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सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सीएम के निर्देश के बाद भी सीवर चैंबर में उतरते सफाई कर्मचारी, 2 साल में 6 की मौत - Rajasthan Hindi News

राजस्थान सरकार की ओर से सख्त निर्देश के बावजूद कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले सफाई कर्मचारी महज 400 से 600 रुपए की दिहाड़ी पर, बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर चैंबर की सफाई करने के लिए उतार दिए जाते हैं. अभी ताजा मामला पाली का है, जहां 3 लोगों की मौत हुई.

last 2 years 6 people have died in Rajastha
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Published : May 9, 2023, 7:20 AM IST

Updated : May 9, 2023, 11:37 AM IST

सीवर चैंबर में उतर रहे सफाई कर्मचारी

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सीएम की रोक के बाद भी राजस्थान के विभिन्न नगरीय निकायों में सफाई कर्मचारियों को सीवर चैंबर में उतारा जा रहा है. बीते 7 साल में इन्हीं सीवर चैंबर में फंसने और जहरीली गैस की वजह से 20 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. बावजूद इसके सरकार और प्रशासन ने अब तक सख्त रुख अख्तियार नहीं किया है. ताजा मामला पाली का है, जहां 3 लोगों की मौत हुई. इस पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी सवाल उठाएं. राजधानी की बात करें तो यहां तमाम संसाधन होने के बावजूद भी कई बार सीवर चैंबर साफ करते हुए कर्मचारियों की तस्वीरें सामने आती हैं.

7 जुलाई 2020, जब प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने सफाई कर्मी को सीवरेज सफाई के लिए चैंबर में नहीं उतारने के निर्देश दिए थे. साथ ही ये काम मशीनों के जरिए कराते हुए मैनहोल को अब मशीन होल कहे जाने की बात कही थी. साथ ही सख्ती से कहा था कि अब सीवर चैंबर में उतरने से मौत की कोई घटना नहीं होनी चाहिए. 2020 और 2021 में ऐसा कोई मामला सामने भी नहीं आया. लेकिन 2022 और अब 2023 में सीवर चैंबर की सफाई करते हुए तीन-तीन कर्मचारियों ने अपनी जान गंवा दी.

मैनहोल में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों की जिंदगी कितनी सस्ती है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राजस्थान सरकार की ओर से सख्त निर्देश के बावजूद कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले सफाई कर्मचारी महज 400 से 600 रुपए की दिहाड़ी पर, बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर चैंबर की सफाई करने के लिए उतार दिए जाते हैं. जयपुर में सीवर चैंबर की सफाई करने वाले एक युवा सफाई कर्मचारी शंकर के अनुसार, न तो उसे गम बूट दिए गए न, गैस मास्क, सेफ्टी बेल्ट और ग्लव्स उपलब्ध कराए गए. इतना ही नहीं शंकर का किसी तरह का हेल्थ इंश्योरेंस भी नहीं हो रखा. इसी तरह की लापरवाही की वजह से सफाई कर्मचारी जहरीली गैस का शिकार हो जाते हैं. बावजूद इसके प्रशासन ने आंखों पर पट्टी बांधे बैठा है.

sanitation workers are entering sewer chamber
ग्रेटर निगम में ये संसाधन

पढ़ें : महापौर सौम्या गुर्जर ने सड़कों से उठाया कूड़ा, जानिए पूरा मामला

इसे लेकर सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने भी आरोप लगाते हुए कहा कि जयपुर सहित पूरे राजस्थान में कई ठेकेदार सीवरेज सफाई के कार्य में कर्मचारियों को मैनहोल में उतार रहे हैं हाल ही में इसी वजह से पाली में वाल्मीकि समाज के तीन युवाओं की मौत भी हुई. यहां सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और मुख्यमंत्री के आदेशों को ताक पर रखकर ठेकेदार ये काम करवा रहे हैं. जबकि जेईएन और एईएन ने अनदेखी बरती हुई है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अभी भी ठेकेदारों की ओर से इस तरह का कृत्य किया गया, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.

पढ़ें : सफाई कर्मचारियों की हड़ताल: शहर से नहीं उठा 700 टन कचरा, सरकार ने भर्ती को लेकर लगाई केविएट

हालांकि राजस्थानी के दोनों नगर निगमों ने मैनहोल को मशीनहोल बनाने के साथ-साथ क्लीनिंग प्रोसेस को हाईटेक करते कई संसाधन जोड़े हैं. वहीं बीते दिनों स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सीवर चेंबर पर सेंसर लगाने का भी प्रोजेक्ट धरातल पर उतारा गया. इससे 70 प्रतिशत मैनहोल भरने की स्थिति में सेंसर के जरिए एक अलर्ट मिलता है. इससे सीवर चैंबर ओवरफ्लो होने से पहले ही खाली करने में मदद मिल रही है.

sanitation workers are entering sewer chamber
हेरिटेज निगम में ये संसाधन

हेरिटेज निगम स्वास्थ्य उपायुक्त आशीष कुमार ने बताया कि निगम की स्थापना के साथ ही 20 थ्री इन वन जेटिंग मशीन खरीदी गई थी. जो जेटिंग के साथ-साथ ग्रेविंग और रोडिंग का काम भी करने में सक्षम है. इसके साथ ही सुपर सकर और सक्शन मशीन भी मौजूद हैं. वहीं सीएम के निर्देश है कि मैनहोल की जगह मशीन होल हो. इसे ध्यान में रखते हुए दो रोबोटिक बैंडीकूट मशीन भी खरीदी गई.

उन्होंने कहा कि फिलहाल स्पष्ट निर्देश है कि सीवर चेंबर में कोई भी सफाई कर्मचारी ना उतरे ये बात जरूर है कि सुरक्षा के सभी उपकरण गम बूट, दस्ताने, मास्क और आवश्यकता पड़ने पर फायर विभाग के ऑक्सीजन सिलेंडर की मौजूद है. वहीं सफाई श्रमिक संघ के आरोपों पर आशीष कुमार ने कहा कि उनके पास पर्याप्त संख्या में मशीनें है. उन्हीं के माध्यम से सफाई व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है. यदि कोई ठेकेदार इस तरह के कार्य कर रहा है और संज्ञान में आता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

sanitation workers are entering sewer chamber
क्या कहते हैं नियम

पढ़ें : मैरिज गार्डन के सीवरेज चैंबर की सफाई करने उतरे 3 युवकों की मौत, जहरीली गैस फैलते ही निकला दम

बहरहाल, राज्य सरकार की ओर से नियम भी बनाए हुए हैं और निर्देश भी दिए गए हैं. जरूरी है इनकी पालना हो. ताकि सीवर चैंबर में मौजूद मिथेन कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन डाई ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों से सफाई कर्मचारियों की मौत पर विराम लगे, लेकिन फिलहाल सीवरेज मैनहोल की सफाई को लेकर बने नियम कायदे केवल कागजों में सिमटे हुए हैं.

सीवर चैंबर में उतर रहे सफाई कर्मचारी

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सीएम की रोक के बाद भी राजस्थान के विभिन्न नगरीय निकायों में सफाई कर्मचारियों को सीवर चैंबर में उतारा जा रहा है. बीते 7 साल में इन्हीं सीवर चैंबर में फंसने और जहरीली गैस की वजह से 20 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है. बावजूद इसके सरकार और प्रशासन ने अब तक सख्त रुख अख्तियार नहीं किया है. ताजा मामला पाली का है, जहां 3 लोगों की मौत हुई. इस पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी सवाल उठाएं. राजधानी की बात करें तो यहां तमाम संसाधन होने के बावजूद भी कई बार सीवर चैंबर साफ करते हुए कर्मचारियों की तस्वीरें सामने आती हैं.

7 जुलाई 2020, जब प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने सफाई कर्मी को सीवरेज सफाई के लिए चैंबर में नहीं उतारने के निर्देश दिए थे. साथ ही ये काम मशीनों के जरिए कराते हुए मैनहोल को अब मशीन होल कहे जाने की बात कही थी. साथ ही सख्ती से कहा था कि अब सीवर चैंबर में उतरने से मौत की कोई घटना नहीं होनी चाहिए. 2020 और 2021 में ऐसा कोई मामला सामने भी नहीं आया. लेकिन 2022 और अब 2023 में सीवर चैंबर की सफाई करते हुए तीन-तीन कर्मचारियों ने अपनी जान गंवा दी.

मैनहोल में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों की जिंदगी कितनी सस्ती है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राजस्थान सरकार की ओर से सख्त निर्देश के बावजूद कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले सफाई कर्मचारी महज 400 से 600 रुपए की दिहाड़ी पर, बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर चैंबर की सफाई करने के लिए उतार दिए जाते हैं. जयपुर में सीवर चैंबर की सफाई करने वाले एक युवा सफाई कर्मचारी शंकर के अनुसार, न तो उसे गम बूट दिए गए न, गैस मास्क, सेफ्टी बेल्ट और ग्लव्स उपलब्ध कराए गए. इतना ही नहीं शंकर का किसी तरह का हेल्थ इंश्योरेंस भी नहीं हो रखा. इसी तरह की लापरवाही की वजह से सफाई कर्मचारी जहरीली गैस का शिकार हो जाते हैं. बावजूद इसके प्रशासन ने आंखों पर पट्टी बांधे बैठा है.

sanitation workers are entering sewer chamber
ग्रेटर निगम में ये संसाधन

पढ़ें : महापौर सौम्या गुर्जर ने सड़कों से उठाया कूड़ा, जानिए पूरा मामला

इसे लेकर सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने भी आरोप लगाते हुए कहा कि जयपुर सहित पूरे राजस्थान में कई ठेकेदार सीवरेज सफाई के कार्य में कर्मचारियों को मैनहोल में उतार रहे हैं हाल ही में इसी वजह से पाली में वाल्मीकि समाज के तीन युवाओं की मौत भी हुई. यहां सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और मुख्यमंत्री के आदेशों को ताक पर रखकर ठेकेदार ये काम करवा रहे हैं. जबकि जेईएन और एईएन ने अनदेखी बरती हुई है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अभी भी ठेकेदारों की ओर से इस तरह का कृत्य किया गया, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.

पढ़ें : सफाई कर्मचारियों की हड़ताल: शहर से नहीं उठा 700 टन कचरा, सरकार ने भर्ती को लेकर लगाई केविएट

हालांकि राजस्थानी के दोनों नगर निगमों ने मैनहोल को मशीनहोल बनाने के साथ-साथ क्लीनिंग प्रोसेस को हाईटेक करते कई संसाधन जोड़े हैं. वहीं बीते दिनों स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सीवर चेंबर पर सेंसर लगाने का भी प्रोजेक्ट धरातल पर उतारा गया. इससे 70 प्रतिशत मैनहोल भरने की स्थिति में सेंसर के जरिए एक अलर्ट मिलता है. इससे सीवर चैंबर ओवरफ्लो होने से पहले ही खाली करने में मदद मिल रही है.

sanitation workers are entering sewer chamber
हेरिटेज निगम में ये संसाधन

हेरिटेज निगम स्वास्थ्य उपायुक्त आशीष कुमार ने बताया कि निगम की स्थापना के साथ ही 20 थ्री इन वन जेटिंग मशीन खरीदी गई थी. जो जेटिंग के साथ-साथ ग्रेविंग और रोडिंग का काम भी करने में सक्षम है. इसके साथ ही सुपर सकर और सक्शन मशीन भी मौजूद हैं. वहीं सीएम के निर्देश है कि मैनहोल की जगह मशीन होल हो. इसे ध्यान में रखते हुए दो रोबोटिक बैंडीकूट मशीन भी खरीदी गई.

उन्होंने कहा कि फिलहाल स्पष्ट निर्देश है कि सीवर चेंबर में कोई भी सफाई कर्मचारी ना उतरे ये बात जरूर है कि सुरक्षा के सभी उपकरण गम बूट, दस्ताने, मास्क और आवश्यकता पड़ने पर फायर विभाग के ऑक्सीजन सिलेंडर की मौजूद है. वहीं सफाई श्रमिक संघ के आरोपों पर आशीष कुमार ने कहा कि उनके पास पर्याप्त संख्या में मशीनें है. उन्हीं के माध्यम से सफाई व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है. यदि कोई ठेकेदार इस तरह के कार्य कर रहा है और संज्ञान में आता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

sanitation workers are entering sewer chamber
क्या कहते हैं नियम

पढ़ें : मैरिज गार्डन के सीवरेज चैंबर की सफाई करने उतरे 3 युवकों की मौत, जहरीली गैस फैलते ही निकला दम

बहरहाल, राज्य सरकार की ओर से नियम भी बनाए हुए हैं और निर्देश भी दिए गए हैं. जरूरी है इनकी पालना हो. ताकि सीवर चैंबर में मौजूद मिथेन कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन डाई ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों से सफाई कर्मचारियों की मौत पर विराम लगे, लेकिन फिलहाल सीवरेज मैनहोल की सफाई को लेकर बने नियम कायदे केवल कागजों में सिमटे हुए हैं.

Last Updated : May 9, 2023, 11:37 AM IST
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