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सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के केस रीओपन करने वाले आदेश पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में झालावाड़ जिले में 7 साल की बच्ची से (Supreme Court stayed the order) दुष्कर्म-हत्या मामले के अभियुक्त कोमल लोधा के मामले में हाईकोर्ट के केस रीओपन करने वाले आदेश पर रोक लगा दी है.

Supreme Court stayed the order,  High Court reopening the case
हाईकोर्ट के केस रीओपन करने वाले आदेश पर लगाई रोक.
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Published : Nov 11, 2022, 10:19 PM IST

Updated : Nov 11, 2022, 11:49 PM IST

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में झालावाड़ जिले में 7 साल की बच्ची से दुष्कर्म-हत्या मामले के (Supreme Court stayed the order) अभियुक्त कोमल लोधा के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट को नसीहत देते हुए कहा है कि हाईकोर्ट को उसके आदेशों पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश के पैरा 42 का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें हाईकोर्ट की ओर से किया गया अवलोकन स्पष्ट तौर पर अनुचित है.

ऐसा लगता है कि यह पूरी ज्यूडिशियल प्रायोरिटी के ही खिलाफ है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के 11 मई 2022 के उस आदेश पर भी आगामी आदेशों तक रोक लगा दी है, जिसमें कोमल लोधा के मामले को रीओपन कर इसकी पुन: जांच करने का निर्देश दिया था. मामले में गलत अनुसंधान करने वालों पर कार्रवाई के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोमल लोधा सहित अन्य पक्षकारों से भी 9 दिसंबर तक जवाब देने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम.आर शाह व एम.एन.सुन्द्रेश की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान सरकार की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए दिया. एसएलपी में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के 11 मई के आदेश को चुनौती दी थी.

पढ़ेंः बार चुनाव का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने बीसीआई के आदेश पर लगाई रोक

यह है मामलाः झालावाड़ के कामखेड़ा थाना इलाके में 28 जुलाई 2018 को सात साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने इस मामले में आरोपी कोमल लोधा को गिरफ्तार कर घटना के 9 दिन में ही कोर्ट में चालान पेश कर दिया था. कोमल लोधा को पॉक्सो कोर्ट ने 2019 में फांसी की सजा सुनाई थी. बाद में मामला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने पर सर्वोच्च अदालत ने सजा के बिन्दु पर मामले को राजस्थान हाईकोर्ट के पास रिमांड किया. हाईकोर्ट ने अभियुक्त कोमल लोधा को निर्दोष तो माना, लेकिन तकनीकी कारणों से उसको उम्रकैद की सजा सुनाई. साथ ही मामले को रीओपन करते हुए इसमें फिर से जांच करने और गलत जांच करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था.

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में झालावाड़ जिले में 7 साल की बच्ची से दुष्कर्म-हत्या मामले के (Supreme Court stayed the order) अभियुक्त कोमल लोधा के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट को नसीहत देते हुए कहा है कि हाईकोर्ट को उसके आदेशों पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश के पैरा 42 का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें हाईकोर्ट की ओर से किया गया अवलोकन स्पष्ट तौर पर अनुचित है.

ऐसा लगता है कि यह पूरी ज्यूडिशियल प्रायोरिटी के ही खिलाफ है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के 11 मई 2022 के उस आदेश पर भी आगामी आदेशों तक रोक लगा दी है, जिसमें कोमल लोधा के मामले को रीओपन कर इसकी पुन: जांच करने का निर्देश दिया था. मामले में गलत अनुसंधान करने वालों पर कार्रवाई के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोमल लोधा सहित अन्य पक्षकारों से भी 9 दिसंबर तक जवाब देने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम.आर शाह व एम.एन.सुन्द्रेश की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान सरकार की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए दिया. एसएलपी में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के 11 मई के आदेश को चुनौती दी थी.

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यह है मामलाः झालावाड़ के कामखेड़ा थाना इलाके में 28 जुलाई 2018 को सात साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने इस मामले में आरोपी कोमल लोधा को गिरफ्तार कर घटना के 9 दिन में ही कोर्ट में चालान पेश कर दिया था. कोमल लोधा को पॉक्सो कोर्ट ने 2019 में फांसी की सजा सुनाई थी. बाद में मामला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने पर सर्वोच्च अदालत ने सजा के बिन्दु पर मामले को राजस्थान हाईकोर्ट के पास रिमांड किया. हाईकोर्ट ने अभियुक्त कोमल लोधा को निर्दोष तो माना, लेकिन तकनीकी कारणों से उसको उम्रकैद की सजा सुनाई. साथ ही मामले को रीओपन करते हुए इसमें फिर से जांच करने और गलत जांच करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था.

Last Updated : Nov 11, 2022, 11:49 PM IST
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