होती थी. जिसमें जवान आगे-आगे भाग रहा होता था और लफंगे लड़के उनको मारते हुए चले जाते थे. जवानों ने इसके पीछे जवाब दिया कि अगर वो पत्थरबाजों को मार देंगे तो महबूबा मुकदमा कर देगी. तब मलिक ने उनसे कहा कि पत्थर लगते ही पलट कर गोली मार देना, वो हैं, उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा. इसके बाद पत्थरबाजी 100 फीसदी बंद हो गई. श्रीनगर शहर में टेररिस्ट घुसने की हिम्मत नहीं करता था, अब तो घुसकर आईजी मार दिया गया. लेकिन ये बात तय है कि यदि इरादा होता है तो कोई गड़बड़ नहीं होती.
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मलिक ने कहा कि जब धारा 370 हटाई गई तब उन्होंने टेररिस्ट को डेमोरलाइज करने का काम किया. उस वक्त महबूबा कहती थी कि खून की नदियां बह जाएंगी. तब उन्हें भी बेफिक्र रहने की बात कही थी. लोग हैरत कर रहे थे कि एक चिड़िया भी नहीं बोली. तीन पुराने चीफ मिनिस्टर गिरफ्तार हुए. किसी ने कुछ नहीं कहा, अगर कहा तो यही कहा कि इन्हें जल्दी मत छोड़ना. आरोप लगाते हुए कहा कि वहां नेताओं ने बड़ी जमीनों पर कब्जा कर रखा था, और आलीशान बंगले बना रखे थे. इस पर सभी की सीबीआई इंक्वायरी करवाते हुए इन बंगलों को खाली करवाया गया और जम्मू के आस-पास जितनी जमीन खाली थी, उसे लद्दाख, जम्मू और कश्मीर के लेफ्टिनेंट जनरलों को बुलाकर सारी जमीन सेना को दे दी. इससे फौज का हौसला बढ़ गया.
उन्होंने बताया कि पंजाब और कश्मीर का रावी नदी के पानी के समझौते विवाद को जॉइंट सुपर विज़न रखते हुए निस्तारण करवाया. इससे करीब 6500 हेक्टेयर पंजाब की जमीन की सिंचाई बढ़ी और कश्मीर का 28 हजार हेक्टेयर सूखी जमीन पर सिंचाई बढ़ी. इसके बाद भी जो पानी (Satyapal Malik Targets PM Modi) बचेगा वो हरियाणा और राजस्थान को मिलेगा. पाकिस्तान को रावी नदी से एक बूंद भी नहीं जाएगा.
शिक्षा सबसे ज्यादा एंपावर करती हैः उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा सबसे ज्यादा एंपावर करती है. आज भी बच्चियों को पैदा होने नहीं देना चाहते. ये पता करवाते हैं कि बेटा होगा या बेटी होगी और फिर मार देते हैं. लेकिन जब ये पैदा हो जाती हैं और पढ़ाई के लिए दाखिला हो जाता है तो आगे तक जाती हैं. उन्होंने छात्राओं से कहा कि वो पढ़ें. क्योंकि उन्हें पति की सैलरी, पिता का दहेज ससुराल की दौलत एंपावर नहीं करेगी. शिक्षा ही उन्हें एंपावर करेगी. इस संबंध में उन्होंने अमेरिका की विदेश मंत्री कोंडालीजा राइस का उदाहरण भी दिया.
उन्होंने कहा कि किसी को भी बड़े घरों की जरूरत नहीं. गवर्नर होने तक भी वो दिल्ली में डेढ़ कमरे के मकान में रहते थे. अभी भी जो फ्लैट किराए पर लिया है, उसमें दो कमरे हैं. लेकिन उससे उनकी औकात नहीं पता लगती. उससे उन्हें ताकत मिलती है. अगर उनके पास ज्यादा संपत्ति होती, तो वो नरेंद्र मोदी के सामने खड़े नहीं हो सकते थे. क्योंकि उनके यहां ईडी आ जाती, इनकम टैक्स वाले आ जाते हैं. उन्होंने कहा कि जब वो मंत्री बने तो राष्ट्रपति भवन में हुई हाई-टी में वीपी सिंह ने कंधे पर हाथ रखकर अलग ले गए. उनसे कहा कि सत्यपाल भाई मंत्री तो बन गए हो लेकिन एक बात ध्यान रहे कि हमने राजीव गांधी को बेईमान कहकर हटाया. ये दोबारा आएंगे तो उनकी भी जांच होगी. तब उनको जवाब दिया कि वो तो चरण सिंह के साथ रहे हैं, जो दो कुर्ते धोती में रहते थे. उनकी पत्नी ने तो फटे हुए कुर्ते का बनियान तक बना दिया था. स्पष्ट है कि असली ताकत ईमानदारी में है, यदि ईमानदार है, तो डटे रहेंगे. किसी चीज की परवाह नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा कि जब वो किसानों के मसले पर बोले थे तो कई मशवरे दिए गए थे कि वो प्रेसिडेंट या वाइस प्रेसिडेंट बन सकते हैं. तब उन्होंने जवाब दिया था कि प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट के रिटायर होने के बाद अगले दिन कोई भी रास्ता नहीं छोड़ते. क्योंकि ये सब टेंपरेरी होता है. साथ हमेशा रहता है तो वो आपका स्टैंड होता है. सत्यपाल मलिक ने कहा कि जब किसानों का प्रकरण हुआ तो प्रधानमंत्री को इंदिरा गांधी, जनरल वैध और जनरल डायर के प्रकरणों को बताया. ऐसे में ये जो तीन कानून वापस हुए हैं, वह किसी भले पल में नहीं, बल्कि दहशत और डर में हुए हैं. उनके बाद से प्रधानमंत्री कपड़ा बांधकर गुरुद्वारे में जाने लगे हैं. उन्होंने एक शेयर पढ़ते हुए तंज कसा कि 'कयामत यकीनन करीब आ गई है, खुमार अब तो मस्जिद में जाने लगे हैं'.
उन्होंने बताया कि जब पंजाब किसान यूनियन के लड़कों ने लाल किले पर झंडा टांग दिया तो देश में बड़ा शोर मचा था और इसे देशद्रोह तक बताया गया था. जबकि उस पोल पर लड़कों ने झंडा फहराया भी नहीं था, जहां प्रधानमंत्री फहराते हैं. तब भी कहा था कि लाल किले पर झंडा फहराने का पहला अधिकार प्रधानमंत्री का है, और उसके बाद यदि किसी का अधिकार है तो वो सिखों का है. क्योंकि उन्हीं के गुरु तेग बहादुर की गर्दन लाल किले के दरवाजे के बाहर काटा गया था.
आखिर में उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि लड़ोगे तो पाओगे, बिना लड़े तो मां भी दूध नहीं देती है. ये लड़ेंगे तो इनकी सब बातें मानी जाएंगी. मलिक ने कहा कि वो आश्वस्त हैं कि युवा पीढ़ी जोरों से संघर्ष करेगी. देश में बहुत बुरा हाल है. किसानों को फसल का दाम नहीं मिल रहा है, युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है, महंगाई बढ़ रही है. अभी वर्तमान में जो परिस्थितियां बनी हुई है ये किसी बड़े जन आंदोलन की और देश अग्रसर हो रहा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी समझती है कि आखिर में हिंदू-मुस्लिम कर देंगे, और जीत जाएंगे. लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं होगा. इस बार के पार्लियामेंट चुनाव अलग होंगे.
इस दौरान लाडनू विधायक मुकेश भाकर भी मौजूद रहे. भाकर और निर्मल चौधरी यूनिवर्सिटी गेट से समारोह स्थल तक अलग-अलग हाथी पर बैठकर आए. यहां उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में मंच पर ही केक भी काटा गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि वह छात्रसंघ अध्यक्ष कार्यालय में कभी जीतकर नहीं बैठ पाए, लेकिन युवाओं और छात्रों के बीच 15 साल तक सक्रिय रहे. यह तय है कि जिस दिन छात्रों के लिए लड़ना छोड़ देंगे राजनीति करना भी छोड़ देंगे. वहीं, छात्रसंघ अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने के बाद निर्मल चौधरी ने कहा कि वो छात्रों और यूनिवर्सिटी के उत्थान के लिए काम करेंगे. साथ ही सत्यपाल मलिक की अपील पर यूनिवर्सिटी में नशे और धूम्रपान को निषेध करेंगे.