जयपुर. राजधानी के नाहरगढ़ किले पर स्थित वैक्स म्यूजियम में स्वामी विवेकानंद का वैक्स का स्टेच्यू स्थापित किया गया है. आजाद भारत से पहले विश्व में भारत की अलख स्थापित करने वाले स्वामी विवेकानंद का वैक्स का स्टेच्यू गुरुवार को उनके जन्मदिन और राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर जयपुर वैक्स म्यूजियम में स्थापित किया गया. 35 किलोग्राम वजनी इस स्टेच्यू को बनने के लिए लगभग 3 महीने का समय लगा है.
म्यूजियम के फाउंडर डायरेक्टर अनूप श्रीवास्तव के मुताबिक आज के युग में युवाओं को प्रेरणा देने के लिए यह पहल की गई है. स्वामी विवेकानंद का मूल सन्देश लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना था और इसी कारण स्वामी विवेकानंद की ध्यान मुद्रा वाली वेक्स प्रतिमा को जयपुर वेक्स म्यूजियम में लगाया गया है. श्रीवास्तव का कहना है कि जब भी किसी हस्ती के स्टेच्यू की स्थापना हमने यहां की है तो उसके पीछे उद्देश्य रहा है कि हमेशा से यही रहा है कि आने वाली पीढ़ी यहां पर मौजूद महान हस्तियों के जीवन चरित्र से प्रेरणा लें.
जयपुर वैक्स म्यूजियम दुनिया का ऐसा प्रथम वैक्स म्यूजियम है जो किसी हेरिटेज साईट नाहरगढ़ किले पर बनाया गया है. यहां पर मौजूद देश-विदेश की नामी हस्तियों की मोम की मूर्तियों के साथ-साथ जयपुर रियासत के महाराजाओं और महारानी के भव्य वैक्स स्टेच्यू रॉयल दरबार के भव्य सेट देखने को मिलते हैं. इसी म्यूजियम का एक अहम और अद्वितीय हिस्सा शीशमहल है जोकि विलुप्त हो रही कला को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से बनाया गया है. इसको 25 लाख से भी ज्यादा कांच के टुकड़ों और ठीकरी की कारीगरी के साथ तराश कर, विभिन्न चटख रंगों से भर कर निर्मित किया गया है. यह दुनिया का पहला शीशमहल है जिसका फ्लोर भी कांच का है.
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कलात्मक रॉयल दरबार और भव्य शीशमहल का यह अदभुत संगम पर्यटकों को इस धरती पर सिर्फ यहीं देखने को मिलेगा. जयपुर वैक्स म्यूजियम को देशी-विदेशी अन्य म्यूजियमों से एक बात और जुदा करती है वो है कि इस म्यूजियम को बनाने में जैसी कि इसकी साज सज्जा, वाल पेंटिंग और अन्य सभी सेट को बनाने में कलाकारों ने अपनी हस्तकला का इस्तेमाल किया है, जबकि अन्य जगह फ्लेक्स विनायल जैसी आधुनिक चीजों का इस्तेमाल किया जाता है.