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DGP पद पर भूपेंद्र यादव की नियुक्ति और सेवाकाल बढ़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

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Published : Dec 21, 2019, 11:15 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी पद पर भूपेंद्र यादव की नियुक्ति करने और सेवाकाल बढ़ाने के मामले में राज्य के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता और डीजीपी भूपेंद्र यादव को अवमानना नोटिस जारी किए हैं. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 13 जनवरी तक मामले में जवाब देने के लिए कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस,  Supreme Court issued notice
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी पद पर भूपेंद्र यादव की नियुक्ति करने और सेवाकाल बढ़ाने के मामले में राज्य के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता और डीजीपी भूपेंद्र यादव को अवमानना नोटिस जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इनसे 13 जनवरी तक मामले में जवाब देने के लिए कहा है.

साथ ही मामले में सहयोग के लिए अधिवक्ता अर्चना पाठक दवे को न्यायमित्र बनाया है. सीजेआई सहित तीन जजों की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश कौस्तुभ दाधिच की अवमानना याचिका पर दिया. वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह और हिमांशु शर्मा ने बताया कि डीजीपी पद पर भूपेंद्र यादव की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट में लंबित प्रकाश सिंह बनाम केन्द्र सरकार मामले में दिए गए निर्दशों, संविधान के प्रावधानों और राजस्थान पुलिस एक्ट 2007 की धारा 13, 3 और 7 का उल्लंघन हुआ है.

पढ़ें- जयपुर: बस्सी उपखंड के 53 पंचायतों की निकली लॉटरी

ऐसा इसलिए है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाश सिंह के मामले में दिए निर्दशों के अनुसार डीजीपी पद पर नियुक्ति से 3 महीने पहले तीन योग्य सीनियर दावेदार अभ्यर्थियों का पैनल स्टेट सिक्युरिटी कमीशन या लोक सेवा आयोग को भेजा जाना चाहिए. लेकिन भूपेंद्र यादव की नियुक्ति करते समय सरकार ने पैनल उनकी नियुक्ति के बाद भेजा. इसके अलावा नियमानुसार जिनका नाम पैनल में भेजा जा रहा है, उनका सेवाकाल पैनल में नाम भेजने की तारीख से कम से कम छह महीने होना चाहिए.

लेकिन डीजीपी यादव की नियुक्ति में इसका भी उल्लंघन किया और उनका कार्यकाल छह महीने से कम होते हुए भी नियुक्ति की गई. यादव का कार्यकाल 31 दिसंबर को खत्म हो रहा है. लेकिन राज्य सरकार ने 28 अगस्त 2019 को ही डीजीपी का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ा दिया जो विधि के विपरीत है.

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी पद पर भूपेंद्र यादव की नियुक्ति करने और सेवाकाल बढ़ाने के मामले में राज्य के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता और डीजीपी भूपेंद्र यादव को अवमानना नोटिस जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इनसे 13 जनवरी तक मामले में जवाब देने के लिए कहा है.

साथ ही मामले में सहयोग के लिए अधिवक्ता अर्चना पाठक दवे को न्यायमित्र बनाया है. सीजेआई सहित तीन जजों की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश कौस्तुभ दाधिच की अवमानना याचिका पर दिया. वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह और हिमांशु शर्मा ने बताया कि डीजीपी पद पर भूपेंद्र यादव की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट में लंबित प्रकाश सिंह बनाम केन्द्र सरकार मामले में दिए गए निर्दशों, संविधान के प्रावधानों और राजस्थान पुलिस एक्ट 2007 की धारा 13, 3 और 7 का उल्लंघन हुआ है.

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ऐसा इसलिए है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाश सिंह के मामले में दिए निर्दशों के अनुसार डीजीपी पद पर नियुक्ति से 3 महीने पहले तीन योग्य सीनियर दावेदार अभ्यर्थियों का पैनल स्टेट सिक्युरिटी कमीशन या लोक सेवा आयोग को भेजा जाना चाहिए. लेकिन भूपेंद्र यादव की नियुक्ति करते समय सरकार ने पैनल उनकी नियुक्ति के बाद भेजा. इसके अलावा नियमानुसार जिनका नाम पैनल में भेजा जा रहा है, उनका सेवाकाल पैनल में नाम भेजने की तारीख से कम से कम छह महीने होना चाहिए.

लेकिन डीजीपी यादव की नियुक्ति में इसका भी उल्लंघन किया और उनका कार्यकाल छह महीने से कम होते हुए भी नियुक्ति की गई. यादव का कार्यकाल 31 दिसंबर को खत्म हो रहा है. लेकिन राज्य सरकार ने 28 अगस्त 2019 को ही डीजीपी का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ा दिया जो विधि के विपरीत है.

Intro:जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी पद पर भूपेन्द्र यादव की नियुक्ति करने और सेवाकाल बढ़ाने के मामले में राज्य के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता व डीजीपी भूपेन्द्र यादव को अवमानना नोटिस जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इनसे 13 जनवरी तक मामले में जवाब देने के लिए कहा है। साथ ही मामले में सहयोग के लिए अधिवक्ता अर्चना पाठक दवे को न्यायमित्र बनाया है। सीजेआई सहित तीन जजों की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश कौस्तुभ दाधिच की अवमानना याचिका पर दिया। Body:वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह व हिमांशु शर्मा ने बताया कि डीजीपी पद पर भूपेन्द्र यादव की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट में लंबित प्रकाश सिंह बनाम केन्द्र सरकार मामले में दिए गए निर्दशों, संविधान के प्रावधानों व राजस्थान पुलिस एक्ट 2007 की धारा 13 3 और 7 का उल्लंघन हुआ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाश सिंह के मामले में दिए निर्दशों के अनुसार डीजीपी पद पर नियुक्ति से  3 महीने पहले तीन योग्य सीनियर दावेदार अभ्यर्थियों का पैनल स्टेट सिक्युरिटी कमीशन या लोक सेवा आयोग को भेजा जाना चाहिए। लेकिन भूपेन्द्र यादव की नियुक्ति करते समय सरकार ने पैनल उनकी नियुक्ति के बाद भेजा। इसके अलावा नियमानुसार जिनका नाम पैनल में भेजा जा रहा है उनका सेवाकाल पैनल में नाम भेजने की तारीख से कम से कम छह महीने होना चाहिए। लेकिन डीजीपी यादव की नियुक्ति में इसका भी उल्लंघन किया और उनका कार्यकाल छह महीने से कम होते हुए भी नियुक्ति की गई। यादव का कार्यकाल 31 दिसंबर को खत्म हो रहा है, लेकिन राज्य सरकार ने 28 अगस्त 2019 को ही डीजीपी का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ा दिया जो विधि के विपरीत है।


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