जयपुर. जीवन में कठिनाइयों और बाधाओं से बिना रुके और बिना विचलित हुए सतत राष्ट्र और समाज निर्माण का काम करने वाले श्रेष्ठ व्यक्तित्वों का निर्माण संघ ने किया है. उक्त बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश भैय्याजी जोशी ने रविवार को राजधानी के पाथेय भवन में कही. पाथेय कण के संरक्षक और वरिष्ठ प्रचारक माणकचन्द के सम्मान में आयोजित प्रेरणा समारोह में उन्होंने संबोधन दिया. उन्होंने कहा कि जीवन में व्यावहारिक सफलता परिश्रम और अध्ययन से प्राप्त हो सकती है, लेकिन सफलता की चिंता किए बिना ध्येयनिष्ठ बने रहना और यश-अपयश का विचार किए बिना जीवन जीने वालों का ही जीवन सार्थक होता है.
1 लाख से ज्यादा छपती हैं प्रतियां : उन्होंने बताया कि अप्रैल 1985 से पाथेय कण पत्रिका की शुरुआत हुई. शुरुआत में 500 प्रतियां छापी गई थी, जो अब 1 लाख 16 हजार से ज्यादा प्रकाशित की जा रही है. ये आंकड़ा एक बार 1 लाख 72 हजार को भी छू चुका है. पाथेय कण पत्रिका के प्रकाशन में वरिष्ठ प्रचारक माणक चन्द का बीते 34 साल से निरंतर अविस्मरणीय योगदान रहा है. सुरेश भैय्याजी जोशी ने माणकचन्द का माला पहना कर व शॉल और श्रीफल भेंट कर अभिनंदन किया.
इस दौरान भैय्याजी जोशी ने कहा कि राष्ट्रीय विचार से जुड़ी पत्रिकाओं के प्रसार के साथ-साथ इनके पाठक वर्ग के आधिकाधिक प्रसार पर भी बल दिया गया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वरूप यदि आज राष्ट्र निर्माण के महामार्ग का है तो इसमें सर्वाधिक योगदान उन कार्यकर्ताओं का है, जिन्होंने इस पर तब चलना शुरू किया जब ये पगडंडी था. माणकचन्द ऐसे ही समर्पित वरिष्ठ प्रचारक हैं, जिन्होंने पाथेय कण की सफलता से स्वयं को जोड़कर अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया.
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संघ कार्य ईश्वरीय कार्य : वहीं, इस दौरान माणकचन्द ने कहा कि संघ कार्य ईश्वरीय कार्य है. संघ कार्य को बढ़ावा देने में जागरण पत्रिकाओं का विशेष महत्व है. परिवारों में संस्कार निर्माण और सद्विचारों के प्रसार के लिए सभी पाथेय कण पत्रिका को पढ़ें और दूसरों को भी इसे पढ़ने के लिए प्रेरित करें. इस दौरान उन्होंने पाथेय कण के 35 वर्ष तक सम्पादक रहे कन्हैया लाल चतुर्वेदी सहित अन्य कार्यकर्ताओं के योगदान को याद किया.